राहुल गांधी का इस्तीफा-कांड कांग्रेस की और कितनी जग-हंसाई कराएगा ?
राहुल गांधी के इस्तीफे को लेकर जैसा नाटक कांग्रेस पार्टी में मचा है और जैसे एक एक करके पार्टी के पुराने नेता राहुल गांधी के समर्थन में आ रहे हैं साफ पता चल रहा है अभी काफी जगहंसाई कांग्रेस अध्यक्ष और सोनिया गांधी को झेलनी है.
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2019 के लोकसभा चुनाव हुए एक महीना बीत चुका है. देश की जनता ने भाजपा को पूर्ण बहुमत देते हुए कांग्रेस को खारिज कर दिया था. तमाम अहम मुद्दों को हथियार बनाकर पीएम मोदी को 'चौकीदार चोर है' कहकर घेरने वाले राहुल गांधी ने चुनाव परिणामों के बाद मामले की नजाकत समझी और अपने इस्तीफे की पेशकश की. अभी राहुल इस्तीफ़ा देते इससे पहले मां सोनिया समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं तक ने इस्तीफे की पेशकश को खारिज कर दिया. और माना कि वो राहुल गांधी की क्षमताएं ही हैं, जो अधर में फंसी पार्टी के लिए संकटमोचक का काम कर सकती हैं. जैसी स्थिति है साफ हो गया है कि कांग्रेस पार्टी में इस्तीफे का नाटक अभी थमने वाला नहीं है. ध्यान रहे कि राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की है. मुलाकात में ये बात अपने में दिलचस्प है कि कांग्रेस शासित राज्यों के अलग अलग इन मुख्यमंत्रियों ने राहुल गांधी के प्रति अपना समर्थन जताया है.
अपने इस्तीफे के कारण राहुल गांधी लगातार पार्टी की किरकिरी करा रहे हैं
राहुल गांधी का इस्तीफ़ा कैसे पार्टी के लिए एक बड़ी मुसीबत और खुद राहुल गांधी के लिए जगहंसाई का पात्र बना है. इसे हम बीते दिनों की एक घटना से भी समझ सकते हैं. कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने निवास 12, तुगलक लेन पर एक बैठक का आयोजन किया था. इस बैठक में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चौहान, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे समेत पर लगभग 22 वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे और ये मीटिंग तकरीबन दो घंटे चली थी.
मीटिंग में राहुल गांधी नाराज थे. मीटिंग के आरंभ में ही राहुल गांधी ने अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा था कि, 'मैं इस्तीफा दे चुका हूं, इसलिए आप मुझे इस्तीफा वापस लेने को लेकर कोई बात न करें. राहुल गांधी ने अपने सभी वरिष्ठ नेताओं को नसीहत करते हुए कहा था कि, जैसे चुनाव परिणाम आए हैं लग रहा था कि आप जीतने के लिए तैयार ही नहीं हैं. अगर आप सभी लोगों ने सही जानकारी जुटाई होती और कार्यकर्ताओं का मन समझा होता. तो ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होती और मुझे इस्तीफा नहीं देना पड़ता. जिस भी कारण से पार्टी की हार हुई है, वह मुझे काफी नागवार लगा है. राहुल गांधी ने अपनी बात खत्म करते-करते इतना भर जोड़ा कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस्तीफा दे दिया, लेकिन पार्टी के बड़े कार्यकर्ताओं ने ऐसी पहल तक नहीं की.
राहुल गांधी का इतना कहना भर था कि इस्तीफों की झड़ी लग गई है. बात अगर केवल उत्तर प्रदेश कांग्रेस की हो तो सिर्फ UPCC से 22 इस्तीफे राहुल गांधी के सामने पेश किये गए हैं. ध्यान रहे कि इन 22 इस्तीफों से पहले भी यूपी से 13 इस्तीफे राहुल गांधी के समक्ष पेश किये गए थे. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि यूपी में, जहां कांग्रेस पहले ही मरणासन्न स्थिति में है, वहां के इस्तीफों से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला था. दिलचस्प तो उन कांग्रेस शासित राज्यों के नेताओं का रवैया था. इंतजार किया जा रहा था कि राहुल गांधी की टिप्पणी पर वे किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, एमपी के सीएम कमलनाथ, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने राहुल गांधी से कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के फैसले को बदलने की गुहार लेकर दिल्ली पहुंचे. और उसके बाद जो हुआ, वह देखने लायक था.
Delhi: Punjab CM Captain Amarinder Singh, Madhya Pradesh CM Kamal Nath, Rajasthan CM Ashok Gehlot, Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel, & Puducherry CM V Narayanasamy arrive at the residence of Congress President Rahul Gandhi to urge him to take back his resignation. pic.twitter.com/yhL3otfTOk
— ANI (@ANI) July 1, 2019
इस मीटिंग में क्या हुआ? इसकी जानकारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दी. अशोक गहलोत ने कहा कि बैठक अच्छी रही, हमने करीब दो घंटे तक बातचीत की. हमने उनतक पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को पहुंचाया. हमें उम्मीद है कि वह हमारी बात पर विचार करेंगे और सही फैसला लेंगे.
Rajasthan CM Ashok Gehlot after Congress CMs meet with Rahul Gandhi: It was a good meeting, we talked for around 2 hours, we conveyed to him the feelings of our party workers & leaders. We hope that he will pay heed to our views and do the right thing. pic.twitter.com/jPSIXKQX9r
— ANI (@ANI) July 1, 2019
बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना बेहद जरूरी है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में करारी शिकस्त के बाद राहुल गांधी ने खुले तौर पर अशोक गेहलोत और कमलनाथ का नाम लेकर कहा था कि ये दोनों बड़े नेता पार्टी को जिताने के बजाए अपने बेटों का चुनाव प्रचार करते रहे. राहुल गांधी के इस्तीफा-कांड के बाद ये पहला मौका था जब कांग्रेस शासित अलग अलग प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी. इस बैठक से पहले ये कहकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सियासी सरगर्मियां तेज कर दीं थी कि राहुल गांधी से मुलाकात के बाद ही वो हार की जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे.
बहरहाल, जैसे हालात हैं 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही राहुल गांधी के कारण आम जनता के बीच कांग्रेस पार्टी की जबरदस्त किरकिरी हो रही है. कुल मिलाकर कहा यही जा सकता है कि यदि राहुल वाकई पार्टी के हितैषी हैं तो उन्हें कोई ऐसा ठोस प्लान सोचना होगा जिसके तहत रोज-रोज चल रहा इस्तीफे का ये ड्रामा खत्म हो.
राहुल गांधी को तभी राजनीतिक रूप से परिपक्व माना जाएगा जब वो इस बात को समझ जाएं कि एक मुश्किल वक्त में उनका इस्तीफ़ा पार्टी और पार्टी से जुड़े नेताओं का समय बर्बाद कर रहा है. वरना यूं भी 2014 के चुनाव के दौरान मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा इस बात को साफ तौर पर देश की जनता के सामने ला ही चुके हैं कि यदि वाकई कांग्रेस को अपना अस्तित्व बचाना है तो उसे सबसे पहले राहुल गांधी को खारिज करना सीखना होगा.
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