बिहार में खिचड़ी चलेगी या फिर खीर
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के आरजेडी से गठबंधन करने से बिहार की सियासत में घमासान शुरू हो गया है और माना जा रहा है कि इससे सबसे ज्यादा दिक्कत नीतीश कुमार को होगी.
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राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्र सरकार में राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने बीपी मंडल जन्म शताब्दी समारोह के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री बीपी सिंह के कार्यकाल में लागू हुई मंडल कमीशन की अनुशंसा पूरी तरह से लागू नहीं हो पायी हैं जिससे कि इन तबके के लोगों के साथ न्याय नहीं हो पा रहा है. उनके इस बयान से इतना तो साफ है कि अगले चुनाव में खासकर बिहार में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा होगा और हर दल इसे भुनाने की कोशिश में है.
इस मौके पर आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उन्होंने इशारों में ये भी कहा कि यदुवंशी का दूध और कुशवाहा समाज का चावल मिल जाए तो अच्छी खीर बन सकती है जिससे एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में गठबंधन के समीकरणों पर चर्चा तेज हो गयी है. कुशवाहा ने अन्य पिछड़ा वर्ग, महा पिछड़ा वर्ग और दलितों के बीच गठबंधन करने की बात करते हुए कहा कि, "यहां बहुत बड़ी संख्या में यदुवंशी समाज के लोग जुटे हैं. यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियों का चावल मिल जाए तो खीर बनने में देर नहीं. लेकिन खीर बनाने के लिए केवल दूध और चावल ही नहीं, छोटी जाति और दबे कुचले समाज का पंचमेवा भी चाहिए."
उपेन्द्र कुशवाहा ने बीपी मंडल जन्म शताब्दी समारोह के कार्यक्रम में नीतीश सरकार पर तीखे हमले किये
बता दें कि पिछले कुछ समय से केंद्रीय मंत्री एनडीए से नाखुश दिख रहे हैं और उनका हालिया बयान इसकी पुष्टि भी करता दिख रहा है. यही नहीं वो लगातार नीतीश कुमार पर निशाना साधते रहते हैं. उन्होंने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का पद छोड़ देने की नसीहत भी दे चुके हैं और इसी को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव ने उनसे बिहार के महागठबंधन में शामिल होने के लिए कई मौकों पर कहा भी है जिसको कुशवाहा टालते रहे हैं. वहीं उनके इस तरह के रुख पर जेडीयू का ये मानना है कि कुशवाहा जानते हैं कि वो नीतीश के कद के बराबर नहीं हो सकते और इसलिए उनसे जलते हैं.
कभी नीतीश के करीबी रहे कुशवाहा ने मार्च 2013 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का गठन किया था. ख़बरों की माने तो पिछले साल जुलाई में जेडीयू के दुबारा एनडीए में आने के बाद से वो असहज महसूस कर रहे हैं. कुशवाहा के इसी साल जून महीने में एनडीए के भोज कार्यक्रम में शामिल ना होने और मार्च महीने में दिल्ली के ऐम्स में बीमार लालू यादव से उनकी मुलाकात के बाद से ये चर्चा चल रही है कि वो महागठबंधन में जा सकते हैं.
साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि लोक सभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए में अपनी पार्टी की दावेदारी को मजबूत करने के लिए कुशवाहा इस तरह के बयान दे रहे हैं और अगर सीटों का बंटवारा उनकी उम्मीद के मुताबिक नहीं होता है तो वो एनडीए से अलग जा सकते हैं जिससे एक बार फिर सत्ता हासिल करने के लिए जोर-शोर से जुटी बीजेपी को बिहार में झटका लग सकता है.
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