2019 में क्रैश हुआ राहुल का राफेल डील मुद्दा UP चुनाव में उड़ान भर पाएगा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ आम चुनाव में फ्लॉप शो रहा राफेल डील (Rafale Deal Probe) का मुद्दा, लगता नहीं कि 2022 के विधानसभा चुनावों में कोई असर दिखा पाएगा - हां, अगर विपक्ष का साथ मिले तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को थोड़ा फायदा हो सकता है.
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राफेल डील (Rafale Deal Probe) की आग बुझी तो नहीं थी, लेकिन 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के मुद्दा बनाने के बावजूद कांग्रेस की हार के साथ ही उसकी लपटें धीमी जरूर पड़ गयी थीं - अब एक बार फिर धुआं उठने जरूर लगा है और ये फ्रांस में दिखायी पड़ा है - लेकिन देश की राजनीति में भी कोई असर पड़ेगा क्या?
धुआं कहीं भी दिखे, जिसके मतलब का होता है वो आग के लेवल के चक्कर में नहीं पड़ता, मौका मिलते ही अपने विरोधी पर धावा बोल ही देता है - और राहुल गांधी बिलुकल ऐसा ही फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ शुरू कर चुके हैं.
राफेल डील की जांच के लिए फ्रांस में एक जज की नियुक्ति की गयी है. राफेल डील की जांच के लिए फ्रांस के ही एक एनजीओ ने 2018 में ही शिकायत दर्ज करायी थी, लेकिन तब वहां की पब्लिक प्रॉसिक्यूशन सर्विस ने जांच की डिमांड खारिज कर दी थी, लेकिन अब वो भारत के साथ हुई इस डील में भ्रष्टाचार के साथ साथ इस बात की जांच के लिए भी तैयार हो गयी है कि कहीं कोई पक्षपात भी हुआ है क्या? मतलब, किसी का फेवर लिया गया है क्या?
फ्रांस और भारत के बीच जब ये डील हुई थी तो मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल माक्रोन तब की फ्रांस्वा ओलांद सरकार में वित्त मंत्री रहे. खबर है कि इमैनुएल माक्रोन और फ्रांस्वा ओलांद के साथ साथ फ्रांस के मौजूदा विदेश मंत्री जीन यवेस ले ड्रियान से भी पूछताछ हो सकती है - क्योंकि सौदा पक्का होते वक्त वो फ्रांस सरकार में रक्षा मंत्री हुआ करते थे.
राफेल डील की जांच की खबर ऐसे वक्त आयी है जब कुछ ही महीनों में देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं - और इसी महीने संसद का मॉनसून सत्र बुलाया जाना है - संसद में विपक्ष का हंगामा तो तय है, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनावों पर भी राफेल डील जांच का कोई असर हो सकता है क्या?
'चौकीदार...' के फ्लॉप शो के आगे क्या है?
2019 के आम चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मुद्दा बनाने की कोशिश की थी. चुनावी रैलियों में राहुल गांधी जगह जगह लोगों से 'चौकीदार चोर है' के नारे भी लगवाते रहे. राहुल गांधी ने इस नारे की शुरुआत तो 2028 के आखिर में हुए विधानसभा चुनावों में ही कर दी थी. जब तीन राज्यों में कांग्रेस को जीत मिली तो उत्साह बढ़ा और फिर आम चुनाव के लिए ये स्लोगन पक्का कर लिया गया.
राफेल डील में भ्रष्टाचार के आरोप बीजेपी को भारी पड़ने लगे थे. फिर बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी सुप्रीम कोर्ट चली गयीं और राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की मांग की. आम चुनाव के दौरान ही राहुल गांधी को राफेल डील पर बयानबाजी के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी तक मांगनी पड़ी थी - लेकिन चुनावी हार के बाद जब राहुल गांधी ने अपना इस्तीफा ट्विटर पर सार्वजनिक किया तब भी यही दोहराया कि प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपने आरोप से वो पीछे नहीं हटे हैं - 'चौकीदार चोर है.'
2019 में फेल रहे राफेल डील का मुद्दा राहुल गांधी के लिए UP चुनाव में भी कोई असर नहीं दिखाने वाला?
प्रधानमंत्री मोदी को राहुल गांधी के अटैक को काउंटर करने के लिए खुद मोर्चा संभालना पड़ा था. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर अपना प्रोफाइल बदला और नाम के पहले 'चौकीदार' शब्द जोड़ दिया. प्रधानमंत्री को फॉलो करते हुए बीजेपी नेताओं और समर्थकों ने भी नाम के पहले चौकीदार जोड़ लिया - तब जाकर हमले की धार कम की जा सकी. 2017 में गुजरात में कांग्रेस के कैंपेन विकास पागल हो गया है के बाद ये दूसरा मौका था जब प्रधानमंत्री ने अपनी लोकप्रियता के बूते कांग्रेस के किसी मुहिम की धार कमजोर किये थे.
राहुल गांधी तब से लेकर अब तक कांग्रेस की कमान संभालने के लिए तैयार नहीं हो पाये हैं - इसके लिए कई बार पार्टी की तरफ से तारीखें भी बतायी गयीं, लेकिन मामला टल जाता रहा है. यहां तक कि कांग्रेस में एक स्थायी अध्यक्ष की मांग को लेकर G23 ग्रुप भी एक्टिव हो गया है, जिसे कांग्रेस में बागियों के तौर पर देखा जाता है - और उसी ग्रुप के एक सदस्य जितिन प्रसाद अब कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं.
अब जबकि फ्रांस में राफेल डील की जांच कराने की खबर आयी है, राहुल गांधी नये सिरे से एक्टिव नजर आ रहे हैं. ट्विटर पर नयी टिप्पणी पेश की है, लेकिन मुहावरे को अधूरा रखा है - और लॉकडाउन के बाद बढ़ी और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में काफी चर्चित रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दाढ़ी से भी जोड़ने की कोशिश की है.
चोर की दाढ़ी…#RafaleScam
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 3, 2021
सिर्फ इतना ही नहीं, राहुल गांधी ने इंस्टाग्राम पर भी एक पोस्ट की है - एक इलस्ट्रेशन तैयार किया गया है जिसमें आधा चेहरा नजर आता है और लंबी दाढ़ी में नीचे राफेल विमान की तस्वीर जोड़ दी गयी है. ट्विटर की ही तरह राहुल गांधी ने इंस्टाग्राम पर भी वही जुमला लिखा है - चोर की दाढ़ी... और हैशटैग भी इस्तेमाल किया है #RafaleScam.
राहुल गांधी को सक्रिय देख कांग्रेस नेताओं ने भी मोर्चा संभाल लिया है. कांग्रेस नेतृत्व ने प्रवक्ताओं को आगे कर दिया है. रणदीप सुरजेवाला के बाद कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी और केंद्र सरकार से जोर जोर से सवाल पूछना शुरू कर दिया है.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पूछा कि 59 हजार करोड़ की राफेल डील में प्रधानमंत्री मोदी JPC की जांच से क्यों बचना चाहते हैं? पवन खेड़ा ने कहा, 'फ्रांस सरकार ने राफेल डील में भ्रष्टाचार, लोगों को प्रभावित करने, मनी लॉन्ड्रिंग और पक्षपात किये जाने जैसे आरोपों की जांच के लिए एक जज को नियुक्त किया है... पूरी दुनिया और पूरा देश केंद्र की तरफ देख रहा है - वो चुप क्यों हैं?'
ट्विटर पर राहुल गांधी ने एक पोल भी कराया है. 10.45 AM के इस ट्विटिर पोल मे करीब 75 हजार लोगों ने हिस्सा लिया है और 63.2 फीसदी लोगों ने चौथा ऑप्शन चुना है - ये सभी विकल्प सही हैं.
पोल में तीन विकल्प और भी दिये गये थे - 1. अपराध बोध, 2. मित्रों को बचाना है और 3. जेपीसी को राज्यसभा सीट नहीं चाहिये - इनमें 'मित्रों को...' ऑप्शन को बाकियों से ज्यादा 24.3 फीसदी वोट मिले हैं.
JPC जाँच के लिए मोदी सरकार तैयार क्यों नहीं है?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 4, 2021
संसद के मॉनसून सत्र के ठीक पहले सामने आये राफेल डील का मुद्दा सदन में कार्यवाही पर असर तो डालेगा ही. शोर शराबे के बाद कांग्रेस को विपक्ष का साथ मिल पाता है या नहीं ये भी देखना होगा. वैसे भी ममता बनर्जी के लिए शरद पवार, यशवंत सिन्हा और प्रशांत किशोर के एक्टिव होने के कारण कांग्रेस विपक्षी खेमे में उपेक्षा को लेकर थोड़ी सहमी हुई भी है.
एक महत्वपूर्ण सवाल ये ही भी है कि क्या अगले साल 2022 में पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस राफेल डील को नये सिरे से मुद्दा बना पाएगी और अगर ऐसा हुआ तो क्या असर भी होगा - खासकर उत्तर प्रदेश में?
2022 के विधानसभा चुनावों पर असर
आम चुनाव में तो राहुल गांधी का 'चौकीदार...' स्लोगन सुपर फ्लॉप रहा. अगर राहुल गांधी अमेठी से चुनाव नहीं हारे होते तो भी लगता कि चलो ज्यादा न सही कुछ तो असर हुआ है, लेकिन पूरी कांग्रेस भी 52 सीटों पर ही सिमट कर रह गयी. दो सीटें तो रायबरेली से सोनिया गांधी और केरल के वायनाड से राहुल गांधी ने ही जीती थी.
पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी की हार से मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का हौसला बढ़ा है और कांग्रेस को अलग रखते हुए ज्यादातर विपक्षी नेता एक्टिव भी हैं, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनावों पर राफेल डील का मुद्दा उछालने से कोई फर्क पड़ेगा भी, ऐसे कम ही चांस हैं.
राफेल डील का मामला केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी की सरकार से जुड़ा है, ऐसे में विधानसभा चुनावों में कोई मतलब नहीं रह जाता - और वो भी तब जब राफेल डील के आरोपों को काउंटर क्या न्यूट्रलाइज करते हुए बीजेपी सत्ता में पहले से ज्यादा सीटों के साथ वापसी कर चुकी हो.
रही बात उत्तर प्रदेश की तो भला राफेल डील का योगी आदित्यनाथ की सरकार से क्या लेना देना?
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का नेतृत्व महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा कर रही हैं - बेशक राहुल गांधी भी मोर्चे पर डटे नजर आएंगे, लेकिन सारा दारोमदार तो लगता है आगे भी प्रियंका गांधी वाड्रा पर ही रहने वाला है. फिलहाल जो हाल है उससे तो ऐसा ही लगता है.
जहां तक यूपी की योगी सरकार की बात है - विधानसभा चुनाव बीजेपी एक तरीके से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ रही है - इसलिए, सीधा असर तो नहीं ही होने वाला.
हां, यूपी में प्रधानमंत्री मोदी को थोड़ा बहुत घेरने में राफेल मुद्दा राहुल गांधी के काम जरूर आ सकता है - यूपी के अलावा बाकी राज्यों के चुनावों में भी ये राहुल गांधी के लिए मसाले का काम करेगा - क्योंकि वैसे ही भी चुनाव कोई भी हो राहुल गांधी के निशाने पर रहते तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं.
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