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Updated: 24 जून, 2018 12:31 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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देश में रेप क्यों होते हैं, इस बात पर अब तक लोगों के अलग-अलग तर्क सुनने को मिले. किसी ने महिलाओं के कपड़ों को रेप का जिम्मेदार बताया तो किसी ने मोबाइल का इस्तेमाल करने को, किसी के लिए वजह चाउमिन खाना थी तो किसी के लिए लड़कियों का देर रात तक बाहर रहना रेप का कारण था.

बात अगर देश की राजधानी की करें तो दिल्ली को देश की नहीं बल्कि रेप की राजधानी कहा जाने लगा है. और शायद इसीलिए यहां की सरकार के लिए ये जरूरी था कि वो दिल्ली में हो रही रेप की घटनाओं के कारणों पर विचार करे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों का अध्ययन और विश्लेषण करने के लिए दिल्ली के उप-राज्यपाल द्वारा 6 लोगों का एक पैनल बनाया गया जिसने एक रिपोर्ट तैयार की. रिपोर्ट का विषय था- 'Women’s Safety in the National Capital Territory of India'(राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र भारत में महिला सुरक्षा). इस रिपोर्ट में जो कारण दिल्ली में बढ़ रही गैंगरेप की घटनाओं के लिए जिम्मेदार बताए गए वो बाकी कारणों से जरा हटकर हैं.

कारण हैं- बाहर से आकर यहां बसने वाले पुरुषों को यहां के लोगों द्वारा 'दूसरे' या 'बाहरी' महसूस कराया जाना; ग्रामीण महिलाओं और शहरी महिलाओं की भूमिकाओं में फर्क को समझने की असमर्थता; महिला विरोधी भाषा जैसे गालियां, इशारे और चुटकुलों का इस्तेमाल करना.

rape in delhi

रिपोर्ट का कहना है कि-

- गांव से शहर आना और यहां एकदम अलग परिवेश पाना अचानक युवाओं को परेशान करता है, खासकर पुरुषों को.

- यहां के रहवासियों द्वारा किया गया व्यवहार प्रवासियों में बेचैनी पैदा करता है.

- ये भावना तब और बढ़ जाती है जब ग्रामीण इलाकों की तुलना में वो शहर में रह रही महिलाओं के काम काज के तरीके को अलग पाते हैं, वो उसे समझ नहीं पाते.

- जब ये लोग समूह में होते हैं तो महिला विरोधी भाषा का इस्तेमाल करना, इशारे करना और चुटकुले आदि हिंसा और असहिष्णुता का माहौल बनाते हैं. इस तरह का व्यवहार अक्सर सामाजिक रूप से स्वीकार्य होता है, जो हिंसा को स्वीकार्य बना देता है.

अब इन मनोवैज्ञानिक लक्षणों को आधार बनाकर बात की जाए तो रिपोर्ट से पता चलता है कि रेप करने वाले बाहर से आए हुए लोग ही होते हैं...दिल्ली के बाशिंदों में तो इस तरह का कोई लक्षण होता नहीं, लिहाजा वो रेप नहीं करते.

रिपोर्ट का नतीजा सिफर

खैर, अगर इस रिपोर्ट की बातों को समस्या माना भी जाए तो इसका हल क्या है. क्या दिल्ली के दरवाजे लोगों के लिए बंद कर दिए जाएं? क्या यहां की महिलाओं की लाइफस्टाइल गांव की महिलाओं की तरह बना दी जाए? क्या इन लोगों के ऊपर लोग तैनात कर दिए जाएं जो ये चैक करें कि कोई मां-बहन की गालियां तो नहीं दे रहा है?

नहीं, ऐसा कुछ भी करना सभव नहीं हैं. लिहाजा इन सब वजहों का कोई हल नहीं है.

जब समस्या सामने है और हल हमारे पास नहीं, इसका मतलब ये कि परिस्थितियां वही रहने वाली हैं और समस्या जस की तस. यानी दिल्ली में रेप और गैंगरेप नहीं रुकने वाले. क्योंकि इतनी रिसर्च करके आप दिल्ली में होने वाले अपराधों के कारण तो ढ़ूंढ लाते हैं, लेकिन उन कारणों पर जब काम करने की बारी आती है तब सरकार के पास कुछ नहीं होता.

इसलिए रिसर्च और रिपोर्ट्स को साइड में रखकर अब कुछ ऐसी चीजों पर दिमाग लगाना चाहिए जिससे वास्तव में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की सोच को बदला जा सके. इनके दिमागों में बलात्कार का डर बैठाया जाए. समाज में महिलाओं की छवि को बदलने के प्रयासों पर जोर दिया जाए. वरना जिस तरह से चलता आ रहा है ऐसे ही चलता रहेगा. रिपोर्ट्स बनती रहेंगी और रेप के आंकड़े बढ़ते रहेंगे.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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