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Updated: 20 जून, 2018 07:48 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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अमेरिका ने जो UN मानवाधिकार काउंसिल के साथ किया है, भारत के मन में भी कुछ वैसा ही है, लेकिन अब तक कर नहीं पाया. अमेरिका ने UN मानवाधिकार काउंसिल पर इजराइल के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए काउंसिल का बहिष्कार किया है और खुद को उससे अलग कर लिया है. जिस तरह इजराइल के साथ भेदभाव हुआ है, कुछ उसी तरह भारत के साथ भी काउंसिल ने भेदभाव किया गया है. हाल ही में काउंसिल ने भारत के जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में काउंसिल ने कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात कही थी, जबकि भारत ने इसका विरोध करते हुए इसे आतंकवाद को जायज ठहराने वाला कदम बताया.

डोनाल्ड ट्रंप, मानवाधिकार, अमेरिका, भारत, कश्मीरअमेरिका के फैसले से कोई खुश हो ना हो, लेकिन भारत के मन में भी कुछ ऐसा ही था.

अमेरिका UN मानवाधिकार काउंसिल का सदस्य नहीं है, वरना मुमकिन है कि भारत ने भी अमेरिका जैसा ही कदम उठाया होता. लेकिन काउंसिल की रिपोर्ट पर भारत ने जिस तरह का रुख अपनाया है, वो वाकई बेहद सख्त है. जिस तरह रिपोर्ट पर अपना विरोध दर्ज करते हुए भारत ने जताया है कि कश्मीर पर बनाई गई काउंसिल की रिपोर्ट सही नहीं है, उसी तरह काउंसिल को अपने काम करने के तरीके पर सोचने को मजबूर करने वाला कदम अमेरिका ने उठा दिया है. भारत की नाराजगी और अमेरिका का काउंसिल से अलग होना, ये दोनों बातें UN मानवाधिकार काउंसिल को झकझोरने के लिए काफी हैं.

अमेरिका ने छोड़ी काउंसिल

इजराइल के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए अमेरिका ने UN मानवाधिकार काउंसिल को छोड़ दिया है. जेनेवा में स्थित इस काउंसिल को छोड़कर जाने वाला अमेरिका पहला देश है. आपको बता दें कि इस काउंसिल में कुल 47 सदस्य हैं, जिनमें से अब अमेरिका बाहर हो गया है. अमेरिका ने जो किया है उससे ना सिर्फ इजराइल को खुशी हुई होगी, बल्कि भारत का भी इससे खुश होना लाजमी है. हाल ही में अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर प्रवासी लोगों से बिछड़े उनके बच्चों को हिरासत में लेने पर भी मानवाधिकार आयोग की तरफ से अमेरिका की खूब आलोचना की गई थी. कहा गया कि अमेरिका की विदेश नीति में मानवाधिकार को कोई जगह नहीं दी गई है. आलोचकों ने कहा था कि यह दिखाता है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर प्रशासन ने आंखें मूंद रखी हैं.

किन देशों से है ऐतराज?

काउंसिल में अमेरिका की अंबेसडर Nikki Haley ने रूस, चीन, क्यूबा और इजिप्ट पर भी निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि ये देश काउंसिल का रिफॉर्म करने के लिए की जा रही अमेरिका की कोशिशों में अड़चन पैदा करते रहे. इसके अलावा उन्होंने वेनेजुएला, क्यूबा, चीन, बुरुंडी और सऊदी अरब पर मानवाधिकार के स्टैंडर्ड्स का सही से पालन न करने का भी आरोप लगाया है.

क्या हुआ था इजराइल में?

अमेरिका ने इजराइल के साथ जिस भेदभाव की बात कही वो दरअसल इजराइल के खिलाफ UN मानवाधिकार काउंसिल की रिपोर्ट है. रिपोर्ट में काउंसिल ने गाजा बॉर्डर पर हुई हिंसा के लिए इजराइल की कड़ी निन्दा की थी. आपको बता दें कि इस हिंसा में करीब 130 पेलेस्टियन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी. हिंसक भीड़ के बेकाबू होने पर इजराइली सेना ने गोलीबारी की थी, जिसकी वजह से लोगों की मौत हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि गाजा इस समय इजराइल के साथ युद्ध करने की स्थिति में पहुंच चुका है. काउंसिल ने कहा था कि बच्चों को मारने, पत्रकारों को मारना और यहां तक कि सुरक्षा बलों के मेडिकल स्टाफ पर गोलीबारी करना पूरी तरह से गलत है. इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इजराइल के अंबेसडर ने कहा था कि काउंसिल इजराइल के खिलाफ झूठ फैलाने की कोशिश कर रही है.

भारत के खिलाफ ये थी काउंसिल की रिपोर्ट

UN मानवाधिकार काउंसिल ने भारत के कश्मीर की बात करते हुए एक 49 पेज की रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में काउंसिल ने आतंक के खिलाफ की जा रही भारतीय सेना की कार्रवाई को ही गलत ठहराने की कोशिश की थी. रिपोर्ट में लिखा था कि जम्मू-कश्मीर में न तो बोलने की आजादी न ही शांति से कुछ लोगों एक जगह जमा होने की आजादी है, जिसकी वजह से स्थिति का जायजा लेने वालों तक को दिक्कतें होती हैं. रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया है कि इन सबकी वजह से खुद OHCHR (Office of the United Nations High Commissioner for Human Rights) भी कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति का जायजा नहीं ले पा रहा है. हालांकि, भारत ने इस रिपोर्ट पर अपना सख्त रवैया दिखाया है.

भारत ने रिपोर्ट पर जताई निराशा

UN मानवाधिकार काउंसिल की रिपोर्ट पर भारत ने निराशा व्यक्त करते हुए इसके खिलाफ अपना विरोध दर्ज किया है. काउंसिल में भारत के अंबेसडर राजीव के. चंदर ने इस रिपोर्ट को पूर्वाग्रह के आधार पर बनाया गया बताते हुए कहा है कि यह रिपोर्ट भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है. पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है, जिसके एक हिस्से पर पाकिस्तान ने गैर-कानूनी तरीके से कब्जा किया हुआ है. पत्रकार शुजात बुखारी और ईद पर घर जा रहे सेना के जवान औरंगजेब की हत्या का जिक्र करते हुए भारत ने काउंसिल से आतंकवाद को जायज ठहराने की कोशिशों को रोकने और अपनी रिपोर्ट को वापस लेने के लिए कहा है.

इजराइल को लेकर UN मानवाधिकार काउंसिल की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए अमेरिका तो काउंसिल से अलग हो गया है, लेकिन देखना ये होगा कि क्या अन्य कोई देश भी इस तरह का विरोध करता है. इस काउंसिल ने उत्तरी कोरिया, सीरिया, म्यांमार और दक्षिण सुडान जैसे देशों में काफी अहम भूमिका अदा की है, लेकिन इजराइल को लेकर जो रिपोर्ट जारी की उसके चलते अमेरिका का विरोध झेलना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर, कश्मीर को लेकर बनाई गई रिपोर्ट के चलते भारत का विरोध भी काउंसिल को झेलना पड़ रहा है.

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#डोनाल्ड ट्रंप, #मानवाधिकार, #अमेरिका, UN Human Rights Council, Donald Trump, Report Of UN Human Rights Council On Kashmir

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