प्रद्युम्न मर्डर केस पुलिस नहीं, लगता है आरोपी कंडक्टर ने खुद सॉल्व किया है
प्रद्युम्न की मां का सवाल है कि जब बच्चा बस से स्कूल जाता ही नहीं तो कंडक्टर कहां से आ गया? पुलिस कह रही है कि वो शिकार की तलाश में था, किसी खास बच्चे से उसे कोई मतलब नहीं था. ये तो और भी खतरनाक है - स्कूल में दरिंदा घूम रहा है और...
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प्रद्युम्न मर्डर केस सुलझाने में पुलिस ने जितना वक्त लिया उतनी देर में तो वो किसी मौका-ए-वारदात पर भी नहीं पहुंच पाती. इस केस को लेकर पुलिस की तत्परता तारीफ के काबिल है. सिक्योरिटी गार्डों और माली सहित दस लोगों को हिरासत में लेने के कुछ ही घंटों के भीतर पुलिस ने हत्यारे को खोज निकाला - स्कूल बस का कंडक्टर. देखना ये है कि पुलिस की ये थ्योरी कोर्ट में कानूनी कार्यवाही में कहां तक टिक पाती है?
लेकिन पुलिस की इस तत्परता को लेकर न तो प्रद्युम्न के मां-बाप को यकीन हो रहा है - और न ही भोंडसी के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को ही भरोसा हो रहा.
स्कूल में मर्डर
सात साल के प्रद्युम्न को उसके उसके पिता ने 8 सितंबर को सुबह स्कूल छोड़ा था. कुछ ही देर बाद स्कूल की एक टीचर ने फोन कर प्रद्युम्न की मां को बताया कि किसी हादसे के चलते उसका खून बह रहा है और उसे अस्पताल ले जाया गया है. अस्पताल पहुंचने पर उन्हें पता चला कि प्रद्युम्न को मृत घोषित कर दिया गया है.
मा्सूम के कितने कातिल?
पुलिस के मुताबिक आरोपी कंडक्टर ने बच्चे को हवस का शिकार बनाना चाहा लेकिन कड़े विरोध के चलते नाकाम रहा. नाकाम होने के बाद उसने चाकू से उसका गला काट दिया. मेडिकल जांच में प्रद्युम्न के गले पर चोट के दो निशान पाये गये हैं. चाकू के वार से उसका गला पूरी तरह कट चुका था और ज्यादा खून बह जाने के कारण मौत हो गयी.
ये घटना प्रद्युम्न के स्कूल में दाखिल होने के कुछ ही देर बाद की बतायी जाती है. मॉर्निंग असेंबली के बाद प्रद्युम्न वॉश रुम गया था जहां आरोपी कंडक्टर चाकू लेकर पहले से मौजूद बताया जाता है.
पुलिस की थ्योरी और कुछ सवाल
प्रद्युम्न के माता पिता को पुलिस की थ्योरी पर बिलकुल यकीन नहीं हो रहा. कुछ अभिभावकों ने भी पुलिस की इस कहानी पर संदेह जताया है. प्रद्युम्न के माता पिता का इल्जाम है कि कंडक्टर अशोक को सिर्फ मोहरा बनाया गया है जबकि असली कातिल कोई और है. यही वजह है कि प्रद्युम्न के मां बाप सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.
प्रद्युम्न की मां को शक है कि स्कूल के वॉश रूम में कोई गलत काम हो रहा था जिसे बच्चे ने देख लिया होगा. उसी को छुपाने के लिए प्रद्युम्न की हत्या कर दी गयी. इसीलिए प्रद्युम्न के माता पिता प्रिंसिपल सहित स्कूल प्रबंधन के खिलाफ केस दर्ज किये जाने की मांग कर रहे हैं. पुलिस इसके लिए फिलहाल तैयार नहीं है. प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया गया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज करने की अनुशंसा की है. सीबीएसई ने भी दो दिन में घटना की रिपोर्ट मांगी है. स्कूल की गलती पाये जाने पर उसकी मान्यता रद्द करने की बात कही गयी है.
प्रद्युम्न की मां का सवाल है कि जब बच्चा बस से स्कूल जाता ही नहीं तो कंडक्टर के इसमें शामिल होने का सवाल कहां से पैदा होता है. इस पर पुलिस का कहना है कि कंडक्टर अपने शिकार की तलाश में था, किसी खास बच्चे से उसे कोई मतलब नहीं था.
ये और भी अजीब बात है कि स्कूल में एक शिकारी अपनी मर्जी से घूम रहा है और उसे रोकने वाला कोई नहीं है. वो चाकू लेकर अंदर चला जाता है और उसे न कोई रोकता है न टोकता है. क्या पुलिस ये बता रही है कि वो पहली बार शिकार की तलाश में वॉश रुम पहुंचा था और नाकाम होने पर हत्या कर दी? लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि वो ऐसा रोज नहीं करता था. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि वो हर रोज शिकार की तलाश में वहां पहुंचता हो - और अक्सर कामयाब भी रहता हो. अब तक वो बच्चों को डराने धमकाने में कामयाब हो जाता हो. हो सकता है हत्या उसने पहली बार की हो लेकिन इससे पहले ऐसा उसने किसी बच्चे के साथ नहीं किया - इस बात की क्या गारंटी है?
असली कातिल या सिर्फ मोहरा?
पुलिस की ये कहानी सुन कर तो यही लगता है कि स्कूल के भीतर सुरक्षा बड़ी खामियां हैं. ऐसे में कोई अपने बच्चे को स्कूल में छोड़े तो किस भरोसे. मालूम नहीं कब उसे अपने जीते जागते बच्चे की लाश थमा दी जाये. जरूरी हो गया है कि लोग अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति सचेत हों और पक्का यकीन होने पर ही ऐसे स्कूलों में पढ़ने भेजने के बारे में कोई फैसला करें.
प्रद्युम्न की हत्या में पुलिस ने जो थ्योरी दी है उससे तो ऐसा लगता है जैसे केस तो आरोपी कंडक्टर ने खुद ही सॉल्व कर दिया है - और पुलिस सिर्फ कथा बांच रही है. अब भी सवाल जहां का तहां है - क्या सात साल के प्रद्युम्न का कातिल सिर्फ कंडक्टर अशोक ही है?
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