वायनाड के छात्रों का सोनू सूद पर भरोसा, राहुल गांधी पर सवाल तो है ही
वाक़ई ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो काम केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी को करना चाहिए अगर वो काम बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद को करना पड़ रहा है तो ये वो अवस्था है जिसमें बतौर सांसद राहुल को शर्मसार हो जाना चाहिए.
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2014 में कांग्रेस क्यों धाराशाही हुई और कैसे बीजेपी सत्ता में आई ? कांग्रेस समर्थक Anti incumbency को आधार बनाकर संतोष कर सकते हैं लेकिन जब हम 2019 आम चुनावों पर नजर डालते हैं और परिणामों का अवलोकन करते हैं तो मिलता है कि देश की जनता द्वारा कांग्रेस को नकारने की एकमात्र वजह Anti Incumbency तो थी ही इसका एक बड़ा कारण पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी भी थे.
2019 आम चुनाव में अमेठी में जिस तरह राहुल गांधी, स्मृति ईरानी से हारे उसने तमाम बातों पर मोहर लगा दी. सवाल होगा कि राहुल गांधी, 2019 आम चुनाव और अमेठी का जिक्र क्यों? जवाब के लिए हमें एक्टर सोनू सूद से मिलने के अलावा केरल चलना होगा और राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र 'वायनाड' का दौरा करना होगा. अब इसे दुर्भाग्य कहें या कुछ और जो काम वायनाड के लिए राहुल गांधी को बहुत पहले कर देना था उस काम को करने के लिए एक्टर सोनू सूद ने अपनी कमर कस ली है.
वायनाड में अपने प्रयासों से सोनू सूद ने राहुल गांधी को शर्मसार कर दिया है
क्या है मामला
देशभर में उच्च साक्षरता दर वाले राज्य केरल में कोविड 19 के कारण शिक्षा के प्रवाह में जो असर पड़ा है उसे जानने के लिए आजतक / इंडिया टुडे ने रियलिटी चेक किया. इंडिया टुडे ये जानना चाह रहा था कि केरल में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिक्षा के आ जाने से छात्रों को किन चुनैतियों का सामना करना पड़ रहा है.इसी क्रम में जब उत्तरी केरल स्थित वायनाड जोकि राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र है वहां जब इंडिया टुडे की टीम गई तो जो बातें निकल कर आईं वो चौंकाने वाली थीं.
2019 से राहुल यहां के सांसद हैं और जैसे हालात हैं उन्होंने न केवल बतौर सांसद राहुल गांधी को बेनकाब किया बल्कि ये भी बताया कि 3 साल सांसद रहने के बावजूद उन्होंने यहां भी अमेठी वाला काम किया और विकास के नाम पर या तो जुमले दिये या फिर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तरह तरह के आरोप लगाए.
सरकारी डेटा पर यकीन करें तो वायनाड का 74.10 फीसदी क्षेत्र जंगल है. आदिवासियों की भी एक बड़ी आबादी यहीं पर वास करती है. पर्यावरण की दृष्टि से भले ही ये एक हरा भरा क्षेत्र हो लेकिन बात ऑनलाइन एजुकेशन और इंटरनेट कनेक्टिविटी की हुई है तो बताना जरूरी है कि यहां टावर नहीं है इसलिए डिजिटल इंडिया की इन बड़ी बड़ी बातों के बीच यहां छात्रों को इंटरनेट ही नहीं मिल पा रहा है.
@SonuSood is going to #Wayanad to help kids learn as they don't have enough technology there. Keep in mind it's @RahulGandhi s constituency. This is exactly the kind of mismanagement that leads to people losing faith in @INCIndia. Please rectify asap.
— NightBrawler (@jacquesmugatu) June 28, 2021
हमारी आपकी तरह ये खबर गरीबों के मसीहा और इस कोरोनकाल में किसी सुपर हीरो की तरह सामने आए सोनू सूद तक भी पहुंची. सोनू ने न केवल इस समस्या का संज्ञान लिया बल्कि ट्विटर पर इंडिया टुडे समूह के पत्रकार को आश्वासन दिया को वायनाड में जल्द से जल्द नया टावर लगाया जाएगा.
सवाल ये है कि बतौर सांसद राहुल गांधी को अपने क्षेत्र से जुड़ी इस समस्या की जानकारी जरूर रही होगी. ऐसे में यदि उनका काम बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद को करना पड़ रहा है तो साफ हो जाता है कि राहुल गांधी में राजनीतिक योग्यता कितनी है.
मामले पर इंडिया टुडे पत्रकार को जवाब देते हुए सोनू ने ट्वीट अपने फाउंडेशन के अलावा चंद और लोगों को टैग किया है. सोनू ने लिखा है कि - किसी की भी पढ़ाई अधूरी नही4 रहेगी. @Itsgopikrishnan वायनाड में सबको बता दीजिए कि हम वहां पर मोबाइल टावर इंस्टाल करने के लिए एक टीम भेज रहे हैं. साथ ही सोनू ने ये भी लिखा कि @Karan_Gilhotra अब वक्त आ गया है कि हम अपनी सीटबेल्ट कस कर बांध लें. एक और मोबाइल टावर लगाने का वक़्त आ गया है @Sood Foundation.
No one will miss their education.@Itsgopikrishnan tell everyone in Wayanad, Kerala that we are sending a team to get a mobile tower installed. @Karan_Gilhotra let's fasten our seat belts, time for another Mobile Tower. @SoodFoundation ?? https://t.co/cqKQlbQZFU
— sonu sood (@SonuSood) June 28, 2021
राहुल जान लें सोनू सांसद नहीं है.
हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि यहां साफ कमी राहुल गांधी की है. जब वो देख रहे थे कि हाथियों के अलावा इंटरनेट बच्चों की पढ़ाई बाधित कर रहा है तो उन्होंने मामले के मद्देनजर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? बात सीधी और साफ है यदि राहुल का काम एक बॉलीवुड एक्टर को करना पड़ रहा है तो ये बात राहुल गांधी की पॉलिटिकल समझ पर सवाल उठाती है और उनकी काबिलियत को सवालों के घेरे में लाती है.
I hope @RahulGandhi the Wayanad MP watches this story. It’s for him and Kerala Govt to help reduce the digital divide, a big challenge for rural education in COVID times. @SonuSood has offered to help after watching our story. Should be done by netas/public reps.@IndiaToday https://t.co/HAIqzNVizx
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) June 28, 2021
राहुल ने अपने को साबित करने का बड़ा मौका गंवा दिया है.
वायनाड में जो मामला इंटरनेट का सामने आया है उसके लिए राहुल गांधी न तो नरेंद्र मोदी और भाजपा को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं न ही इसके लिए गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह जैसे लोग जिम्मेदार है. राहुल वायनाड के सांसद थे अमेठी हारने के बाद पहले ही उनकी बड़ी फजीहत हो चुकी थी.
ऐसे में राहुल के पास क्षेत्र की समस्याओं के निदान के रूप में अपने को सिद्ध करने का एक बड़ा मौका था और पूरे मामले में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यही है ये मौका राहुल ने गंवा दिया है.
कह सकते हैं कि बतौर सांसद राहुल गांधी के लिए इस समस्या का समाधान कराना एक बहुत छोटी सी बात थी जिसका बड़ा फायदा उन्हें भविष्य या बहुत सीधे कहें तो 2024 के आम चुनाव और 22 में होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिलता. इस मामले के बाद ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं है कि अब वो वक़्त आ गया है जब एक राजनेता, एक सांसद के रूप में राहुल गांधी को समझ लेना चाहिए कि राजनीति का मतलब न तो केवल आरोप प्रत्यारोप हैं और न ही बतकही.
खैर इस पूरे मामले में हीरो सोनू सूद हैं. ये सोनू के ही प्रयास हैं जिनके बाद इस पहल के लिए सोये हुए राहुल गांधी जागे और उन्होंने चिट्ठी लिखने की जहमत उठाई.
Hon'ble Shri @RahulGandhi ji writes to Union Minister of Communications Shri @rsprasad requesting him to take immediate action to resolve the mobile network problem in the hilly region of #Wayanad Parliamentary constituency.@INCIndia @INCKerala pic.twitter.com/jjh83IsiQB
— Vamshi Chand Reddy చల్లా వంశీచంద్ రెడ్డి (@VamsiChandReddy) June 28, 2021
अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि ये वाक़ई शर्मनाक है जब किसी सांसद का काम किसी एक्टर को करना पड़े. ऐसा सांसद जिसे देश बतौर प्रधानमंत्री देख रहा है. जिससे देश के एक वर्ग को ठीक ठाक उम्मीदें हैं जिसका मानना है कि अपने पिता की तरह राहुल भी भारत की तस्वीर बदलने और उसे बुलंदियों पर ले जाने का सामर्थ्य रखते हैं.
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