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Updated: 11 सितम्बर, 2018 01:49 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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विश्व के सबसे कट्टरपंथी मुल्कों में शुमार पाकिस्तान में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. पाकिस्तान में कट्टरपंथ किस हद तक घुसा है यदि इसे समझना हो तो हमें आतिफ आर मियां का रुख करना चाहिए. सवाल आएगा कि ये 'आतिफ आर मियां' कौन हैं? तो कुछ और बताने से पहले ये बताना बेहद जरूरी है कि विदेश में पले बढ़े आतिफ अभी कुछ दिन पहले तक पाकिस्तान की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य थे. फिल्हाल आतिफ ने इस्तीफ़ा दे दिया है. आतिफ के इस्तीफे के बाद पाकिस्तान में सियासत तेज हो गई है और आलोचक ये मान रहे हैं कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया है जिसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ेगा. ध्यान रहे कि आतिफ अहमदी समुदाय से आते हैं जिन्हें पाकिस्तान के चरमपंथी पसंद नहीं करते और जिन्हें पाकिस्तानी मुल्ले मोलवियों द्वारा इस्लाम से खारिज किया जा चुका है.

जेमिमा गोल्ड स्मिथ, पाकिस्तान, इमरान खान, अहमदिया मुसलमान   आतिफ मियां के समर्थन में जेमिमा का आना बता देता है कि भविष्य में इमरान बड़ी मुसीबत में फंसने वाले हैं

यूं तो इमरान के इस फैसले पर सारा देश उनके खिलाफ है मगर वो व्यक्ति जो खुलकर उनके इस फैसले के खिलाफ आया है वो और कोई नहीं बल्कि उनकी पूर्व पत्नी जेमिमा गोल्ड स्मिथ हैं. जेमिमा गोल्डस्मिथ ने पाकिस्तान सरकार द्वारा नवगठित आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) से मशहूर अर्थशास्त्री आतिफ मियां का नामांकन वापस लेने की कड़ी आलोचना की है. ब्रिटेन में रह रही इमरान की पूर्व पत्नी जेमिमा ने ट्विटर पर अपनी नाराजगी जताई है.

आपको बताते चलें कि पाकिस्तान सरकार ने मियां के अहमदिया संप्रदाय से होने के कारण कट्टरपंथियों के दबाव में आकर उन्हें ईएसी की सदस्यता छोड़ने को कहा था. कट्टरपंथियों के दबाव में आकर शुक्रवार को इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रख्यात अर्थशास्त्री मियां का नवगठित आर्थिक परिषद से नामांकन वापस ले लिया था.

अहमदियों को मुस्लिम नहीं मानता पाकिस्तान

ज्ञात हो कि पाकिस्तान के संविधान के अनुसार अहमदियों कला शुमार गैर मुस्लिमों में होता है. साथ ही कई ऐसे मुस्लिम स्कूल ऑफ थॉट भी है जो अहमदियों की विचारधारा को इस्लाम के खिलाफ या फिर  उनकी मान्यताओं को ईशनिंदा मानते हैं. पाकिस्तान के इतहास में कई ऐसे मौके आए हैं जब कट्टरपंथियों ने माइनॉरिटी अहमदियों को अपना निशाना बनाया है और उनके धार्मिक स्थलों पर तोड़ फोड़ की है. चूंकि बात आतिफ मियां के सन्दर्भ में चल रही है तो आपको बताते चलें कि अभी हाल ही में आतिफ को 18 सदस्यीय ईएसी के सदस्य के तौर पर नामित किया गया था. शीर्ष 25 प्रतिभाशाली युवा अर्थशास्त्रियों की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सूची में शामिल वह अकेले पाकिस्तानी हैं.

कौन हैं आतिफ

अब इसे पाकिस्तान का दुर्भाग्य कहें या कुछ और पाकिस्तान ने केवल अपनी मूर्खता और संकीर्ण मानसिकता के चलते आतिफ को हटाया है. मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से शिक्षित आतिफ मियां प्रतिष्ठित प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं और वह पाकिस्तानी-अमेरिकी हैं.

जेमिमा ने मियां के समर्थन में ट्वीटकरते हुए कहा था कि, 'इसका बचाव नहीं किया जा सकता और यह काफी निराशाजनक है.’पाकिस्तान से संबोधित होते हुए जेमिमा ने ये भी कहा था कि, ‘याद रहे, पाकिस्तान के कायदे-आजम (मोहम्मद अली जिन्ना) ने एक अहमदिया मुसलमान को देश का विदेश मंत्री नियुक्त किया था.’

बहरहाल ये पहली बार नहीं है कि इमरान कट्टरपंथ के आगे झुके हैं. पहले जब जेमिमा से शादी होने वाली थी तो उन्होंने कहा था कि वो खुले विचारों के पुरुष हैं. मगर जिस तरह इमरान ने जेमिमा को शादी के बाद छोड़ा वो खुद ब खुद इमरान का चल चरित्र और चेहरा दिखा देता है. जेमिमा के बाद इमरान का रेहम खान से शादी करना और उन्हें छोड़ देना भी इस बात की ओर साफ इशारा कर देता है कि इमरान अवसरवादी हैं और अपनी सफलता के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं.

खैर, जिस तरह आतिफ को अहमदिया होने के बाद हटाया गया है वो ये साफ बता देता है कि पाकिस्तान और वहां के राजनेता भले ही विकास के बड़े बड़े दावे कर लें. मगर बात जब धर्म और कट्टरपंथ की आएगी तो उसके आगे झुकना कहीं न कहीं उनकी राजनीतिक मजबूरी है. इस पूरे मामले के बाद हम बस ये कहकर अपनी बात खत्म करते हैं कि आतिफ को अपने से अलग कर पाकिस्तान और वहां की हुकूमत ने एक बड़ी गलती की है. ये गलती उसे कितनी महंगी पड़ने वाली हैं इसका भी फैसला आने वाले वक़्त में हो जाएगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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