गाजियाबाद की प्रदूषित हवा में अपराध भी घुल गया है!
Cyber crime में तो गाजियाबाद (Ghaziabad) का नाम 'मेरिट' में आया है. आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि 2015 में IT act के अंतर्गत गाजियाबाद में साइबर क्राइम के मात्र 24 मामले दर्ज किए गए थे. लेकिन अगस्त 2019 तक ये मामले 2,133 हो गए.
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यूं तो हर शहर की कोई न कोई खासियत होती है, लेकिन एक शहर ऐसा भी है जिसकी एक खासियत ढ़ूंढने चलेंगे तो 4 मिलेंगी. लेकिन इन खासियतों में एक भी ऐसी नहीं है जिसपर फख्र किया जा सके. कुछ मामलों में गाजियाबाद (Ghaziabad) दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की कर रहा है. और ये मामले हैं क्राइम, साइबर क्राइम, और प्रदूषण. यूपी के इस पश्चिमी जिले और एनसीआर का हिस्सा गाजियाबाद जितनी निगेटिव खबरों के कारण चर्चा में है, उसके आगे बॉलीवुड क्राइम थ्रिलर मूवी 'जिला गाजियाबाद' तो मामूली ट्रेलर ही लगेगी.
भारत का सबसे प्रदूषित शहर है गाजियाबाद
इस बात को न जाने अब कितना समय बीत गया होगा जब गाजियाबाद के लोगों ने साफ हवा में सांस ली होगी. प्रदूषण की धुंध इस कदर छाई है कि सुबह सोकर उठते हैं तो उगता सूरज दिखाई नहीं देता. लेकिन दिल्ली NCR में प्रदूषण को लेकर पिछले कुछ दिनों से जो हाहाकार मचा था वो पिछले एक सप्ताह से थोड़ा शांत था. लेकिन बीते मंगलवार को हवा की गति कम हुई तो प्रदूषण की गति बढ़ गई.
गाजियाबाद भारत का सबसे प्रदूषित शहर
मंगलवार को गाजियाबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 330 दर्ज किया गया. जो मानकों से तीन गुना अधिक था.. प्रदूषण के मामले में लोनी यहां का सबसे खतरनाक इलाका है, जहां का AQI 333 दर्ज किया गया. और इसीलिए जिला गाजियाबाद दिल्ली एनसीआर का सबसे प्रदूषित शहर बन गया. गाजियाबाद वायु प्रदूषण की बेहद खतरनाक स्थिति के साथ रेड जोन में है. लेकिन 330 तो गाजियाबाद के लिए कुछ भी नहीं है. पिछले ही महीने गाजियााबाद ने सभी शहरों को पछाड़ते हुए भारत के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर की ट्रॉफी लपक ली थी. दीवाली के बाद गाजियाबाद का AQI 459 था. यानी यहां के हालातों का अब भगवान ही मालिक है.
अपराध के मामलों में भी गाजियाबाद ने खूब तरक्की की है
पिछले ही महीने National Crime Records Bureau (NCRB) ने देश भर के अपराधों का डेटा प्रकाशित किया. और उन आंकड़ों से ये पता चला कि 2015 से 2017 के बाच गाजियाबाद की अपराध दर (crime rate) 30% तक बढ़ गई. 2015 में यहां अपराध के 6441 मामले दर्ज किए गए थे जो 2006 में 8,105 और 2007 में 8,300 हो गए. जाहिर है 2018 और 2019 में अपराध के मामले में गाजियाबाद ने प्रगति ही की होगी. हत्याएं तो जरूर थोड़ी कम हुईं- 2016 में 59 हत्याएं हुईं, 2017 में 52. लेकिन अपहरण के मामलों में बहुत तेजी आई. 2016 में अपहरण के 368 मामले थे जो 2017 में 532 हो गए. यौन शोषण और घरेलू हिंसा के मामले भी अपने चरम पर थे.
यानी गाजियाबाद अपराध के मामले में भी बाकी शहरों से कड़ी टक्कर ले रहा है और जल्दी है सबको पछाड़कर नंबर 1 बनना चाहता है. यहां law and order फुस्स और अपराधी बेलगाम हैं.
अपराधों का शहर है गाजियाबाद
Cyber crime में तो गाजियाबाद का नाम मेरिट में आया है
हमने तो पहले ही कहा था कि अपराध के मामले में गाजियाबाद दिनों दिन प्रगति कर रहा है, तो फिर साइबर क्राइम को ही क्यों छोड़ा जाए. आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि 2015 में IT act के अंतर्गत गाजियाबाद में साइबर क्राइम के मात्र 24 मामले दर्ज किए गए थे. लेकिन अगस्त 2019 तक ये मामले 2,133 हो गए. यानी 4 सालों में 90 गुना बढ़ गए साइबर क्राइम के मामले. साइबर अपराधों में 90 गुना तेजी का मतलब समझते हैं आप? ऑनलाइन ठगी, धोखाधड़ी गाजियाबाद में आम है.
गाजियाबाद के पुलिस डाटा के अनुसार साइबर क्राइम में गाजियाबाद ने 8,785% की बढ़ोत्तरी हुई है. पिछले साल यानी 2018 में साइबर क्रीइम के 1935 मामले दर्ज किए गए थे. इन सालों में लोगों ने फ्रॉड और ठगी के मामलों में एक करोड़ से ज्यादा रुपए खो दिए. पुलिस के मुताबिक इन मामलों में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी ऑनलाइन शॉपिंग में की गई.
हालांकि पुलिस ने इन मामलों में कई गिरफ्तारियां भी की हैं, लेकिन इतनी वारदातों के बाद डर तो बना ही रहता है कि यहां किसी के साथ कुछ भी हो सकता है. और जान की बात करें तो वो बिलकुल भी सुरक्षित नहीं. एक तरफ प्रदूषण और दूसरी तरफ अपराध दोनों ही चरम पर हैं.
वो और ही होते हैं जो अपने शहर को प्यार करते हैं, उसपर जां निसार करते हैं. मैं गाजियाबाद में रहती हूं और मुझे इस बात की कोई खुशी नहीं है.
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