कोरोना से जूझते बीता योगी आदित्यनाथ का 2020 - नया स्ट्रेन 2021 की नयी मुसीबत
2021 की दहलीज पर भले ही योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) में ओवैसी-केजरीवाल जैसी चुनौतियां ललकारने लगी हों, लेकिन 2022 से पहले ज्यादा बड़ी परेशानी है कोरोना वायरस का नये स्ट्रेन (Mutant Covid Strain).
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योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को 2020 का 'सबसे तेज सीएम' चुना गया है, जबकि सोनू सूद सबसे तेज हीरो बने हैं - और दोनों को आज तक 'सबसे तेज अवार्ड्स - 2020' से नवाजा गया है. 2020 की सबसे तेज हस्तियां चुनने के लिए 'आज तक' ने SMS पोल कराया था और लोगों के वोट देने के हिसाब से अवॉर्ड का विजेता घोषित किया गया है.
सबसे तेज राजनेता का खिताब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम रहा, जबकि सबसे तेज अभिनेत्री कंगना रनौत बनी हैं. सबसे तेज हीरो वाली कैटेगरी में सोनू सूद को अमिताभ बच्चन, सलमान खान, अजय देवगन और अक्षय कुमार जैसे धुरंधर टक्कर दे रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान आम लोगों खास कर प्रवासी मजदूरों की मदद के मामले में सोनू सूद सभी पर भारी पड़े.
देखा जाये तो उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के लिए तो योगी आदित्यनाथ के प्रयास भी सोनू सूद से कम नहीं रहे. सोनू सूद की मदद का दायरा पूरा देश रहा, जहां तक यूपी की बात है योगी आदित्यनाथ की कोशिशें शानदार रहीं. प्रवासी मजदूरों से लेकर कोचिंग के लिए कोटा गये छात्रों को उनके घर पहुंचाने के लिये लोग योगी आदित्यनाथ की सक्रियता को लंबे अरसे तक याद जरूर रखेंगे - बाकी उनकी राजनीति के पहलू अपनी जगह हैं और चुनावी राजनीति के नतीजों को अलग से देखा जा सकता है.
AIIMS के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना वायरस की नये स्ट्रेन (Mutant Covid Strain) को बेहद संक्रामक बताया है - और हर किसी को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी है. उत्तर प्रदेश से जो खबर आ रही है, उससे तो ऐसा ही लगता है लोग अब भी घोर लापरवाही बरत रहे हैं.
ब्रिटेन से लौटने वालों में 500 से ज्यादा लोगों का कोई अता पता नहीं है. लाख कोशिशों के बावजूद सब के सब सरकारी एजेंसियों की पहुंच के बाहर हो गये हैं. वैसे तो यूपी सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ पैंडेमिक एक्ट के तहत एक्शन लेने जा रही है, लेकिन ये तो मानना ही पड़ेगा कि कोरोना वायरस की नया स्ट्रेन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लिए भी नयी मुसीबत लेकर आयी है.
कोरोना से जूझते बीता 2020
देश में कोरोना वायरस का पहला केस कब और कहां मिला, ऐसे फैक्ट चेक को थोड़ी देर के लिए दरकिनार कर दें तो ये कनिका कपूर रहीं जिनके पॉजिटिव होने का पता चलते ही हड़कंप मच गया. जब कनिका कपूर ने खुद के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर इंस्टाग्राम पर ब्रेक की तब तक काफी देर हो चुकी थी. लखनऊ में जिस पार्टी में वो शामिल हुई थीं उसमें कई नौकरशाहों और हस्तियों में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे दुष्यंत सिंह भी शामिल रहे. बाद में पार्टी में शामिल सभी लोगों ने खुद को क्वारंटीन किया और जिन लोगों से मिले थे उनको भी कोरोना टेस्ट कराने के बाद जरूरी एहतियातें बरतनी पड़ी थीं.
तब लंदन से लौटीं बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर के खिलाफ लापरवाही बरतने को लेकर केस दर्ज हुआ - और अब ब्रिटेन से लौटे लोगों के खिलाफ भी सरकार को वही व्यवहार करने को मजबूर होना पड़ रहा है. अगर वे लोग प्रोटोकॉल को फॉलो करते तो सरकारी अफसर उनकी तलाश करने की जगह सूबे के बाकी लोगों के लिए जरूरी इंतजामों में जुटते.
ब्रिटेन में कोरोना की जो नया स्ट्रेन मिला है, उसी से से मेरठ में दो साल की एक बच्ची भी संक्रमित पायी गयी है - और उसके बाद भी लोगों की लापरवाही बेहद खतरनाक साबित हो सकती है. योगी सरकार ने ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन लेने की हिदायत के साथ ही पूरे स्वास्थ्य महकमे को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है.
2020 जैसी कोरोना वायरस की चुनौती योगी आदित्यनाथ के सामने 2021 में भी बनी रहने वाली है!
30 दिसंबर को 5 नये लोगों की शिनाख्त हुई है और उनका सैम्पल जांच के लिए सीएसआईआर मुख्यालय दिल्ली भेजा गया है. स्वास्थ्य विभाग ने ब्रिटेन से लौटे लोगों का पता लगाने के लिए जगह जगह पूछताछ की है लेकिन असफलता ही हाथ लगी है. 9 दिसंबर के बाद उत्तर प्रदेश लौटे लोगों में से ज्यादातर के मोबाइल या तो स्वीच ऑफ हैं या फिर नॉट-रिचेबल बता रहे हैं जिससे स्वास्थ्य विभाग संपर्क नहीं कर पा रहा है.
खबरों के मुताबिक, ब्रिटेन से यूपी लौटे 565 लोग अब तक नहीं खोजे जा सके हैं. वैसे तो 9 दिसंबर के बाद से 1655 लोग लौटे बताये जा रहे हैं, लेकिन उनमें से 1090 लोगों से संपर्क हो गया है. आरटीपीसीआर जांचल में 10 लोग संक्रमित पाये गये हैं जिनमें से आठ को यूपी और दो को दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. यूपी सरकार के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से साफ तौर पर बोल दिया गया है कि जांच में संक्रमित पाये गये लोगों को हर हाल में अस्पताल में अलग आइसोलेशन वार्ड भर्ती कराया जाये.
विदेश से लौटे लोगों के लिए इस बार 28 दिन तक घर पर ही रहने की सलाह दी जा रही है, भले ही उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव ही क्यों न आयी हो. पहले ये 14 दिन के लिए ही हुआ करता था. हिदायत ये भी है कि इस दौरान विदेश यात्रा से वापस लोग हमेशा मास्क लगाकर रहें और अपने घरवालों से भी कम से कम मिलें. अगर किसी में सर्दी जुकाम या बुखार के लक्षण पाये जाते हैं तो उनको तत्काल कोविड कंट्रोल सेंटर भेजा जाये.
कोरोना के नये स्ट्रेन के साथ हो रहा 2021 का आगाज
देश भर से कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन के अब तक 20 मामले सामने आ चुके हैं, जिसे एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बेहद संक्रामक बताया है. डॉक्टर गुलेरिया की सलाह है कि हर स्तर पर कोशिश यही होनी चाहिये कि भारत में ये बड़े पैमान पर न तो आ सके और न ही फैल सके. डॉक्टर गुलेरिया के मुताबिक, कोरोना वायरस ने दुनिया में कई जगहों पर अपने रूप बदले हैं - और चिंता की सबसे बड़ी बात ये है कि ये ज्यादा संक्रामक और तेजी से फैल सकता है.
साल 2021 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन से जंग ज्यादा मुश्किल होने वाली है. जनवरी, 2021 में ही प्रयागराज में माघ मेला, मथुरा में संत समागम के अलावा भी ऐसे कई आयोजन होने हैं - इनमें हिस्सा लेने वाले सभी भागीदारों को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट के साथ ही आने की हिदायत दी गयी है.
प्रयागराज में 14 जनवरी, 2021 से 11 मार्च, 2021 तक माघ मेला चलेगा. 675 हेक्टेयर में बसाये जाने वाले माघ मेले को पांच सेक्टरों में बांटा गया है और कुल 16 गेट बनाये गये हैं. निगेटिव रिपोर्ट के साथ आने वाले साधुओं और श्रद्धालुओं के लिए थर्मल स्क्रीनिंग के साथ साथ सैनिटाइजेशन के भी सभी जरूरी इंतजाम किये जा रहे हैं.
जिस हिसाब से 2020 के जाते जाते कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन आया है और सीधे यूपी में घुसपैठ कर चुका है, नया साल 2021 में चुनौतियां कम होने वाली नहीं लगतीं.
उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा के लिए चुनाव होने वाले हैं, निश्चित तौर पर वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ी चुनौती है - लेकिन उससे पहले कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन सबसे बड़ा चैलेंज बन कर आ चुका है.
2020 में योगी आदित्यनाथ के सामने कोरोना वायरस से जुड़ी पहली चुनौती तो दिल्ली से ही मिली थी, जब लॉकडाउन लगते ही लोग घर लौटने के लिए सड़क पर निकल पड़े. तब दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार यूपी और बिहार सरकारों के निशाने पर आ गयी थी. अरविंद केजरीवाल सरकार पर आरोप रहा कि चुनावों में पूर्वांचल के लोगों के वोट से सरकार बनाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन लगते ही लोगों को सड़क पर छोड़ दिया. एक साथ हजारों लोग यूपी बॉर्डर पर जमा हो गये थे और तभी रातों रात योगी आदित्यनाथ ने बसें भेजी और लोगों के लौटने का इंतजाम किया.
अब वही अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी 2022 के आम चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में दस्तक देने लगे हैं. यूपी चुनाव में दिलचस्पी तो बिहार में पांच सीटें जीतने वाले असदुद्दीन ओवैसी भी दिखा रहे हैं. बाकी सपा, बसपा और कांग्रेस तो पहले से सक्रिय हैं ही.
बाकी राजनीतिक दलों को तो महज चुनावी राजनीति की चुनौती है, लेकिन योगी आदित्यनाथ के सामने कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन भी चुनौती बन कर आ मैदान में चुका है.
ओवैसी हों या केजरीवाल - योगी की सियासी सेहत पर बहुत फर्क पड़ने वाला है, कम से कम अभी तो ऐसा नहीं लगता है, लेकिन 2022 के पांच-सालाना इम्तिहान से पहले कोरोना का नया स्ट्रेन अग्नि परीक्षा जरूर लेने वाला है - क्योंकि ये अकेले योगी आदित्यनाथ के सामने ही नहीं पूरी दुनिया की सेहत के लिए चुनौती बना हुआ है.
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