New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 07 जून, 2018 08:09 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
  @ashok.upadhyay.12
  • Total Shares

मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसान विरोधी आंदोलन के दौरान पांच किसानों की पुण्यतिथि पर राहुल गांधी के भाषण ने भाजपा नेता अरूण जेटली और कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला के बीच "तथ्यों का युद्ध" शुरु कर दिया है.

rahul gandhi, mandsaurराहुल के आरोपों ने तथ्यों की जांच बिठवाने वाला काम किया है

राहुल गांधी पर उनके भाषण के लिए हमला करते हुए जेटली ने अपने फेसबुक पर लिखा "वो कितना जानते हैं?" ब्लॉग पोस्ट करने के कुछ घंटों के भीतर ही कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने हर प्वाइंट पर उनका जवाब दिया.

राहुल का आरोप

मोदी ने देश के 15 शीर्ष उद्योगपतियों के 2.5 लाख करोड़ रुपये के ऋण माफ कर दिए.

जेटली:

जिन लोगों ने बैंकों और अन्य लेनदारों से पैसा लिया था और खुद को दिवालिया घोषित कर दिया गया था. साथ ही उन लोगों को आईबीसी के द्वारा कंपनियों से बाहर कर दिया गया था. आईबीसी ने ये काम मोदी सरकार के कहने पर किया था. इनमें से ज्यादातर कर्जे यूपीए सरकार के दौरान दिए गए थे.

सुरजेवाला:

3 अप्रैल, 2018 को वित्त मंत्रालय द्वारा संसद को दिए गए जवाब के अनुसार मोदी सरकार ने अपने घनिष्ठ मित्रों के 2.41 लाख करोड़ रुपये के ऋणों को माफ कर दिया था.

राहुल का आरोप

किसानों के लिए ऋण उपलब्ध नहीं हैं. बल्कि सिर्फ उद्योगपतियों के लिए उपलब्ध है.

जेटली:

यूपीए सरकार और खासकर यूपीए II के समय ज्यादातर पैसे दिए गए थे जो अब एनपीए बन चुके हैं. ये पैसे 2008-2014 के दौरान दिए गए थे. 2014 से हम इन पैसों को रिकवर करने के लिए व्यवस्थित ढंग से कदम उठा रहे हैं.

सुरजेवाला:

"वास्तव में मोदी सरकार एनपीए सरकार" है. 6 अप्रैल, 2018 को वित्त मंत्रालय द्वारा संसद को दिए गए उत्तर के अनुसार, मार्च 2014 में सकल एनपीए 2,51,054 करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर 2017 में 8,31,141 करोड़ रुपये हो गया है. यानी मोदी सरकार के दौरान एनपीए में 230 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

राहुल का आरोप

प्रधान मंत्री ने दो हीरे व्यापारियों को 35,000 करोड़ रुपये दिए हैं जो अब देश छोड़कर जा चुके हैं.

जेटली:

ये बैंकिंग धोखाधड़ी वर्ष 2011 में शुरू हुई, जब यूपीए II सत्ता में थी. इसका सिर्फ पता एनडीए की सरकार के दौरान चला है.

सुरजेवाला:

मोदी सरकार की निगरानी में "बैंकों से पैसे लो और विदेश भाग जाओ" "धोखाधड़ी करने वालों के लिए ये सुविधा" उपलब्ध है. शायद, श्री अरुण जेटली 61,036 करोड़ रुपये से अधिक के हालिया "बैंक लूट घोटालों" को भूल गए हैं. चलिए बीजेपी को हम याद दिला देते हैं.

राहुल का आरोप

rahul gandhi, mandsaurराहुल बोलने के चक्कर में कुछ भी बोल गए

अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो जो मोबाइल फोन आज चीन में बनता है वो भारत में बनने लगेगा.

जेटली:

2014 में जब यूपीए सत्ता से बाहर हो गई थी तो भारत में सिर्फ दो ही मोबाइल फोन निर्माण इकाइयां थीं. चार साल में हमारी इलेक्ट्रॉनिक्स नीति और प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप 2018 में इस क्षेत्र में 1,32,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ और 120 इकाइयों तक आंकड़ा बढ़ गया है.

सुरजेवाला:

मोदी सरकार में "मेक इन इंडिया" सिर्फ एक नारा बनकर रह गया है. बीजेपी और उसके बिना पोर्टफोलियो वाले मंत्री भूल जाते हैं कि :-

- 2016 में औद्योगिक विकास दर 7.4 प्रतिशत से घटकर 2018 में 4.45 प्रतिशत हो गई है.

- जीएफसीएफ, यानी, निवेश का सूचकांक, 31.34 प्रतिशत से 28.49 प्रतिशत पर गिर गया है.

- 2013-14 में भारत का निर्यात 19.05 लाख करोड़ रुपये से घटकर 10.73 लाख करोड़ (2017-18) हो गया है.

- 2014 और 2018 के बीच, निर्यात से भारत का राजस्व शून्य है.

राहुल के आरोप

भारत में नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है.

जेटली:

नवीनतम सकल घरेलू उत्पाद के डाटा ने भारत को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप माना है. निर्माण में वृद्धि, विनिर्माण में विस्तार, बढ़ता पूंजी निर्माण बताता है कि निवेश में वृद्धि हो रही है, भौतिक आधारभूत संरचना में बड़े निवेश और ग्रामीण भारत में निवेश में वृद्धि हुई है. ये सब नौकरी बनाने वाले क्षेत्र हैं.

सुरजेवाला:

बीजेपी ने प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरियों का वादा किया था. लेकिन कड़वी सच्चाई ये है कि उन्होंने सिर्फ हमारे युवाओं को धोखा दिया है.

- मोदी सरकार ने 2016-17 में केवल 4.16 लाख नौकरियां दीं.

- 2019 तक आईएलओ के मुताबिक 77 प्रतिशत भारतीय श्रमिकों के पास खराब रोजगार होगा.

- सीएमआईई के मुताबिक नोटबंदी ने 15 लाख नौकरियों खा लीं.

(DailyO से साभार)

ये भी पढ़ें-

किसानों का दुख दर्द बांटने मंदसौर गये राहुल गांधी ने तो कांग्रेस का मैनिफेस्टो ही बता डाला

क्या राहुल गांधी के पास किसानों की भलाई के लिए कोई योजना है ?

न तो मंदसौर हिंसा में किसान शामिल थे, न सहारनपुर के पीछे दलित-ठाकुर

लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय