संघ को लेकर राहुल गांधी के ताजा विचार जल्द ही आने वाले हैं!
संघ के खिलाफ टिप्पणी को लेकर मानहानि केस में 12 जून को भिवंडी कोर्ट में पेश होने के बाद राहुल गांधी मुंबई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे - और उसी दौरान पूरे प्रकरण पर उनकी चुप्टी टूट सकती है.
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प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में जाने को लेकर रिएक्शन का दौर थमा नहीं है. अब तक अगर कोई चुप है तो वो सिर्फ राहुल गांधी ही हैं. अब राहुल गांधी चुप हैं इसलिए कांग्रेस की ऑफिशियल लाइन भी 'नो कमेंट्स' टाइप है. वैसे इस लाइन पर रहते हुए भी कांग्रेस के कई सारे नेता अपने निजी विचार तो बता ही चुके हैं.
हालांकि, अब ये लगने लगा है कि राहुल गांधी भी कुछ बोले होते तो चुप रहने से ज्यादा फायदे में रहते. राहुल गांधी के चुप रहने की एक वजह संघ पर उनकी एक टिप्पणी को लेकर कोर्ट केस भी है. भिवंडी में 12 जून को इस केस की अगली तारीख है. कोर्ट के बाद राहुल गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी संबोधित करने वाले हैं. माना जा रहा है कि राहुल गांधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच कर प्रणब मुखर्जी पर चुप्पी तोड़ सकते हैं.
अगली तारीख...
मुंबई डिब्बेवालों के लिए जानी जाती रही है, लेकिन राहुल गांधी की मुंबई यात्रा के दौरान इस बार एक हजार ऑटो रिक्शा चालक उनका स्वागत करने वाले हैं. कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने इसे कांग्रेस अध्यक्ष के प्रति आम आदमी का स्नेह बताया है. दिल्ली में ऑटोवालों का ये प्यार अब तक अरविंद केजरीवाल को मिलता रहा है - आगे केजरीवाल की किस्मत जाने.
राहुल की ये चुप्पी!
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर टिप्पणी को लेकर चल रहे मानहानि केस में राहुल गांधी को व्यक्तिगत तौर पर भिवंडी कोर्ट में 12 जून को पेश होना है. अब तक के कार्यक्रम के अनुसार राहुल गांधी राहुल गांधी सुबह भिवंडी पहुंचेंगे और फिर कोर्ट में पेश होने के बाद दोपहर तक मुंबई. फिर गोरेगांव के एनएसई मैदान पर राहुल गांधी के बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करने का कार्यक्रम है.
इस मौके पर राहुल गांधी 'प्रॉजेक्ट शक्ति' लांच करेंगे जिसका मकसद जमीनी कार्यकर्ताओं और केंद्रीय नेतृत्व के बीच दोतरफा संवाद शुरू कराना है. इसी दौरान एक वीडियो भी जारी होगा जिसमें एक खास नंबर होगा जिससे कोई भी सीधे संगठन से जुड़ सकता है. सामने आने पर जैसा भी लगे, फिलहाल ये बीजेपी के मिस्ड कॉल प्रॉजेक्ट से मिलता जुलता लगता है.
खामोशी का खामियाजा भी भुगतना पड़ता है...
चर्चा है कि इसी मौके पर राहुल गांधी अपनी चुप्पी तोड़ सकते हैं. यही वो मौका होगा जब राहुल गांधी का संघ के बारे में अपडेटेड विचार सुनने को मिल सकता है - और संभव है प्रणब मुखर्जी के नागपुर दौरे को लेकर भी.
'प्रणब बनेंगे प्रधानमंत्री!'
प्रणब मुखर्जी के सक्रिय राजनीति में लौटने को लेकर जो शिगूफा छोड़ा गया है, शिवसेना ने उसे और हवा दे दी है. शिवसेना ने इसे 2019 में बीजेपी के खराब प्रदर्शन की स्थिति में संघ का पूर्व नियोजित प्लान बताया है. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने 2019 में प्रणब मुखर्जी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना जतायी है. शिवसेना के इस दावे को प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने सिरे से खारिज कर दिया है.
प्रणब मुखर्जी के संघ के कार्यक्रम में शिरकत के बाद जो फोटोशॉप तस्वीर आई तो शर्मिष्ठा को पिता पर टिप्पणी का एक और मौका मिला. शर्मिष्ठा का कहना था कि उन्हें संघ और बीजेपी खेमे से ऐसी ही डर्टी पॉलिटिक्स का डर था. एक बार फिर शर्मिष्ठा ने शिवसेना को सख्त लहजे में साफ करने की कोशिश की है कि उसकी हवाबाजी का हकीकत से कोई लेना देना नहीं है.
संजय राउत के बयान पर शर्मिष्ठा ने ट्विटर पर जवाब दिया है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी ने ट्वीट कर अटकलों को खारिज कर दी है, "श्रीमान राउत, राष्ट्रपति पद से रिटायर होने के बाद मेरे पिता फिर दोबारा सक्रिय राजनीति में कदम नहीं रखने जा रहे हैं."
Mr. Raut, after retiring as President of India, my father is NOT going to enter into active politics again https://t.co/WJmmZx5g1y
— Sharmistha Mukherjee (@Sharmistha_GK) June 10, 2018
शिष्टाचार और संबंध
संघ के प्रति प्रणब मुखर्जी के विचारों को लेकर कांग्रेस की ओर से बार बार बुराड़ी सम्मेलन के ड्राफ्ट की याद दिलायी जा रही है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की शिकायत रही कि जो बात प्रणब मुखर्जी ने उन लोगों को सिखायी उससे खुद ही कैसे पलट गये. कांग्रेस नेताओं को ये भी मालूम होना चाहिये कि प्रणब मुखर्जी जब राष्ट्रपति थे तभी से संघ प्रमुख मोहन भागवत के ताल्लुकात अच्छे रहे हैं. भागवत जब दिवाली की पूर्व संध्या पर 5 नवंबर 2015 को राष्ट्रपति भवन में शिष्टाचार मुलाकात के लिए पहुंचे तो प्रणब मुखर्जी ने आगे बढ़ कर स्वागत किया - ये आवभगत आम आदमी से कहीं अधिक विशिष्ट कैटेगरी का बताया जाता है.
शायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सोनिया गांधी से ऐसी ही शिष्टाचार व्यवहार की उम्मीद कर रहे होंगे. दलितों के मुद्दे पर जब कांग्रेस ने बीजेपी को कर्नाटक चुनाव के दौरान कठघरे में खड़ा कर रखा था तो मोदी ने सोनिया पर जोरदार हमला बोला. मोदी का कहना रहा कि दलितों के प्रति कांग्रेस का इतना ही प्यार है कि एक दलित के राष्ट्रपति बनने के इतने दिनों बाद सोनिया गांधी ने कभी मिलने तक की जहमत नहीं उठायी.
देखा जाय तो प्रणब मुखर्जी के नागपुर दौरे को लेकर राहुल गांधी का अब तक न्यूट्रल बने रहना बड़ी चूक है - और राहुल की इस खामोशी का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना भी पड़ सकता है.
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