शरद पूर्णिमा की खीर में अमृत गिरे न गिरे, ये जहर जरूर गिरेगा
दिल्ली और आसपास रहने वाले लोगों के लिए ये शरद पूर्णिमा सिवाय एक तिथि से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं रह गई. आप भले ही खीर बनाएं, उसे चांदी के बर्तन में बाहर रखें लेकिन उसमें अमृत मिलेगा और वो खीर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगी इसमें अब साफ तौर पर संशय उत्पन्न हो गया है.
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शरद पूर्णिमा की रात हर घर में खीर जरूर बनती है. रिवाज है कि खीर बनाकर रात भर उसे बाहर चांद की रौशनी में रखा जाता है, और फिर उसे खाया जाता है. कहते है रात भर बाहर रखी गई ये खीर बहुत प्रभावशाली हो जाती है, इसे खाकर रोग खत्म हो जाते हैं और रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार चन्द्रमा को औषधि का देवता माना जाता है. इस दिन चांद अपनी 16 कलाओं से पूरा होकर अमृत की वर्षा करता है और अमृत की बूंदें खीर में मिल जाती हैं.
लेकिन विज्ञान की नजर से देखा जाए तो इसके पीछे कई सैद्धांतिक और वैज्ञानिक तथ्य छिपे हुए हैं. एक अध्ययन के अनुसार शरद पूर्णिमा पर औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती है. चंद्रमा इस रात पृथ्वी के काफी करीब होता है. खीर भी इसीलिए बनाई जाती है क्योंकि दूध में लैक्टिक एसिड होता है. जो चंद्रमा की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति शोषित करता है. चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और भी आसान हो जाती है. इससे पुनर्योवन शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
शरद पूर्णिमा पर चांद अपनी 16 कलाओं से पूरा होकर अमृत की वर्षा करता है
ये तो रहा शरद पूर्णिमा का महत्व, लेकिन दिल्ली और दिल्ली के आसपास रहने वाले लोगों के लिए ये शरद पूर्णिमा सिवाय एक तिथि से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं रह गई. आप भले ही खीर बनाएं, उसे चांदी के बर्तन में बाहर रखें लेकिन उसमें अमृत मिलेगा और वो खीर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगी इसमें अब साफ तौर पर संशय उत्पन्न हो गया है. भले ही इस रात चांद पृथ्वी के बेहद करीब हो और चांद की चांदनी में बसने वाले गुण भी चांद हमें देने को आतुर हो, लेकिन बीच में प्रदूषण की जो दीवार खड़ी हो गई है, वो हम लोगों को चांद की किरणों के औषधीय गुण शोषित करने में बाधा डाल रही है.
शरद पूर्णिमा को हम रिवाज की तरह मना तो सकते हैं लेकिन उसका फायदा जो हम पीढ़ियों से लेते आ रहे हैं वो शायद अब संभव नहीं लगता.
बहुत खराब हैं दिल्ली के हालात-
दिवाली आने में कुछ वक्त बाकी है, लेकिन हवाओं ने अपना रंग बदलना शुरू कर दिया है. प्रदूषित हवा अब सुबह के शुद्ध वातावरण को भी मैला कर रही है.
#Delhi's Anand Vihar at 999 under 'Hazardous' category, area around US Embassy, Chanakyapuri at 208 & area around Major Dhyan Chand National Stadium at 214 under 'Unhealthy' category in Air Quality Index pic.twitter.com/Sa5OJTYQqp
— ANI (@ANI) October 24, 2018
प्रदूषण पर आए डेटा हमें डराने के लिए काफी हैं. ये बताते हैं कि महज 10 दिनों में ही प्रदूषण की स्थिति औसत से बुरी हुई फिर बहुत बुरी होते हुए खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है. अगले कुछ दिनों में हालात और बिगड़ेंगे क्योंकि दिवाली सर पर है.
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) रोज एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) चेक करता है. इंडेक्स बड़े पॉल्यूटेंट PM2.5 और PM10 को मापती है. अगर इनकी वैल्यू 0- 50 के बीच है सामान्य है, 51-100 के बीच संतोषजनक, 101-200 के बीच हल्का प्रदूषण, 201-300 के बीच बुरा, 301-400 के बीच बहुत बुरा, 401-500 लेवल पर खतरनाक माना जाता है. हवा की गुणवत्ता के बहुत बुरी स्थिति में पहुंचने पर ही लोगों को सांस संबंधी परेशानियां होने लगती है.
CPCB का डेटा दिखाता है कि इस बार 21 अक्टूबर को दशहरे के त्योहार के बाद से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता बहुत तेजी से खराब हुई है. भिवंडी में AQI 412, फरीदाबाद में 310, गुड़गांव में 305, गाजियाबाद में 297, ग्रेटर नोएडा में 295 और दिल्ली में 292 रहा है.
ET Energyworld की रिपोर्ट की मानें तो पिछले 10 दिनों में दिल्ली-एनसीआर में 12 अक्टूबर को AQI 154 था जो 20 अक्टूबर तक 326 तक पहुंच गया. हालांकि 22 अक्टूबर को इसमें थोड़ा सुधार हुआ और AQI 272 तक आ गया. गाजियाबाद में भी 12 अक्टूबर को एक्यूआई 122 रहा और 20 अक्टूबर तक 314 पर पहुंच गया.
दिल्ली में हवा का स्तर बहुत बुरा
जब दिल्ली की हवा बहुत खराब स्तर पर आई तभी प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू किया गया. लेकिन वो पहले से ही असफल दिखाई दे रहा है. क्योंकि ग्रैप पर काम करने के लिए केंद्र और राज्य स्तरीय समन्वय की आवश्यकता होती है. लेकिन पराली भी जलाई जा रही है, मनमाने वाहन भी चल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली, क्रिसमस और नए साल पर पटाखे फोड़ने के लिए टाइमिंग फिक्स कर दी है, 8 से 10 बजे तक ही पटाखे फोड़े जाएंगे. लेकिन क्या ये संभव लगता है? नहीं.
दिवाली आएगी और दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर में बदल जाएगा. ठंड बढ़ने के साथ-साथ सांस की परेशानी झेल रहे लोग और परेशान होंगे. सड़कों पर मास्क लगाए लोग दिखाई देने लगेंगे, स्कूलों की छुट्टी कर दी जाएगी. ऑड-ईवन शुरू हो जाएगा. इससे ज्यादा कुछ नहीं होगा.
तो आज शरद पूर्णिमा पर खीर तो बनेगी, उसे रिवाज के तौर पर बाहर रखा भी जाएगा, लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि उसमें अमृत नहीं जा पाएगा, जाएगी तो खराब और प्रदूषित हवा, जिसमें सिवाय जहर के कुछ नहीं है.
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