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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 09 फरवरी, 2021 01:09 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सरकार से राहुल गांधी की शिकायत अपनी जगह है, लेकिन महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत की शिकायत पर बड़ा एक्शन होने जा रहा है - महाराष्ट्र सरकार फिल्म स्टार और अन्य हस्तियों के उन सभी ट्वीट की जांच करा रही है जो किसान आंदोलन से जुड़े हैं.

ऐसी हस्तियों में शामिल तो कंगना रनौत भी हैं, लेकिन सचिन तेंडुलकर (Sachin Tendulkar) और लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के ट्वीट को लेकर ज्यादा बवाल मचा है. सचिन तेंडुलकर और लता मंगेशकर ने पॉप स्टार रिहाना और ग्रेटा थनबर्ग जैसी सेलीब्रिटी के ट्वीट पर रिएक्शन दिया था, हालांकि, सचिन तेंडुलकर ने रिएक्शन में भी सिर्फ देश को एकजुट रहने की बात कही थी.

बीजेपी जहां रिहाना और ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट पर रिएक्ट करने वाली हस्तियों की तारीफ में कसीदे पढ़ती आ रही है, वहीं कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल सवाल खड़े कर रहे हैं.

महाराष्ट्र कांग्रेस का इल्जाम है कि सचिन तेंडुलकर और लता मंगेशकर सहित कई हस्तियों ने बीजेपी के दबाव में ये ट्वीट किये - और उसी की जांच की मांग थी. कांग्रेस की मांग पर महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने जांच के आदेश भी दे दिये हैं.

बीजेपी अब महाराष्ट्र सरकार के इस कदम में विरोध में खड़ी हो गयी है - और ट्वीट करने वाली हस्तियों से माफी मांगते हुए जांच के आदेश वापस लेने की डिमांड पेश की है.

बाकी बातें अपनी जगह हैं, लेकिन सवाल ये है कि ऐसी जांच पड़ताल का हासिल क्या है?

अपना अपना स्क्रीनशॉट!

किसान आंदोलन को लेकर विदेशी हस्तियों के ट्वीट पर बवाल तो होना ही था, लेकिन उसका ये रूप भी सामने आएगा ऐसा नहीं लगा था. अनावश्यक तो रिहाना और ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट पर विदेश मंत्रालय का बयान जारी करना भी रहा - और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी ट्विटर पर ऐसे लोगों की टिप्पणियों पर रिएक्शन देने की नहीं लगी, लेकिन अब जो कुछ भी हो रहा है वो तो और भी गैर जरूरी लगता है.

महाराष्ट्र कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री अनिल देशमुख के साथ ऑनलाइन मीटिंग की थी. कांग्रेस का कहना रहा कि पॉप स्टार रिहाना के ट्वीट के बाद सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर, विराट कोहली जैसे बड़े सितारों ने जो ट्वीट किये उनमें कई शब्द कॉमन नजर आये, लिहाजा ये जांच करना बेहद जरूरी है कि क्या ये सभी ट्वीट किसी तरह के दबाव में तो नहीं किये गये.

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत की दलील है कि सचिन तेंडुलकर और लता मंगेशकर जैसे सितारों ने किसानों की मौत पर तो खामोशी अख्तियार किये रहे और अचानक एक ही साथ ट्वीट करने लगे. सचिन सावंत कहते हैं, ये ट्वीट देख कर लग रहा है कि बीजेपी सरकार के दबाव में ये ट्वीट करवाये गये होंगे.

devendra fadnavis, uddhav thackerayसेलीब्रिटी ट्वीट की जांच को लेकर महाराष्ट्र सरकार का फैसला बीजेपी से राजनीतिक बदले की एक और कवायद जैसा ही लगता है.

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख भी कांग्रेस की शिकायत को सही मान कर चल रहे हैं, 'क्या हस्तियों के ट्वीट किसी दबाव में सामने आये? हमारी इंटेलीजेंस एजेंसियां इस मामले को देखेंगी... कैसे अक्षय कुमार और साइना नेहवाल के ट्वीट एक जैसे थे, इसे देखा जाएगा. बीजेपी नेता को टैग करने वाले सुनील शेट्टी का ट्वीट भी हमारे सामने है - और अब मामले की जांच की जाएगी.

अनिल देशमुख की नजर में ये सब किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है, कहते हैं, '26 जनवरी को अचानक सीन बदल गया. किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लिए कोशिशें की गईं. किसान शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे और अब चीजें धीरे धीरे सामने आ रही हैं कि कैसे उन्हें बदनाम करने के लिए साजिश रची गई.'

कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत का ऐसे सभी ट्वीट की तोहमत बीजेपी पर मढ़ रहे हैं, 'बीजेपी की ओर से इन हस्तियों को एक स्क्रिप्ट दी गई है.' कहते हैं, 'पार्टी की BCCI में भी भूमिका है और इसीलिए शायद कुछ क्रिकेटर्स ने भी एक ही तरह के ट्वीट किये.'

सचिन सावंत का कहना है, 'अगर ये हस्तियां दबाव में हैं तो राज्य की ओर से सुरक्षा दी जानी चाहिये. एक ऐसा समय था जब बॉलीवुड पर अंडरवर्ल्ड की ओर से दबाव डाला जाता था... ऐसा लगता है कि खिलाड़ियों पर बीसीसीआई की तरफ से दबाव है... जांच की जरूरत है - और ये पता लगाने की जरूरत है कि हस्तियों पर कौन दबाव डाल रहा है?'

बीजेपी नेता राम कदम ने ट्विटर पर ही कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है. स्क्रीनशॉट का ये खेल भी हम्माम जैसा हो गया है. हर किसी के पास एक दूसरे के खिलाफ पेश करने के लिए अपना स्क्रीनशॉट है - और राम कदम भी सचिन सावंत को उनके ही अंदाज में तीखे जवाब दे रहे हैं.

जांच को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे सरकार के विवेक पर सवाल उठाया है - साथ ही, कई बीजेपी नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार के जांच के फैसले पर सवाल उठाया है.

ट्वीट की जांच में क्या आएगा?

बीजेपी महिला मोर्चा की सोशल मीडिया इंचार्ज प्रीति गांधी ने तो सचिन तेंडुलकर को शरद पवार की सलाह को तो धमकी भरा माना है, 'ग्रेटा, रिहाना और मिया खलीफा को अपने देश का ध्यान रखने के लिए कहने के बजाय शरद पवार हमारे अपने सचिन तेंदुलकर को धमकी दे रहे हैं... सचिन ने ऐसा क्या कहा जिससे पवार साहब इतने दुखी हैं - सिर्फ देश को एकजुट रहने के लिए ही कहा है.'

बीजेपी नेता राम कदम महाराष्ट्र सरकार के जांच के फैसले पर आश्चर्य के साथ कहा कि 'इस उम्र में लता दीदी के ट्वीट की जांच महाराष्ट्र सरकार करेगी? यह बेहद ही शर्मनाक बात है.

कहीं महाराष्ट्र सरकार को ये तो नहीं लग रहा है कि जैसे मुंबई पुलिस की टीआरपी स्कैम की जांच में टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी के व्हाट्सऐप चैट मिले, वैसे ही सचिन तेंडुलकर और लता मंगेशकर के भी मिल जाएंगे! मुंबई पुलिस की जांच से होते हुए निकला अर्नब गोस्वामी के चैट से मालूम होता है कि पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट स्ट्राइक की खबर उनको काफी पहले लग गयी थी. कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने इसे मिलिट्री ऑपरेशन से जुड़ी गोपनीय जानकारी के लीक होने का मामला बताया और सरकार से जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन की मांग की थी.

अगर अर्नब गोस्वामी जैसे चैट का ब्योरा जांच में सचिन तेंडुलकर और लता मंगेशकर के पास से मिल भी जाये तो क्या?

महाराष्ट्र सरकार जिस तरीके से ऐसे ट्वीट की जांच करा रही है और जैसे स्क्रीनशॉट ट्विटर पर शेयर किये जा रहे हैं, वे मौजूदा दौर के आम बात कैटेगरी में आते हैं. ऐसे कंटेंट दिन रात ट्विटर ही नहीं फेसबुक और बाकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर तो पोस्ट किये जाते ही रहते हैं - मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सऐप तो ऐसी चीजों का गढ़ बन चुका है.

अव्वल तो ये सब जांच नतीजे के बाद का ही मामला है, लेकिन फर्ज कीजिये सरकारी जांचकर्ता वो स्क्रीनशॉट भी हासिल कर लेते हैं जिससे साबित हो कि बीजेपी की तरफ से इन हस्तियों को ट्वीट का कंटेंट मुहैया कराया गया तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा. देश के संविधान से ही हर व्यक्ति को अपनी राजनीतिक विचारधारा का भी हक मिला हुआ है, बशर्ते वो देश की सार्वमौमिकता को नुकसान न पहुंचाये - अगर सचिन तेंदुलकर के ट्वीट के पीछे कोई और ही है तो उद्धव ठाकरे सरकार को कौन सा देशद्रोह का केस दर्ज करने का मौका मिल जाएगा?

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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