राहुल गांधी ने तो संसद में मोदी की रैली करा डाली लेकिन अदानी पर नहीं मिला जवाब
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने संसद में अदानी ग्रुप (Adani Group) के नाम बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पूरी ताकत से कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी. जाहिर है जवाब भी मिलना ही था, लेकिन उस सवाल का नहीं जो कांग्रेस नेता ने पूछे थे.
-
Total Shares
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देने के लिए संसद पहुंचे तो नीले रंग की जैकेट पहने हुए थे. जैकेट की खासियत ये रही कि उसे 28 सिंगल यूज प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल करके बनाया गया है. ये इको फ्रेंडली जैकेट इंडियन आयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन एसएम वैद्य की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी को भेंट की गयी है.
मोदी के भाषण का अगर किसी को सबसे ज्यादा इंतजार रहा होगा तो वो हैं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi). असल में राहुल गांधी ने एक दिन पहले ही अदानी ग्रुप के कारोबार को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी.
अदानी ग्रुप (Adani Group) के प्रमुख गौतम अदानी तो पहले से ही राहुल गांधी के टारगेट पर रहे हैं, लेकिन अमेरिकी एजेंसी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आ जाने के बाद से वो और भी ज्यादा आक्रामक हो गये हैं. राहुल गांधी का हौसला बढ़ा है, रिपोर्ट के बाद अदानी ग्रुप के शेयरों में आयी भारी गिरावट. हालांकि, अब स्थितियां धीरे धीरे बदलने लगी हैं.
वैसे तो राहुल गांधी ने मोदी सरकार से अदानी ग्रुप को लेकर कोई नया सवाल नहीं पूछा था, लेकिन संसद में मोदी-शाह की गैरमौजूदगी में बीजेपी नेता काफी बेबस से लगे थे. बीजेपी नेता नियमों की दुहाई देते रहे - और जब कुछ नहीं समझ में आया तो गांधी परिवार के इतिहास गिनाने लगे थे.
और मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत ही उस नजारे पर कटाक्ष के साथ की. मोदी ने शुरू से आखिर तक राहुल गांधी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन 2014 से पहले के कांग्रेस 10 साल के शासन पर ही ज्यादातर फोकस रहे.
राहुल गांधी के भाषण के दौरान कांग्रेस खेमे में दिखे उत्साह को मोदी ने एक इकोसिस्टम के तौर पर रुपायित किया - और बोले, '...कुछ लोग बोल रहे थे तो पूरा इकोसिस्टम उछल रहा था... कल नींद भी अच्छी आई होगी, और शायद आज वे उठ भी नहीं पाये होंगे... कुछ लोग तो ये भी कह रहे थे... ये हुई न बात.'
मोदी के भाषण के हर लाइन में राहुल गांधी और कांग्रेस को घेरने की कोशिश नजर आयी. बोले, राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान कुछ लोग कन्नी काट गए थे... एक बड़े नेता तो उनका अपमान भी कर चुके हैं. फिर कहा, कुछ लोग कह रहे हैं... ये कह कह कर हम दिल को बहला रहे हैं... वो अब चल चुके हैं, वो अब आ रहे हैं.
बगैर जिक्र किये मोदी ने भारत जोड़ो यात्रा पर भी रिएक्ट किया, लेकिन अपने तरीके से. मोदी ने कहा कि 'कश्मीर से कन्याकुमारी तक... दस साल आतंकवादी हमले होते रहे.' दरअसल, 2004 से 2014 तक के कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए शासन की तरफ प्रधानमंत्री मोदी का इशारा था.
संसद में मोदी का चुनावी भाषण
राहुल गांधी के चर्चित भाषण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरीके से जवाब दिया, अंदाज करीब करीब वैसा ही रहा जैसा पांच साल पहले देखा गया था. मोदी के संसद में 2018 के भाषण को याद करें तो ऐसा लगा था जैसे वो सदन में नहीं बल्कि कर्नाटक की चुनावी रैली में बोल रहे हों - कर्नाटक में चुनावी माहौल इस बार भी करीब करीब वैसा ही है.
तब भी प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में निशाने पर कांग्रेस का ही शासन रहा, अब भी बिलकुल वही स्थिति समझ में आयी है. तब मोदी का कहना रहा कि देश को कांग्रेस के पापों के चलते मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं, अब वो कह रहे हैं कि देश उन परिस्थितियों से काफी आगे निकल चुका है - और तभी की तरह इस बार भी वो अब तक के अपने शासन की उपलब्धियां गिना डाले हैं.
अदानी पर जवाब के लिए राहुल गांधी को अभी और सवाल पूछने होंगे!
फर्क बस ये रहा कि संसद में पहले जैसा कोई ठहाका नहीं गूंजा, ताकि मोदी को रामायण काल और शूर्पनखा की याद आ सके. हां, इस बार उनके मुंह से 'शुक्रिया शशि जी' जरूर सुना गया जब सांसदों की तरफ से मेजें थपथपायी जा रही थीं. पिछली बार कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी, मोदी की एक बात पर हंस पड़ी थीं और वो लपेटे में आ गयीं.
वैसे ये कहना गलत नहीं होगा कि मोदी ने एक बार फिर सदन से चुनावी राज्यों की जनता को संबोधित किया है. मोदी के संबोधन में कदम कदम पर कांग्रेस सरकार की बुराई, और बीजेपी सरकार की उपलब्धियों पर जोर देखा गया. ध्यान रहे, इस साल कुल नौ राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं.
मोदी का आरोप है कि कांग्रेस पहले भी मौके गंवाती रही, और अब भी गंवा रही है. कांग्रेस शासन की याद दिलाते हुए मोदी बोले, जो कभी यहां बैठते थे... वो वहां जाने के बाद भी फेल हुए, लेकिन देश पास होता जा रहा है.
2014 से लेकर अब तक के राजनीतिक सफर का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने नौ साल आरोप लगाने में गंवा दिये. राहुल गांधी की तरफ इशारा करते हुए बोले, जो लोग ये सपने लेकर बैठे हैं कि कभी यहां बैठते थे... फिर कभी मौका मिलेगा, ऐसे लोग जरा 50 बार सोचें... अपने तौर-तरीके पर जरा फिर से विचार करें... लोकतंत्र में आपको भी आत्मचिंतन करने की जरूरत है.
लगे हाथ मोदी ने बीजेपी के पूरे अमृत काल के शासन के इरादे को भी दोहराया, 'हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं... विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यह देश अमर-अजर है... आइये, हम चल पड़ें... 2047 में एक विकसित भारत बना कर रहेंगे... आइये, एक संकल्प और सपना लेकर चलें... देश आज यहां से एक नई उमंग... नये विश्वास के साथ आगे चल पड़ा है.'
और फिर ब्रांड मोदी की भी थोड़ी बात कर कर डाली, मोदी अखबार की सुर्खियों से नहीं बना है... झूठे आरोप लगाने वालों पर कोई भरोसा नहीं करेगा... गाली से सुरक्षा कवच नहीं भेद सकतेहैं... मैंने जीवन खपा दिया है... पल पल खपा दिया है.
आलोचना होनी चाहिये, मोदी का कहना था, चुनाव हार जाओ चुनाव आयोग को गाली दे दो... कोर्ट का फैसला पक्ष में नहीं आये कोर्ट को गाली दे दो... अगर सेना पराक्रम करे, सेना अपना शौर्य दिखाये तो सेना को भी गाली दो... कभी आर्थिक प्रगति की खबरें आयें तो विश्व के सारे संस्थान गौरव गान करे, तो आरबीआई को गाली दो...
और फिर बोले, भ्रष्टाचार की जांच हो तो एजेंसियों को गाली... ईडी का धन्यवाद करना चाहिये कि उसने इन लोगों को एक मंच पर ला दिया है... जो काम देश के मतदाता नहीं कर पाये.
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के एक अंश का भी हवाला दिया, जिससे विपक्ष को ऐतराज हो सकता था. किसी ने आलोचना नहीं की, मतलब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर किसी को ऐतराज नहीं है.
मोदी का कहना रहा, मुझे खुशी है कि किसी ने विरोध नहीं किया - और ऐसा बोल कर ये समझाने की कोशिश लगी कि विपक्ष ने अभिभाषण ध्यान से सुना ही नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी को सुनने में दिलचस्पी ही नहीं थी. बल्कि राहुल गांधी को तो बस अपनी बात कहनी थी. फिर किसी को सुनने की परवाह किसे हो.
राष्ट्रपति के अभिभाषण को विपक्षी नेताओं, खास कर राहुल गांधी ने कैसे सुना और समझा - मोदी ने ये बात भी अपने तरीके से समझायी है, सब लोगों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर रुचि, प्रकृति और प्रवृति के अनुसार अपनी बातें रखी... बातों को गौर से सुनते हैं समझने का प्रयास करते हैं तो ये भी ध्यान में आता है कि किसकी क्षमता है? किसकी कितनी योग्यता है? किसकी किनती समझ है? और किसका क्या इरादा है?
अपनी सरकार की उपलब्धियों में प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का भी खास अंदाज में जिक्र किया, 'जो हाल में जम्मू-कश्मीर घूम कर आये हैं वो भी अब देख सकते हैं कि कितनी आन-बान-शान से घूम सकते हैं.' ये बात भी मोदी ने राहुल गांधी के लिए ही कही.
राहुल गांधी पर मोदी के कटाक्ष
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने काका हाथरसी से लेकर दुष्यंत कुमार की कविताएं सुनायी. और एक बाघ को बंदूक का लाइसेंस दिखाने वाला किस्सा भी सुनाया.
हास्य व्यंग्य के मशहूर कवि रहे काका हाथरसी की कविता का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि लोग निराशा में डूबे हुए हैं, 'आगा पीछा देख कर क्यों होते गमगीन, जैसी जिसकी भावना वैसा दिखे सीन'
और कहने लगे, 'ये निराशा भी ऐसे नहीं आई... एक तो जनता का हुकुम, बार-बार हुकुम... कुछ अच्छा होता है निराशा और उभरकर सामने आ जाती है.'
फिर एक किस्सा सुनाया, 'एक बार जंगल में दो नौजवान शिकार करने गये थे... वो गाड़ी में अपनी बंदूक रखकर नीचे उतरकर टहलने लगे... गये तो बाघ का शिकार करने थे... सोचा था कि आगे बाघ दिखेगा, लेकिन बाघ वहीं आ गया... अब करें क्या? बाघ को लाइसेंस दिखाया... देखो हमारे पास बंदूक का लाइसेंस है.'
मोदी ये किस्सा सुनाकर ये समझा रहे थे कि कैसे कांग्रेस की सरकार ने बेरोजगारी खत्म करने के नाम पर कानून दिखा दिया - और अपने तरीके से पल्ला झाड़ लिया.
कांग्रेस की मौजूदा हालत को लेकर मोदी ने दुष्यंत कुमार की भी एक कविता सुनायी, 'तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये है... कमाल ये है कि फिर भी तुम्हे यकीं नहीं.'
राहुल गांधी को जवाब क्यों नहीं मिला
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के बाद जब राहुल गांधी लोक सभा से बाहर आये तो मीडिया का सवाल था, क्या उनको अपने सवालों के जवाब मिले?
राहुल गांधी का यही कहना रहा कि उनको अपने सवालों के जवाब नहीं मिले हैं. और ये इल्जाम फिर से लगाया कि वो अपने मित्र को बचा रहे हैं. राहुल गांधी का कहना था कि अगर प्रधानमंत्री जांच कराने की बात करते तो वो मान लेते कि सच को छुपाने की कोशिश नहीं हो रही है.
राहुल गांधी का कहना रहा, 'मैंने कोई कॉम्पिकेटेड क्वैश्चन तो नहीं पूछा है... मैंने ये पूछा है आपके साथ कितनी बार गये हैं? वहां कितनी बार मिले हैं? सिंपल से सवाल थे लेकिन जवाब नहीं दिया... मैं संतुष्ट नहीं हूं... लेकिन उनके भाषण से सच्चाई दिखती है.'
आगे बोले, 'जांच की बात नहीं हुई... अगर मित्र नहीं हैं तो ये कहते ठीक है में जांच करा देता हूं... जांच की बात नहीं हुई.... डिफेंस कंपनी है वहां पर शेल कंपनी हैं... बेनामी पैसा घूम रहा है. उसके बारे में प्रधानमंत्री ने कुछ भी नहीं कहा. वो उनकी रक्षा कर रहे हैं.'
मोदी सरकार पर अपने हमले वाले भाषण में राहुल गांधी ने साथ आने को शुरुआत, साथ बने रहने को प्रगति और साथ काम करने को सफलता बताते हुए कहा था - 'अडानीजी और नरेंद्र मोदीजी, धन्यवाद.' अपडेट ये है कि राहुल गांधी के भाषण के इस हिस्से को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया है.
जो कुछ भी मोदी के भाषण में सुनने को मिला है, अदानी के मुद्दे को लेकर बीजेपी की शुरू से ही ये स्ट्रैटेजी देखने को मिली है. पहले मोदी सरकार के मंत्री अदानी ग्रुप के कारोबार पर पड़े असर से पल्ला झाड़ते रहे और समझाते रहे कि सरकार से अदानी ग्रुप के कारोबार का कोई वास्ता नहीं है.
बीजेपी की उसी लाइन को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी की तरफ से उठाये जा रहे मुद्दे को अपने जोरदार भाषण और लोकप्रियता का फायदा उठाकर डायवर्ट कर दिया है - मुकाबले में आने के लिए राहुल गांधी और अभी और मेहनत करनी पड़ेगी.
इन्हें भी पढ़ें :
राहुल गांधी की नरेंद्र मोदी पर निगाहें, अरविंद केजरीवाल पर निशाना - आपने गौर किया?
रामचरित मानस विवाद RSS के लिए मंडल बनाम कमंडल जैसी ही चुनौती है
निर्मला सीतारमण ने इस बार लोक लुभावन नहीं, वोटबैंक बजट पेश किया है
आपकी राय