जब नाश मनुज पर छाता है तो क्या वो सुषमा स्वराज सरीखा बन जाता है ?
पासपोर्ट मामले में जनता की प्रतिक्रिया झेल रहीं सुषमा स्वराज का जो रुख है वो साफ बता रहा है कि वो बुरी तरह बौखला गयी हैं और अपने विवेक को दरकिनार कर ऐसा बहुत कुछ कर रही हैं जो निंदनीय है.
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रामधारी सिंह 'दिनकर' का शुमार हिंदी के बड़े कवियों में है. दिनकर ने एक खंडकाव्य लिखा था नाम था 'रश्मिरथी' सात सर्गों वाले इस खंडकाव्य में महाभारत के अनुपम दानी कर्ण और भगवान श्री कृष्ण की बातचीत का बड़ी ही खूबसूरती से चित्रण किया गया है. वैसे तो इस खंडकाव्य में नीति, न्याय और ज्ञान से जुड़ी तमाम बातें हैं मगर इस खंडकाव्य की दो पंक्तियां ऐसी हैं जो वर्तमान परिदृश्य में कई परिस्थितियों के अंतर्गत बिल्कुल सटीक बैठती हैं. बात आगे बढ़ाने से पहले आइये एक नजर डाल लें उन पंक्तियों पर. रश्मिरथी के तृतीय सर्ग में कवि लिखते हैं कि
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है.
लखनऊ के पासपोर्ट मामले में अपनी प्रतिक्रिया देने वाली सुषमा स्वराज लगातार सवालों के घेरे में हैं
इन दो पंक्तियों में कवि ने अपनी रचना के जरिये गागर में सागर भर दिया गया है. इसे पुनः पढ़िये और अपने आस पास रखकर देखिये. कई मुद्दों के अलावा आपको ये पंक्तियां सुषमा स्वराज के मामले में भी प्रासंगिक लगेंगी. तन्वी सेठ उर्फ सादिया अनस के पासपोर्ट प्रकरण में लगातार आलोचना और ट्रोल्स की भद्दी बातों का शिकार हो रहीं विदेश मंत्री इस मामले से बौखला गई हैं. अब उन्हें रत्ती भर भी विरोध बर्दाश्त नहीं हो रहा और शायद यही वो कारण है जिसके चलते अब वो माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर ब्लॉक-ब्लॉक खेल रही हैं.
इस मामले को लेकर ट्विटर पर दो तरह के लोग हैं. एक वो जो तन्वी सेठ के साथ किये गए पक्षपात के कारण सुषमा को अपशब्द कह रहे हैं. दूसरे वो जो सभ्यता के दायरे में रहकर सधे हुए शब्दों के साथ सुषमा से सवाल पूछ रहे हैं और उनकी आलोचना कर रहे हैं. विदेश मंत्री को शब्दों की कोई परवाह नहीं है जो सुर उनके विरोध में उठ रहे हैं वो उसे ब्लॉक कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही हैं.
तन्वी सेठ मामले से पहले तक सुषमा आम और खास, दोनों तरह के आलोचकों के बीच सौम्य छवि वाली नेता थीं. सुषमा को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता था जो मदद की दरकार पर फौरन एक्शन लेतीं और ट्विटर पर 140 शब्द टाइप कर न सिर्फ अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करतीं बल्कि फरयादी को उसका हक भी दिलवातीं. बड़े बुजुर्गों से सुना था कि अच्छाई को कोई याद नहीं रखता. बुराई की दास्तानें लोग याद रखते हैं और उनपर चर्चा का दौर चलता है. पहले ऐसी बातों पर यकीन जरा कम होता था मगर जब 'सुषमा स्वराज' का प्रकरण देखा तो विश्वास हो गया है कि "हमारे वरिष्ठों" ने कोई बात ऐसे ही नहीं कही थी. उनकी कही बात के पीछे उनका अनुभव और गहरा शोध था.
सुषमा स्वराज का शुमार ट्विटर के सबसे सक्रिय राजनेताओं में हैं
मामले पर सुषमा लगातार आलोचकों की आलोचना का शिकार हो रही हैं मगर जो उनका रुख है साफ बता रहा है कि वो घटना के कारण इतना अवसाद में हैं कि उनका विवेक लगातार मरा जा रहा है. वो सिम्पैथी गेन करने और अटेंशन पाने के लिए ट्वीट तो कर रही हैं मगर जिस वक़्त उनसे सवाल किया जा रहा है और जब वो जवाब देने में असमर्थ हैं वो उनका मुंह बंद कर दे रही हैं.
ताजा मामला ट्विटर सेलेब्रिटियों में शुमार सोनम महाजन और सुषमा स्वराज के बीच ट्वीट्स की अदला बदली और आलोचना से जुड़ा है. सोनम महाजन ने uttarpradesh.org के एक लिंक के साथ सुषमा को ट्वीट किया था. सुषमा को मेंशन इस ट्वीट में सोनम ने लिखा था कि. "ये गुड गवर्नेंस देने आए थे. ये लो भाई, अच्छे दिन आ गए हैं @SushmaSwaraj जी मैं कभी आपकी फैन थी और उनसे लड़ी थी जिन्होंने आपको अपशब्द कहे थे. अब आप भी मुझे ब्लॉक करके इनाम दीजिये. इन्तेजार रहेगा."
Yeh good governance dene aaye the. Yeh lo bhai, achhe din aa gaye hain. @SushmaSwaraj ji, I was once a fan and fought against those who abused you, ab aap please, mujhe bhi block kar ke, inaam dijiye. Intezaar rahegaa. https://t.co/a2AlYczY5j
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) July 2, 2018
सोनम के इस ट्वीट पर वो हुआ जिसकी शायद ही किसी को उम्मीद थी. ट्वीट का रिप्लाई करते हुए गृह मंत्री सुषमा स्वराज ने लिखा कि. "इंतज़ार क्यों ? लीजिये कर दिया ब्लॉक"
Intezaar kyon ? Lijiye block kr diya. https://t.co/DyFy3BSZsM
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) July 3, 2018
अगर इस मामले को देखें तो मिल रहा है कि सोनम ने न ही अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया और न ही अपशब्द कहे. उन्होंने बस एक मामले पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी की थी मगर जिस तरह सुषमा ने उनका जवाब दिया वो ये बताने के लिए काफी है कि अब वो वक़्त आ गया है जब विरोध होने पर मुंह बंद कर बात खत्म कर दी जाएगी.
इस मामले पर बड़ी संख्या में लोग सोनम के साथ आ गए हैं और तीखे लहजे में सुषमा की आलोचना कर रहे हैं.
@ExSecular ने सुषमा स्वराज को मेंशन करते हुए लिखा है कि, 'इस पर विश्वास करना मुश्किल है. आप ट्विटर पर उन लोगों से लड़ रही हैं जो लगातार आपका समर्थन करते आए हैं.'
Unbelievable.. you are getting into petty fights on twitter and that too with those who supported you all the time ..
— ex-secular (@ExSecular) July 3, 2018
इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए @UChurasia ने सुषमा को राजनीति से सन्यास लेने तक की सलाह दे दी है.
लगता है कि सुषमा स्वराज जी का अब राजनीति से मन भर गया है मेरी मानिये तो अब आप सन्यास ले ही ले क्योंकि 2019 में आपकी हार तय हैसन्यास की सलाह इसलिए दे रहा हूँ क्योंकि मैं नही चाहता हूँ कि आपके कारनामों के कारण बीजेपी को भी हार का मुँह देखना पड़े
— UMESH CHAURASIA (@UChurasia) July 3, 2018
इस विषय पर @bpmishra109 का तर्क भी सोचनीय है. मिश्रा के अनुसार अब सुषमा के वनवास की तैयारी हो चुकी है.
गलत निर्णय के बाद भी माफी मांग लेना महानता होती लेकिन जिसतरह से सुषमा जी उपदेस देना चालू कर दी है।उससे लग रहा वनवास की तैयारी हो चुकी है।
— Bhuwaneshwar Mishra (@bpmishra109) July 3, 2018
@life_hacker23 ने कहा है कि, हमें आपसे ऐसी आशा नहीं थी. आपने गलत शर्तों के साथ पासपोर्ट दिया है. आप हमें ब्लॉक तो कर सकती हैं मगर हमारी आवाजों को दबा नहीं सकती हैं.
Mam this is really not that we all expected from you. We always praised ur efforts done to reach the needy abroad. Issuing a passport on wrong terms & lowering officer's morale can never be justified. You can block us but not the Truth. Let ur conscience be your guide.
— गेंदलतिया रणजीत (@life_hacker23) July 3, 2018
ट्विटर यूजर @abhi1ash ने भी केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा की गई इस हरकत पर त्वरित प्रतिक्रिया दी है. अभिलाष ने लिखा है कि सुषमा किसी छोटी बच्ची की तरह व्यव्हार कर रही हैं. यह किस तरह का व्यव्हार है?
Very mature Sushmaji. Very mature . I think you have lost it . A little criticism and you are flipping out like a teenage girl . What kind of narcissism is this ? @SushmaSwaraj @AdityaRajKaul @AsYouNotWish pic.twitter.com/ZEXt84Bpvt
— തീറ്റ റപ്പായി (@abhi1ash) July 3, 2018
ट्विटर पर कुछ लोग ऐसे भी मिले जिन्होंने सुषमा के इस बर्ताव को उनकी बिगड़ती तबियत से जोड़कर भी देख लिया.
@AsYouNotWish ji,if i were in ur posn i wudn't hv gvn a fig to this block,but Q is why she hs changed,it is she only who prepared the grounds for bjp to come to powerin 2014,but now?loox she seems to have no political stakes may b due to health reasons,contd..
— prasanna s. b. (@prasannasb1) July 3, 2018
हालांकि इस मामले पर एक के बाद एक कई ट्वीट आ रहे हैं मगर सोनम महाजन ने ये कहकर अपनी बात को विराम दे दिया कि, बहुत शुक्रिया, मोहतरमा. जो आपसे तार्किक सवाल पूछें आप उनके साथ यही बेहतर कर सकती थीं. हमें भी ट्रोल की श्रेणी में डाल दीजिये, आपको वोट इसी लिए तो दिया था. मैं आपकी सेहत और भविष्य के लिए दुआ करती हूं.
Bohat shukriya, mohatarma ???? That’s the best, you can do to those who ask you logical questions. Humein bhi troll category mein daal dijiye, aapko vote isi liye toh diya tha. I wish you all the best with your health and endeavours ???? https://t.co/XmUWRNhnKE
— Sonam Mahajan (@AsYouNotWish) July 3, 2018
ध्यान रहे कि विदेश से लौटने के बाद सुषमा स्वराज ने कभी लाइक कर तो कभी रिट्वीट और ब्लॉक की मदद से उन आवाजों को दबाने का प्रयास किया जिन्होंने तन्वी सेठ प्रकरण में इनसे सवाल पूछा. इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात ये भी थी कि अपनी गलती मानने और देश की जनता से माफ़ी मांगने के बजाए सुषमा स्वराज ने विक्टिम कार्ड खेलना कहीं बेहतर समझा और फिर जो उसके बाद हुआ वो हमारे सामने हैं. सुषमा इतने पर भी रुक जाती तो ठीक था मगर उन्होंने सहानुभूति बटोरने के चलते ट्विटर पर एक पोल का निर्माण किया और उस पोल के बाद फिर जनता ने सुषमा की जमकर आलोचना की.
Friends : I have liked some tweets. This is happening for the last few days. Do you approve of such tweets ? Please RT
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) June 30, 2018
उपरोक्त ट्वीट और बातें ये बताने के लिए काफी हैं कि सुषमा एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस गई हैं जहां से निकलना उनके लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. ऐसे में वो वाकई यदि इस चक्रव्यूह से निकलना चाहती हैं तो उन्हें अपने विवेक का इस्तेमाल करना होगा. उन्हें ये समझना होगा कि विरोध का मतलब ये नहीं है कि आप किसी का भी मुंह बंद कर दें और अपने रास्ते चल दें.
इन बातों के अलावा सुषमा को ये भी याद रखना होगा कि हम एक ऐसे देश में हैं जहां लोकतंत्र है और लोकतंत्र में ये हमारा अधिकार हैं हम उनसे सवाल करें और वो हमारा मुंह दबाने की अपेक्षा उन सवालों का जवाब दें. यदि सुषमा वक़्त रहते इन बातों को समझ जाती हैं तो बहुत अच्छा है वरना दिनकर की रश्मिरथी के प्रथम सर्ग की कुछ और पंक्तियां हैं जो इस मामले पर प्रासंगिक हैं. दिनकर ने लिखा है कि -
मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का, वीरों का,
धनुष छोड़कर और गोत्र क्या होता रणधीरों का ?
पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर,
‘जाति-जाति’ का शोर मचाते केवल कायर, क्रूर.
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