जब हवा में जहर घुलेगा तो सांसें भी खरीदनी होंगी
दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित देश मंगोलिया में 'ऑक्सीजन कॉकटेल' का एक ग्लास उतनी ताजगी दे रहा है जो 3-4 घंटे ताजी हवा लेने के बराबर बताया जा रहा है. दिमाग पर जोर भी डालें तो समझ नहीं आता कि फेफड़ों में जो काम हवा करती है वो भला एक कॉकटेल कैसे कर सकता है.
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WHO के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 14 शहर भारत के हैं. दिल्ली और वाराणसी सबसे ऊपर. पर दुनिया का वो शहर जिसने दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया वो है मंगोलिया.
मंगोलिया दुनिया का सबसे ज्यादा प्रदूषित देश है
मंगोलिया की राजधानी उलानबाटर दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित है. WHO द्वारा बताए गए सुरक्षित मानकों से 133 गुना ज्यादा प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं यहां के लोग. लोग अब खुद को प्रदूषण की गिरफ्त से बचाने के लिए तरह तरह के ड्रिंक्स पीने लग गए हैं, जैसे- 'ऑक्सीज़न कॉकटेल' और 'लंग टी'. ये वो प्रोडक्ट्स हैं जो इन लोगों को आस बंधाते हैं कि इन्हें पीने से प्रदूषण का असर कम होगा, और वो स्वस्थ रहेंगे.
विज्ञापन के मुताबिक, ऑक्सीज़न कॉकटेल करीब 1 डॉलर का है और ये दावा करता है कि एक ऑक्सीज़न कॉकटेल पीना, एक हरे भरे जंगल में 3-4 घंटे टहलने के बराबर है.
बच्चों और गर्भवती स्त्रियों को ऑक्सीजन कॉकटेल पिला रहे हैं लोग
ताजी हवा तो वहां बची नहीं लिहाजा वहां ताजी हवा लेने के लिए ऑक्सीजन कॉकटेल बनाए जा रहे हैं, जिसका एक ग्लास उन्हें उतनी ताजगी दे रहा है जो 3-4 घंटे ताजी हवा लेने के बराबर बताया जा रहा है. दिमाग पर जोर भी डालें तो समझ नहीं आता कि फेफड़ों में जो काम हवा करती है वो भला एक कॉकटेल कैसे कर सकता है. लेकिन जान प्यारी हो तो लोग कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं.
कितने कारगर हैं ये 'ऑक्सीज़न कॉकटेल्स'-
मंगोलिया में दुकानों में 'life is air' नाम के ऑक्सीज़न केन बेचे जा रहे हैं जिनका दावा है कि वो एक साधारण से जूस के ग्लास को 'ऑक्सीज़न कॉकटेल' बना देंगे. बहुत सी फारमा कंपनियों ने भी ये मशीनें बेचना शुरू कर दिया है जो जूस को झागनुमा बना देती हैं. और तो और डॉक्टर्स तो गर्भवती महिलाओं को इसे लेने की सलाह भी दे रहे हैं.
ये है ऑक्सीजन कॉकटेल मशीन
कुछ लोग खास तरह की चाय पीने लगे हैं, जिसे फेफड़े साफ हो सकें. सर्दियों में जब प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है तब लंग टी की बिक्री 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. इसे बनाने वालों का दावा है कि 'पहले ये खून से सारे टॉक्सिन(विषाक्त पदार्थ) बाहर निकालती है, फिर फेंफड़ों में मौजूद टॉक्सिन को म्यूकस में बदल देता है, और इस चाय में मौजूद पौधे लोगों का इम्यून सिस्टम बढ़ाने में मदद करते हैं.'
फिर भी WHO का कहना है कि इन पेय का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. ऑक्सीजन कॉकटेल या लंग टी का कोई लाभ नहीं है. प्रदूषण के असर को कम करने का केवल एक ही रास्ता है कि एक्सपोजर से बचें यानी कम से कम बाहर निकलें.
बच्चे और गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति में हैं. रिसर्च से पता चलता है कि गर्भावस्था से पहले अगर महिलाएं इतने प्रदूषण का सामना करती हैं तो उनके बच्चों में जन्मजात विकार होने की 20 प्रतिशत संभावनाएं बढ़ जाती हैं.
उधर मंगोलिया के लोग सरकार से नाराज भी हैं कि प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार पर्याप्त कदम नहीं उठा रही, और लोग महंगे-महंगे एयर प्यूरीफायर नहीं खरीद सकते. लिहाजा इस तरह के पेय पीने के लिए मजबूर हैं क्योंकि वो उनके बजट में हैं.
ऑक्सीजन सिलेंडर्स, जिनका उपयोग ऑक्सीजन कॉकटेल बनाने में किया जा रहा है
दुनिया के 10 में से 9 लोग प्रदूषित वायु में सांस ले रहे हैं और इस वजह से उन्हें बीमारियां हो रही हैं. प्रदूषण हर साल 70 लाख लोगों की जान ले रहा है. ऐसे में इस तरह के प्रोडक्ट्स का बाजार में आना तो स्वाभाविक है. फिर इस बात की फिक्र कौन करता है कि ये कितने कारगर साबित होते हैं.
भारत में प्रदूषण की स्थिति मंगोलिया से बेहतर तो है लेकिन जब दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 14 शहर भारत से हों तो खुद को बेहतर कहकर हम केवल खुद को बहला रहे होते हैं. हमारे यहां के हालात कब मंगोलिया जैसे हो जाएं कुछ पता नहीं. इसलिए जो स्थिति आज मंगोलिया की है वो कल भारत की भी हो सकती है और फिर इसी तरह के ऑक्सीजन सिलेंडर्स, प्यूरिफायर्स, ऑक्सीजन कॉकटेल का बाजार यहां भी सज जाएगा. तब तो न जाने प्रदूषण से बचाने वाली कितनी ही दवाएं भी ईजाद हो जाएं. लेकिन जैसा कि WHO का कहना है कि प्रदूषण से बचना है तो प्रदूषण को रोकना होगा. वर्ना एक दिन बाजार में हम भी मूर्ख खरीदार बनकर खड़े होंगे.
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