10 वर्षीय बालिकाओं के जिस्म पर लड़ा जाता रूस-यूक्रेन का युद्ध!
किसी भी युद्ध अथवा दंगे का हासिल उन देशों की स्त्रियों के हिस्से बलात्कार की पीड़ा के रूप में आता है. इसका युद्ध और दंगे के कारणों से कोई लेना देना नहीं बल्कि इसकी जड़ें पुरुषसत्ता की उस सोच में है जहां - जर जोरू जमीन को एक साथ रखा जाता है.
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रूस यूक्रेन की लड़ाई के चालीस दिन से ज्यादा बीतने को आये. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूं तो सत्ता के लालच, प्रभुता का नशे की बदौलत हमने और भी युद्ध देखे है किन्तु इस युद्ध की भयावहता देखने के लिए जिगर में हिम्मत चाहिए. यूक्रेन के शहर में तबाही का मंजर देख कर डर और दुख से परे अब दिमाग सुन्न होने लगा है.
रूस यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर जो तस्वीरें यूक्रेन से आ रही हैं वो दिल दहला देने वाली हैं
यूक्रेन की मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट ने ट्वीट कर कुछ दिल दहलाने वाली तस्वीरें साझा की हैं. रूसी सिपाही 10 वर्षीय बच्चियों तक का बलात्कार कर स्त्रियों को स्वस्तिक जैसे आकार से दाग कर छोड़ रहे हैं.
Tortured body of a raped and killed woman. I’m speechless. My@mind is paralyzed with anger and fear and hatred. #StopGenocide #StopPutinNOW pic.twitter.com/Kl0ufDigJi
— Lesia Vasylenko (@lesiavasylenko) April 3, 2022
ये ट्वीट का पूरा अनुवाद नहीं है क्योंकि ट्वीट को शब्द दर शब्द अनुवादित करने में असमर्थता महसूस हो रही है. ये कैसा युद्ध है. दो देशो के बीच युद्ध में मुद्दों में किसी भी देश की स्त्री का बलात्कार, प्रताड़ना और हत्या का औचित्य क्या है?
भविष्य का जिम्मेदार कौन
देश का नेतृत्व वर्तमान और भविष्य का जिम्मेदार होता है किंतु हम ये भूल जाते है कि किसी भी देश का नेतृत्व आने वाले कल का इतिहास रच रहा होता है.कल के इतिहास में यकीनन रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की को ज़िद्दी, क्रूर और सत्ता के मद में चूर नेता के रूप में देखा जाएगा. दो नेता जिन्होंने विश्व शांति के परखच्चे उड़ा दिए क्योंकि दोनों की सोच अपने जीवनकाल से आगे की नहीं.
वो देश और विश्व का कल नहीं देख रहे न देखने में सक्षम है उन्हें दिखा तो मात्र अपना अहम अपने निर्णय को सही साबित करने की ज़िद. वहीं इस युद्ध के परोक्ष ज़िम्मेदार के रूप में अमरीका को भी सदैव दोषी के रूप में देखा जायेगा. विश्व इतिहास में अमरीका की भूमिका तमाम युद्धों में रही जहां शांति से उसका वास्ता कुछ खास नहीं रहा.
अमरीका ने सदा अपनी प्रभुता और वर्चस्व बनाने के लिए दूसरे देशों का इस्तेमाल करने में गुरेज़ नहीं किया. 1970 में अफगानिस्तान में अमरीका द्वारा खड़ा किया आतंकी समूह आज पूरे विश्व को दहशत में डाल चुका है. अफगानिस्तान आज उसी आतंकी समूह द्वारा शासित है. इसी तर्ज़ पर इराक युद्ध भी हुआ और आज रूस-यूक्रेन भी अपने नागरिको को युद्ध की आग में स्वाहा कर रहे हैं.
युद्ध की पीड़ा
युद्ध का निर्णय नेता करते है,युद्ध सिपाही लड़ते है और युद्ध की पीड़ा देश की स्त्रियां और बच्चे भोगते है. युद्ध की हिंसा और क्रोध में जेंटलमैन कहे जाने वाले सिपाही भी नृशंसता की सीमा लांघ जाते हैं.आज यूक्रेन की सड़कों पर लाशें बिखरी हैं .इनमे से कुछ के हाथ बंधे है और कुछ को देख कर लगता है कि युद्ध यूक्रेन की धरती पर नही यूक्रेन की स्त्रियों और लड़कियों के जिस्मो पर लड़ा गया है.
किसी भी युद्ध अथवा दंगे का हासिल उन देशों धर्म या जाति की स्त्रियों के हिस्से ब्लात्कार की पीड़ा के रूप में आता है.एक ऐसा घिनौना अपराध जिसका युद्ध और दंगे के कारणों से कोई लेना देना नहीं बल्कि इसकी जड़ें पुरुषसत्ता की उस सोच में है जहां - जर जोरू जमीन को एक साथ रखा जाता है.
हारने वाले देश का धन उसकी ज़मीन और उसकी स्त्रियां विजेता की सम्पत्ति होती है- 2022 में भी विश्व की श्रेष्ठ सेना के सिपाही इस घटिया घिनौनी सोच को साथ लिए जी रहे है. ये सबूत है की पुरुष की श्रेष्ठता का दम्भ किसी खास समाज में नहीं बल्कि पूरे विश्व में स्त्री को पुरुष से कमतर और सम्पदा के रूप में ही देखा जाता है.
यूक्रेन की नेता लिसा, के किये हुए ट्वीट में , रुसी स्त्रियों पर भी सवाल उठा है कि रूस की माओं ने ऐसे नृशंस हत्यारों और बलात्कारियों को पाला पोसा है. युद्ध की भयानक हिंसा , आये दिन होने वाले हमले, वीरान होते शहर,अनाथ होते बच्चे बेघर होते परिवार और इस युद्ध के अंत के इंतज़ार में विश्व शायद इन अपराधों को युद्ध कीहिंसा के रूप में देखे किन्तु सच्चाई यही है की किसी भी देश की हिंसा और युद्ध की पीड़ा का सबसे बड़ा हिस्सा स्त्रियों के नाम ही होता है.
Russian soldiers loot, rape and kill. 10 y.o. girls with vaginal and rectal tears. Women with swastika shaped burns. Russia. Russian Men did this. And Russian mothers raised them. A nation of immoral criminals
— Lesia Vasylenko (@lesiavasylenko) April 3, 2022
लीसा द्वारा किये हुए एक दूसरे ट्वीट में एक महिला का शव है जिसे स्वस्तिक जैसे आकार से दागा गया है और वह लिखती है, "मेरा दिमाग डर गुस्से और नफरत से सुन्न हो गया है "
इस युद्ध का अंत कब होगा इसके कयास ही लगाए जा सकते है किन्तु इसे देख कर,दिमाग डर गुस्से और नफरत से सुन्न हो रहे है. इसकी ज़िम्मेदारी किसके सर होगी?
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