ये संघ की तारीफ़ नहीं, रिटायरमेंट के बाद "आउट ऑफ टर्न प्रमोशन" का नया पैंतरा है
सरकार की नजर में आने का सबसे सरल अमध्यम बयान हैं इसी के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, जस्टिस केटी थॉमस ने संघ को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जिसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
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मौकापरस्ती बुरी नहीं है. मन के किसी कोने में, कहीं न कहीं हम सभी मौका परस्त हैं. ये हमारी मौकापरस्ती ही होती है जो हमें मजबूर करती है बहती गंगा में हाथ धोने के लिए. हो सकता है ये बात आपको कुछ विचलित कर दे और आप ये सोचने पर मजबूर हो जाएं कि आखिर हमारे इस कथन की क्या वजह है? तो आपको बता दें कि इसके पीछे की वजह सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, जस्टिस केटी थॉमस हैं. थॉमस का अपनी सेवाओं से सेवानिवृत्त होने के बाद संघ पर प्यार आना और उस प्यार के चलते बयान देना सभी हो आश्चर्य में डाल रहा है. लोगों का मत है कि, थॉमस ने ऐसा सिर्फ इसलिए किया है ताकि वो सरकार की नजर में बने रहें और पदों की बंदरबांट में कोई अच्छा फल उनके हाथ भी लग जाए.
संघ पर जस्टिस केटी थॉमस के इस बयान से साफ है कि अब उनका बुढ़ापा सुकून से गुजरेगा
जी हां बिल्क्युल सही सुन रहे हैं आप. संघ के एक प्रशिक्षण शिविर के समापन पर हिस्सा लेने पहुंचे जस्टिस केटी थॉमस ने संघ की तारीफों के पुलिंदे बांधते हुए कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वजह से भारतीय सुरक्षित हैं. संविधान, आर्मी, लोकतंत्र के बाद अगर कोई भारतीयों की रक्षा करता है तो वह संघ है.
स्वंयसेवकों के शारिरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम की जमकर प्रशंसा करते हुए थॉमस का मत है कि हमले के समय संघ के लोग देश के बाहर और भीतर दोनों जगहों पर रक्षा करते हैं. संघ अपने स्वयंसेवकों में 'राष्ट्र की रक्षा' करने हेतु अनुशासन भरता है. इसके अलावा जस्टिस थॉमस ने संघ के लिए ये भी कहा है कि ये संघ के ही प्रयास थे कि देश आपातकाल के समय दिशा में आया और संभला.
हम थॉमस की बात से इत्तेफाक रखते हैं मगर एक ऐसे वक़्त में जब थॉमस न्यायपालिका को अपनी सेवा देकर रिटायर हो चुके हैं साफ दर्शाता है कि वो अपने बयानों की आड़ में कुछ बड़ा करने की फिराक में हैं. बात आगे बढ़ाने से पहले ये बताना बेहद जरूरी है कि, न तो हम थॉमस की आलोचना कर रहे हैं न उनके द्वारा की गयी संघ की तारीफ पर अंगुली उठा रहे हैं. बात बस इतनी है कि एक ऐसे दौर में जब लोग अपने बयानों से लाभान्वित हो रहे हैं हमें ये देखना है कि इस तारीफ के लिए थॉमस को बतौर इमान किस संस्था में बड़ा पद मिलता है.
ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी ने संघ के समर्थन में बयान दिया है
गौरतलब है कि पूर्व में हम गजेन्द्र चौहान, पहलाज निहलानी, चेतन चौहान सरीखे लोगों को बड़े पदों में बैठा हुआ देख चुके हैं. साथ ही हमनें ये भी देखा है कि कैसे मेन स्ट्रीम मीडिया के अलावा फेसबुक. ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर इन लोगों की आम लोगों ने निंदा की थी और सरकार के, इन लोगों पर लिए गए फैसले को गलत ठहराया था.
बहरहाल, बात न्यायपालिका और बयानों की हो रही है तो हमें वो बयान नहीं भूलना चाहिए जब राजस्थान हाईकोर्ट के जज महेश चंद्र शर्मा के एक बयान ने पूरे सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया था और इस बयान पर खूब चर्चा हुई थी. ध्यान रहे कि तब जस्टिस महेश शर्मा ने कहा है कि मोर इसलिए राष्ट्रीय पक्षी है क्योंकि वो सेक्स नहीं करता है और मोरनी उसके आंसू पीकर ही गर्भवती हो जाती है.
अंत में हम बस ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि इस बयान को देने के पहले जस्टिस केटी थॉमस ने खूब दिमाग लगाया है. जज साहब के पास कई दशकों का अनुभव है और वो ये बात अच्छे से जानते हैं कि ऐसे बयान किसी भी व्यक्ति को फौरन सरकार की नजर में हीरो बना देते हैं जिसके चलते सरकार खुश होती है, शाबासी देती है, बड़ा पद मिलता है, जिससे रिटायरमेंट के बाद का बुढ़ापा अच्छे से और सुविधापूर्वक कट जाता है.
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