पंछी पेठे वालों से पूछिए आगरा को अग्रवन बनाने से क्या नुकसान होगा!
योगी आदित्यनाथ Agra का नाम बदलकर उसे Agravan तो कर रहे हैं मगर उन्हें पंछी पेठा को भी नहीं भूलना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर, आगरा का नाम अग्रवन हुआ तो इससे सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को होगा तो वो पंछी पेठा ही होगा.
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एक ऐसे वक़्त में जब स्टार्ट-अप की बातें चर्चा में हों, किसी प्रोडक्ट का ब्रांड बनना बिल्कुल भी आसान नहीं है. छोटी सी वस्तु को ब्रांड बनाने के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाना पड़ता है. ये बातें एक तरफ. वो ब्रांड दूसरी तरफ, जो किसी शहर की पहचान बन जाएं. कहीं सवाल हो कि फलां चीज कहां की मशहूर है? सवाल के जवाब में उस जगह का नाम आ जाए, जहां से वो चीज जुडी है फिर क्या? इस बात को हम एक उदाहरण के जरिये भी समझ सकते हैं. विषय तक आने में हमें आसानी होगी. जो लोग खाने पीने विशेषकर मीठा खाने के शौक़ीन हैं उन्होंने पेठा जरूर खाया होगा. पेठा! जैसे ही ये शब्द हमारे सामने आता है खुद-ब-खुद 'पंछी' (Panchhi Petha Agra) का नाम हमारे जहन में आ जाता है. पंछी,पेठे का मशहूर ब्रांड है जिसकी जड़े आगरा (Agra) में हैं. पंछी पेठे की जैसी लोकप्रियता है, ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि आज आगरा और पंछी एक दूसरे के पूरक हैं. सिर्फ आगरा जाकर देखिये हर गली, हर मोड़, हर नुक्कड़, हर चौराहे पर पंछी है. मतलब आगरा में इतने पंछी हैं कि इस बात का निर्धारण करना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है कि कौन असली पंछी है? किस डाल पर नकली पंछी बैठा है. आज शहर का आलम ये है कि किसी भी आम पेठे को पंछी का पेठा बताकर न सिर्फ बेचा जा सकता है. बल्कि मोटा मुनाफा भी कमाया जा सकता है. सवाल होगा कि आखिर पंछी पेठे पर इतनी बातें क्यों ? वजह है यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनका विस्मित करने वाला फैसला. इलाहाबाद को प्रयागराज और मुगलसराय को दीनदयाल उपाध्याय नगर करने से गदगद योगी आदित्यनाथ सरकार अब ताजमहल के बाद पंछी पेठे के लिए मशहूर आगरा (Yogi Adityanath To Rename Agra as Agravan) का नाम बदलकर अग्रवन करने की योजना बना रही है.
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने आगरा का नाम बदलने की बात कहकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है
राज्य सरकार ने आगरा स्थित अम्बेडकर यूनिवर्सिटी को एक ख़त लिखा है. यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग को पात्र भेजते हुए योगी सरकार ने आगरा नाम के ऐतिहासिक पहलुओं को परखने के लिए कहा है. बताया जा रहा है कि शासन से निर्देश पाने के बाद यूनिवर्सिटी ने मामले की जांच परख शुरू कर दी है. आगरा स्थित डॉ बीआर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग ने इस ख़बर की पुष्टि की. विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर सुगम आनंद ने समाचार एजेंसी ANI को बताया है कि, हमें राज्य सरकार की ओर से खत मिला है, जिसमें ऐतिहासिक साक्ष्यों को खोजने के लिए कहा गया है. साथ ही इस ख़त में ये भी पूछा गया है कि क्या आगरा शहर को कभी किसी और नाम से जाना जाता था? हमने शोध शुरू कर दिया है, और खत का जवाब भेजेंगे.
ध्यान रहे कि योगी सरकार लंबे समय से आगरा का नाम बदलने को लेकर विचार कर रही थी. पहले ही इस बात की घोषणा हो चुकी थी कि योगी आदित्यनाथ आगरा का नाम बदलकर उसे अग्रवन करेंगे. आपको बताते चलें कि इतिहासकारों का एक वर्ग वो भी है जिसका मानना है कि ताजमहल के लिए मशहूर इस शहर का वास्तविक नाम अग्रवन ही था.
आगरा को लेकर क्या कहता है इतिहास
यूपी के तीसरे सबसे बड़े शहर आगरा का शुमार भारत के ऐतिहासिक नगरों में है, और शहर के इतिहास को मुगल काल से जोड़कर देखा जाता है. वहीं शिक्षाशास्त्रियों का एक समूह वो भी है जो आगरा के इतिहास को महर्षि अन्गिरा से जिन्होंने तकरीबन 10000 साल पहले जन्म लिया था उनसे भी जोड़कर देखता है.
बात अगर सनातन संस्कृति की हो तो इतिहास में आगरा का सबसे पहला ज़िक्र महाभारत के समय में देखने को मिलता है, तब इसे अग्रबाण या अग्रवन के नाम से संबोधित किया जाता था. आगरा को लेकर तर्क ये भी है कि पहले इस शहर को आयॅग्रह के नाम से जाना जाता था.
इतिहासकारों के अनुसार, तौलमी नाम का व्यक्ति वो पहला ज्ञात व्यक्ति था जिसने इसे आगरा नाम से संबोधित किया. बात अगर मुगलों की हो तो आगरा शहर को 1506 में सिकंदर लोदी ने बसाया था. आगरा हमेशा ही मुगल शासकों विशेषकर अकबर और जहांगीर की मनपसंद जगह रहा है जिसे 1526 से 1658 तक मुग़ल साम्राज्य ने अपनी राजधानी बनाया.
क्या आगरा का नाम बदलने का मामला धर्म से जुड़ा है.
इस पूरे मामले में सबसे अहम सवाल यही है कि क्या आगरा का नाम सिर्फ इसलिए बदला जा रहा है क्योंकि इसके नये नामकरण का सारा ताना बाना धर्म के खाके में ढाल कर बुना जा रहा है? या फिर इसका नाम बदलना वाकई वक़्त की जरूरत है? तो इस सवाल का जवाब बस इतना है कि अपनी इस पहल से न सिर्फ यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने तमाम अहम् मोर्चों पर अपनी नाकामी छुपाने का प्रयास किया है. बल्कि इस पहल से उन्होंने आगरा के अलावा पूरे सूबे में तुष्टिकरण के बीज डाल दिए हैं. बात साफ़ है लंबे समय से आगरा, आगरा के नाम से ही जाना गया है. नाम के लिहाज से भी आगरा एक रैंडम नाम है जो न तो हिंदू धर्म में ही देखे गए हैं और न ही इस्लाम में.
अब जबकि योगी आदित्यनाथ आगरा को अग्रवन कर रहे हैं और तर्क दे रहे हैं कि क्योंकि महाभारत काल में इसे अग्रवन के नाम से जाना जाता था. तो हम योगी आदित्यनाथ से बस यही कहना चाहेंगे कि शहर चाहे छोटे रहे हों या फिर बड़े पूरी भारत भूमि पर अलग अलग ऋषि हुए हैं.
तो क्या इस बात को आधार बनाकर मुख्य मुद्दों से पल्ला झाड़ते हुए सारे भारतीय शहरों के नाम बदलकर उन्हें कुछ और कर देना चाहिए? क्योंकि कोई भी समझदार आदमी आगरा को एक रैंडम नाम मानता है तो योगी आदित्यनाथ से सवाल ये भी है कि आखिर आगरा को अग्रवन करने का उनका मकसद क्या है?
बाकी बात पंछी पेठे की महत्ता से शुरू हुई है तो आगरा का नाम बदलना इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि इससे बहुत से पंछी परेशानी में आने वाले हैं. नाम बदलना इनके लिए डाल काटने जैसा है. पंछी से लेकर इंसान तक हर कोई इस बात को जानता है कि एक बार जो डाल कट गई तो फिर नई डाल पर आशियाना बनाने में नाकों तले चने चबाने पड़ते हैं.
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