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Updated: 16 सितम्बर, 2018 05:43 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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इन दिनों बनारस की पुलिस को एक नया काम मिला हुआ है. पीपल के पौधे की रखवाली का. 24 घंटे यह पौधा पुलिस की सुरक्षा और सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में रहता है. दो शिफ्ट में दो-दो पुलिस वाले इसकी सुरक्षा करते हैं. क्या बनारस की बाकी समस्याएं हल हो चुकी हैं जो अब पीपल के पौधे के लिए पुलिस को सुरक्षा के लिए लगा दिया गया है? पीपल का ये पौधा आखिर इतना महत्वपूर्ण क्यों हो गया है? दरअसल, इस इलाके में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग रहते हैं. और पीपल का ये पौधा उन लोगों के बीच तनाव पैदा करने का कारण ना बन जाए, इसलिए पुलिस इसकी सुरक्षा में लगी है. लेकिन इस मुद्दे पर उलझने से पहले सवाल उठता है कि क्या इस शहर की बाकी सारी समस्याएं हल हो गई हैं?

पीपल, बनारस, पुलिस, हिंदू, मुस्लिमबनारस के एक इलाके में हिन्दू-मुसलमान पीपल के पौधे को लेकर माथा-पच्ची कर रहे हैं.

इसलिए पुलिस बनी पीपल की पहरेदार

यह मामला वाराणसी के अर्दली बाजार का है. अगस्त में पीपल के पौधे को लेकर खींच-तान शुरू हुई. उस समय भाजपा विधायक रवींद्र जायसवाल ने एक पीपल का पौधा लगाया, लेकिन आपसी मतभेदों के चलते प्रशासन ने उसे उखाड़ दिया. इसके बाद 3 सितंबर को हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच बातचीत हुई, जिसके बाद 5 सितंबर को फिर से यह पौधा लगाया गया. भले ही इसे आपसी सहमति से लगाया गया है, लेकिन कुछ लोग फिर भी इसके विरोध में हैं. अब डर ये है कि कहीं कोई पौधा उखाड़ दे तो कोई हिंसा ना भड़क उठे, इसलिए पुलिस इस पौधे की पहरेदारी कर रही है. पौधा लगने के बाद 5-7 दिन तक को पीएसी तक पौधे की सुरक्षा के लिए तौनात थी, लेकिन अब ये जिम्मेदारी चार पुलिस वाले दो-दो लोगों की दो शिफ्ट में निभा रहे हैं. स्थानीय लोगों ने यहां सीसीटीवी भी लगावाया है, ताकि वह भी पौधे पर नजर रख सकें.

यहीं पेड़ लगाना क्यों है जरूरी?

जिस जगह पर पीपल का पौधा लगाया गया है, उस जगह पर करीब 150-200 साल पुराना पीपल का पेड़ हुआ करता था, जो करीब 8-10 साल पहले गिर गया था. वाराणसी के भाजपा किसान मोर्चा के मीडिया प्रभारी विपुल कुमार पाठक ने बताया कि बैठक में वन विभाग की एक टीम को यह जांच करने के निर्देश दिए गए थे कि क्या वहां पहले कोई पीपल का पेड़ था, जिसमें करीब 150 साल पुराने पेड़ के होने की पुष्टि हुई. बैठक में दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद वहां दोबारा पीपल का पेड़ लगाने की कोशिशें की जा रही थीं, क्योंकि पीपल से हिंदू धर्म की आस्था भी जुड़ी है. पुराने पीपल के पेड़ की लोग पूजा करते थे और अब जो नया पौधा लगाया गया है, उसकी भी पूजा शुरू कर दी गई है. इस पेड़ के बिल्कुल बगल में ही इमाम चौक है, जहां पर ताजिया रखा जाता है. पीपल का पौधा लगाने में खुद इमाम चौक के संचालक ने भी सहयोग किया. वहीं थोड़ी दूर पर एक गली में दुर्गा पूजा के दौरान पूजा भी होती है. इस पेड़ के पास में ही दोनों धर्मों के धार्मिक स्थल होने की वजह से सारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है.

पीपल, बनारस, पुलिस, हिंदू, मुस्लिमये तस्वीर दिखाती है कि अब शहर की तमाम दिक्कतों पर एक पीपल का पौधा भारी पड़ रहा है.

असली सवाल तो ये है

इस बात की जांच भी की गई कि वहां पेड़ था या नहीं, फिर दोनों पक्षों में सहमित बनी और पेड़ लगाया गया. लेकिन असली सवाल तो ये है कि क्या किसी ने ये जानने की कोशिश की कि बनारस के अन्य जरूरी मुद्दे हल हो चुके हैं या नहीं? सड़कें दुरुस्त हैं? पानी की परेशानी तो नहीं? ट्रैफिक जाम से निजात मिली या नहीं? कचरे की दिक्कत का सामना तो नहीं करना पड़ता? बनारस के अर्दली बाजार के लिए इस समय सबसे बड़ा मुद्दा है एक पीपल का पौधा, ना कि शहर की बाकी समस्याएं.

पीपल के इस पौधे के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि ये पीपल का है. यह पेड़ हिंदू धर्म की आस्था से जुड़ा है, जबकि उसके बगल में ही इमाम चौक है, जहां ताजिया रखा जाता है. इसे सिर्फ वृक्षारोपण की तरह नहीं देखा जा रहा, वरना न कोई बवाल होता, ना ही इसकी रखवाली के लिए पुलिसवाले लगाने पड़ते. दरअसल, ये पुलिसवाले इस पौधे की नहीं, बल्कि उस इलाके की रखवाली कर रहे हैं. क्योंकि अगर कोई शरारती तत्व वहां पहुंचकर पौधा उखाड़ दे तो देखते ही देखते स्थिति काबू से बाहर हो सकती है. तनाव की स्थिति पैदा ना हो, इसलिए पुलिस लगी है, लेकिन एक पेड़ के लिए पुलिस लगाना दिखाता है कि अब शहर की तमाम समस्याओं पर एक पीपल का पौधा भारी पड़ रहा है.

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