योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक विरोधी इतनी नफरत क्यों करते हैं?
योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने जैसा बयान दिया है वैसी ही बातें कर्नाटक चुनाव के दौरान एक कांग्रेस नेता ने कही थी. खुद हिंदुत्व की राजनीति करने वाले उद्धव ठाकरे का बयान खुद के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है, क्या उन्हें मालूम है?
-
Total Shares
योगी आदित्यनाथ बीजेपी के स्टार कैंपेनर हैं. योगी बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे के पोस्टर बॉय हैं - और देश भर में बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार के लिए उनकी काफी डिमांड भी रहती है. चुनावों से इतर भी योगी उन मौकों पर मौजूद रहते हैं जो संघ और बीजेपी विरोधियों के खिलाफ उठाते रहते हैं. योगी को हिमाचल से लेकर केरल तक बीजेपी, संघ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' करते अक्सर सुना और देखा जाता रहा है.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर मंदिर के महंथ हैं - और नाथ संप्रदाय के अनुयायियों में उन्हें भगवान का अवतार और साक्षात् शिव तक समझा जाता है. अपने इसी ओहदे के चलते योगी बीजेपी के लिए त्रिपुरा और कर्नाटक में खासे मददगार साबित हुए हैं.
उद्धव ठाकरे ने योगी के खिलाफ जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है, वो पहला मौका नहीं है. कर्नाटक चुनाव के दौरान भी कांग्रेस के एक नेता ने योगी को 'चप्पल से...' पीटने की बात कही थी.
अब सवाल ये है कि जिस व्यक्ति की धार्मिक हैसियत ऐसी हो उससे उसके राजनीतिक विरोधी हद से ज्यादा नफरत क्यों करते हैं?
चुनाव में 'चप्पल' की बातें!
योगी आदित्यनाथ के लिए कैराना उपचुनाव बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि फूलपुर और गोरखपुरी की हार का हिसाब भी उन्हें बराबर करना है. फिर भी बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार करने योगी महाराष्ट्र भी वैसे ही जाते हैं जैसे कर्नाटक या दूसरे राज्यों में जाते रहे हैं. महाराष्ट्र में पालघर उपचुनाव भी बीजेपी के लिए कैराना की ही तरह जीतना जरूरी हो गया है.
महंथ होने के चलते योगी को अवतार मानते हैं उनके अनुयायी
पालघर चुनाव में बीजेपी और शिवसेना दोनों आमने सामने हैं - और दिलचस्प पहलू तो ये है कि जिस बीजेपी सांसद के निधन से उपचुनाव हो रहा है शिवसेना ने उनके बेटे को मिला कर पार्टी का उम्मीदवार बना लिया है.
योगी आदित्यनाथ जब पालघर चुनाव प्रचार के लिए गये थे तो शिवसेना पर विश्वासघात जैसा संगीन इल्जाम लगाया. वैसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दूसरे बीजेपी नेता भी शिवसेना पर ऐसे ही आरोप लगा रहे हैं. देवेंद्र फडणवीस से तो रोजाना का विरोध है लेकिन योगी से उद्धव ठाकरे इस कदर खफा हैं कि बोलते बोलते भाषा की मर्यादा तक भूल गये.
योगी आदित्यनाथ को टारगेट करते हुए उद्धव ठाकरे बोले, 'कल आदित्यनाथ आए थे. योगी! अरे, ये तो भोगी है... मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठता है, ये कैसा योगी! ये गैस का गुब्बारा है... चप्पल पहनकर शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर हार पहना रहा था. उसी चप्पल से उसे मारना चाहिये.'
योगी के बयान पर योगी आदित्यनाथ ने कड़ा ऐतराज जताया है और कहा है कि वो उद्धव के मुकाबले ज्यादा सभ्य और संस्कारी हैं.
'लेने के देने' तो नहीं पड़ेंगे?
ऐसा ही विवाद कर्नाटक चुनाव के दौरान भी हुआ था जब राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव ने योगी आदित्यनाथ के बारे में कहा, 'वो योगी नहीं... ढोंगी हैं. प्रधानमंत्री मोदी को उनको बर्खास्त कर देना चाहिए... अगर योगी दोबारा कर्नाटक आयें, तो उनको चप्पल से पीटकर वापस भेज देना चाहिये.'
बीजेपी नेता येदियुरप्पा ने कांग्रेस नेता के बयान पर कड़ी आपत्ति जतायी थी, 'गुंडूराव के द्वारा योगी आदित्यनाथ के खिलाफ किए गए शब्दों से मैं चकित हूं. यह पूरी तरह से नाथ संप्रदाय के संत और एक मुख्यमंत्री का अपमान है. कर्नाटक में नाथ संप्रदाय को मानने वाले लाखों लोग माफ नहीं करेंगे. मेरी आपकी और आपके पार्टी की संस्कृति से पूरी सहानुभूति है.'
Dinesh Gundu Rao's choice of words to address Yogi Adityanath ji has appalled me. Utter disrespect to a CM & a revered Natha family saint. The millions of Natha Panth followers of Karnataka will never forgive this. I sympathise with you and your party’s culture. #apologizetoYogi pic.twitter.com/IifMq7dD7D
— B.S. Yeddyurappa (@BSYBJP) April 14, 2018
योगी के विवादित बोल
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ जाने के बाद योगी आदित्यनाथ संजीदगी जरूर दिखाने लगे हैं, लेकिन पहले के उनके ज्यादातर बयान विवादित ही होते थे. हिंदुओं का मसीहा होने का दावा करने वाले योगी के निशाने पर हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय ही होता रहा. 2014 के चुनाव में योगी का 'लव जिहाद' पर बयान सबसे ज्यादा चर्चित रहा - 'अगर वे एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन करेंगे तो हम उनकी 100 मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन करेंगे.'
यूपी चुनाव के दौरान भी योगी ने पश्चिम यूपी के लोगों के लिए विवादित बातें कही थीं और अब भी कैराना में बहस 'जिन्ना' बनाम 'गन्ना' हो चली है. जिन्ना विवाद तब खूब उछला था जब कर्नाटक में चुनाव हो रहे थे.
कैराना में भी योगी के खिलाफ सख्त लहजे में बातें हो रही हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे या फिर गुंडू राव जैसी नहीं. कैराना की लड़ाई में तो एक तरफ बीजेपी अकेले है और दूसरी तरफ पूरा विपक्ष. विपक्षी खेमे से आरएलडी नेता अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी लगातार मोर्चा संभाले हुए हैं जो चुनाव प्रचार के दौरान योगी को ढोंगी बता रहे हैं.
एक चुनावी सभा में जयंत चौधरी ने कहा, 'ऐसे अहंकारी बाबा को योगी भी कहना गलत है. योगी बाबा तो तपस्वी होते हैं... इनके कार्य क्षेत्र में बच्चों की जान चली गई... इन्होंने माफी मांगना भी गंवारा नहीं समझा... मैंने उनका अहंकार तोड़ने के लिए उंगली तोड़ने की बात कही थी...'
जयंत चौधरी हों या फिर कांग्रेस नेता - योगी से उनका वैचारिक विरोध तो समझ में आता है, लेकिन उद्धव ठाकरे का बयान बड़ा अजीब लगता है. चुनाव प्रचार के दौरान तो वैसे भी बड़ी ही निचले स्तर की बातें होने लगी हैं, लेकिन एक हिंदू नेता का दूसरे हिंदू नेता के खिलाफ ऐसा बयान समझ में नहीं आ रहा. उद्धव ठाकरे और दूसरे शिवसेना नेता प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ भी लगातार हमलावर रहते हैं लेकिन योगी के खिलाफ जो जुबान सुनने को मिल रही है वो बिलकुल अलग है. योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने जैसा बयान दिया है वैसी ही बातें कर्नाटक चुनाव के दौरान एक कांग्रेस नेता ने कही थी. खुद भी कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करने वाले उद्धव ठाकरे का बयान उनके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. अगर किसी रणनीति के तहत उद्धव ठाकरे ने योगी के खिलाफ ऐसा बयान दिया है तो बात दीगर है.
इन्हें भी पढ़ें:
कर्नाटक से ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं होगा कैराना का कोहराम
बीजेपी को भले नुकसान हो, यूपी लौट आना योगी के लिए तो फायदेमंद ही है
बिरादरी और पुलिस का गठजोड़ फजीहत की जड़ है, योगी पर वो सब पड़ रहा भारी
आपकी राय