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Updated: 25 जून, 2017 07:29 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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एक मां का अपने बच्चे को स्तनपान कराना बहुत सामान्य बात है, लेकिन पब्लिक में ब्रेस्टफीड कराना हमेशा ही बहस का विषय रहा है. पर जब मां ऑस्ट्रेलिया की सांसद हो और स्तनपान कराने की जगह संसद, तो बात कुछ और ही होती है. तो बात में वजन भी होता है और इतिहास भी बन जाता है.

पार्लियामेंट में ब्रेस्टफीड करातीं सासंद लारिसा वाटर्स की तस्वीरें नई नहीं है. पिछले महीने भी हमने कई अखबारों में वाटर्स के बारे में पढ़ा कि लारिसा वाटर्स आस्ट्रेलिया की संसद में स्तनपान कराने वाली पहली राजनेता हैं और उनकी बच्ची आलिया जॉय ने संसद में स्तनपान करके इतिहास रच दिया है.

breatfeeding in publicमई में लारिसा वाटर्स ने ये तस्वीर ट्विटर पर शेयर की थी

आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलियाई संसद ने पिछले साल ही महिला सांसदों को चेंबर में स्तनपान कराने की अनुमति दी थी. इससे पहले माएं बच्चों को चेंबर में नहीं ला सकती थीं. वाटर्स अपनी मैटरनिटी लीव्स खत्म होने के बाद, अपनी बच्ची को लेकर कई बार संसद में आईं और उसे स्तनपान भी कराया. मीडिया ने उन्हें कवर भी किया. और उनकी तारीफ भी खूब की गई.

waters2-650_062517060840.jpgवाटर्स कई बार संसद में अपनी बच्ची के साथ आईं और काम किया

लेकिन लारिसा वाटर्स एक बार फिर चर्चाओं में आ गई हैं. वजह इस बार तस्वीर नहीं, इस बार वायरल होने की वजह दूसरी है. असल में इस बार वाटर्स का वीडियो वायरल हो रहा है. क्योंकि संसद में ये पहला मौका था जब वो बच्ची को दूध पिलाते हुए ही खड़ी हुईं और संसद में अपनी बात भी कही. और इस तरह संसद में बोलते हुए और स्तनपान कराते हुए उनका वीडियो वायरल हो गया.  

देखिए वीडियो-

ये वीडियो अपने आप में खास है क्योंकि वास्तव में पब्लिक में ब्रेस्टफीडिंग आज भी टैबू है. 2003 में विक्टोरियन सांसद क्रिस्टी मार्शल को संसद से निकाल दिया गया था क्योंकि वो अपनी 11 दिन की बच्ची को दूध पिला रही थीं. 2016 में स्पेन की सांसद कैरोलीना बेस्कैंसा को संसद के दौरान स्तनपान कराने पर लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. उनके लिए कहा गया कि ऐसा करके लोगों का ध्यान खींचना चाहती थीं.

breastfeed-3-650_062517061311.jpgसंसद से जाती हुई क्रिस्टी मार्शल और आलोचनाओं का शिकार हुईं सासंद कैरोलीना बेस्कैंसा

ये तो महिला सांसद हैं, जो अपने अधिकारों को जानती हैं और उनके लिए आवाज भी उठाती हैं, लेकिन समाज ने स्तनपान के मुद्दे पर इन्हें भी नहीं छोड़ा, तो आम महिलाओं की तो बात ही क्या.

ऐसे में निश्चित तौर पर लारिसा वाटर्स तारीफ के काबिल हैं, और साथ ही ऑस्ट्रेलियाई संसद भी, कि उन्होंने महिलाओं के लिए उदार नियम बनाए जिससे मां अपने काम और बच्चों की परवरिश के बीच संतुलन बना सकें. ये वीडियो अपने आप में मातृत्व और महिला अधिकारों की बात करता है और बहुत से लोगों को आईना भी दिखा रहा है कि पब्लिक में ब्रेस्टफीडिंग वास्तव में बहस का मुद्दा नहीं रह गया है बल्कि ये बच्चे की वो जरूरत है जिसे हरएक मां को पूरा करना ही चाहिए, चाहे वो कितनी ही बड़ी जगह या कितने ही ऊंचे ओहदे पर क्यों न हो. और रही बात सही और गलत का ज्ञान देने वालों की तो उनकी ऐसी की तैसी.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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