Tokyo Paralympics में अवनि के गोल्ड-ब्रॉन्ज पर नहीं, जी तोड़ मेहनत-डेडिकेशन पर गौर करिये!
पहले गोल्ड फिर ब्रॉन्ज शूटर अवनि लखेरा ने टोक्यो पैरा ओलंपिक में कमाल कर दिया है और उस कहवात को चरितार्थ कर दिया है कि जब ऊपर वाला किसी को देता है तो छप्पर फाड़ के देता है. बाकी अवनि को ये सब भाग्य के भरोसे नहीं मिला है, इसके पीछे तमाम चुनौतियां और जी तोड़ मेहनत है.
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प्राइड क्या है? यदि प्रश्न कुछ इस तरह का हो तो इसके जवाब में मोटे मोटे ग्रंथ तैयार हो सकते हैं. लेकिन जवाब यदि दो शब्दों में दें तो वो होगा 'अवनि लखेरा' टोक्यो पैरा ओलंपिक 2020 का जिक्र जब जब होगा तब तब ओलंपियन और शूटर अवनि लखेरा याद की जाएंगी जिन्होंने सुदूर टोक्यो की भूमि पर उस करिश्मे को अंजाम दिया है जिसके बाद पूरा देश उनके आगे नतमस्तक है. अपनी स्पर्धा में गोल्ड जीत चुकी अवनि ने देश को एक नहीं बल्कि दो मेडल दिलवाएं हैं. पैरा शूटर अवनि ने महिलाओं की 50 मीटर राइफल 3 पोजिशन SH1 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता है. फाइनल मुकाबले में जयपुर की अवनि 445.9 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं. भारत पदकों के मामले में यूं तो पहले ही दहाई के आंकड़ों को छू चुका था इसलिए अवनि के इस पदक के बाद भारत के कुल मेडल्स की संख्या 13 हो गई है जिसमें 2 गोल्ड मेडल, 6 सिल्वर मेडल और 5 कांस्य पदक शामिल है. SH1 स्पर्धा में अवनि ने जिस तरह का गेम दिखाया ये कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि अवनि ने उस कहावत को चरितार्थ किया है जिसमें कहा गया है कि ऊपर वाला जब किसी को देता है तो छप्पर फाड़ के देता है.
टोक्यो पैरा ओलंपिक 2020 में पहले गोल्ड फिर ब्रॉन्ज जीतकर शूटर अवनि ने बता दिया कि अगर इंसान कुछ ठान ले तो वो उसे हासिल कर ही लेता है
आज भले ही टोक्यो ओलंपिक में टॉप लेवल की परफॉरमेंस के बाद सुर्खियों और चर्चाओं का बाजार गर्म हो लेकिन अवनि के लिए ये सफलता भाग्य के भरोसे वाली सफलता नहीं है. बात बहुत सीधी है. यदि आज हम अवनि की बदौलत जग में भारत का नाम होते देख रहे हैं तो हमें केवल और केवल सफलता पर नहीं बल्कि उन विषम परिस्थितियों का भी जिक्र करना चाहिए जिनका सामना एक खिलाड़ी के रूप में अवनि ने किया है.
ये अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की एक बड़ी आबादी ऐसी है जो टोक्यो में हो रहा हो या कहीं हो चुका हो, होने वाला हो, पैरा ओलंपिक को बच्चों का खेल समझती है. ऐसे लोगों का मानना बस यही रहता है कि इसमें पार्टिसिपेट करने भर की देर है यहां खिलाड़ी की जीत आसान होती है. ध्यान रहे ये सब बातें आपकी हमारी नजर से हैं. मगर जब हम पैरा ओलंपिक को एक दिव्यांग खिलाड़ी या ये कहें कि इसे एक पैरा ओलंपियन की नजर से देखते हैं तो पता चलता है कि जीत आसान किसी सूरत में नहीं है.
Our Golden Girl, Avani brings home 2nd?from Tokyo #Paralympics!!!@AvaniLekhara wins a?in Women’s 50m Rifle 3P SH1 final, taking India's medal tally to 1️⃣2️⃣ ?A brilliant feat by our talented para-shooter ????? is extremely proud of you!#Cheer4India #Praise4Para pic.twitter.com/zb3Sj3NhjH
— SAI Media (@Media_SAI) September 3, 2021
खिलाड़ी के तनाव का लेवल भी वही होता है जो भारत पाकिस्तान के क्रिकेट और हॉकी मैच में दोनों देशों के खिलाड़ी अनुभव करते हैं. जिक्र अवनि की उपलब्धियों का हुआ है तो बताना बहुत जरूरी हो जाता है कि यदि अवनि हाथ में गन थामे सुदूर टोक्यो गयीं हैं तो न तो ये 'रैंडम' है न ही इसके लिए किसी का सोर्स या सिफारिश लगी है. अवनि वहां पहुंची क्योंकि उन्होंने मेहनत की थी. अपने को तपाया था. उनके इरादे लोहा थे.
याद रखिये आसान नहीं रहा होगा एक खिलाड़ी के रूप में अवनि के लिए पहले गोल्ड फिर ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाना. अगर आज अवनि को बधाइयां और शुभकामना संदेश मिल रहे हैं तो वो वाक़ई इसकी हक़दार हैं. गोल्ड जीतने के बाद जिस मुकाबले के कारण अवनि सुर्खियों में हैं उस स्पर्धा में चीन की शूटर झांग क्यूपिंग और जर्मनी की हिल टॉप नताशा ने गोल्ड और सिल्वर पर कब्जा जमाया है.
दिलचस्प ये है कि क्वालिफिकेशन राउंड तक अवनि का स्कोर 1176 था और वो दूसरी पोजिशन पर थीं. फाइनल में क्यूपिंग ने 457.9 और नताशा ने 457.1 अंक हासिल किए. फाइनल मुकाबले में अवनि के अंक 445.9 थे और उन्हें ब्रॉन्ज मेडल के साथ संतोष करना पड़ा.
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं जब जब टोक्यो पैरा ओलंपिक का जिक्र होगा तब तब अवनि को याद किया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि अवनि ने सिर्फ गोल्ड ही नहीं जीता बल्कि एक रिकॉर्ड भी बनाया है. महिलाओं की आर-2 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में गोल्ड हासिल करने वाली अवनि भारत की पहली शूटर बन गईं हैं जिन्होंने पैरा ओलंपिक्स में भारत को शूटिंग में कोई पदक दिलवाया है.
वहीं अवनि के मद्देनजर एक रिकॉर्ड ये भी है कि वो पहली भारतीय पैरा ओलंपियन हैं जिन्होंने एक ही पैरा ओलंपिक में दो पदक जीते हैं.बात अवनि से पूर्व के खिलाड़ियों की हो तो कुछ ऐसा ही मिलता जुलता कमाल 1984 में ओलंपियन जोगिंदर सिंह सोढ़ी ने किया था. तब सोढ़ी ने उत्कृष्ट खेल का परिचय दिया था और एक सिल्वर के अलावा दो ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया था.
सोढ़ी के विषय में मजेदार बात ये है कि उन्हें 3 पदक तीन अलग अलग खेलों में मिले थे. सोढ़ी ने सिल्वर गोला फेंक में, एक ब्रॉन्ज चक्का फेंक में और तीसरा मेडल यानी ब्रॉन्ज भाला फेंक में जीता था. अवनि ने इतिहास रच दिया है. टोक्यो की उस धरती पर जहां पदक जीतने के लिए हम दुनिया के तमाम देशों से आए खिलाड़ियों को जदोजहद करते देख रहे हैं.
More glory at the Tokyo #Paralympics. Elated by the stupendous performance of @AvaniLekhara. Congratulations to her on bringing home the Bronze medal. Wishing her the very best for her future endeavours. #Praise4Para
— Narendra Modi (@narendramodi) September 3, 2021
अवनि का एक गोल्ड और दूसरा ब्रॉन्ज जीतना इस बात की तस्दीख कर देता है कि अवनि न केवल एक मेहनतकश खिलाड़ी हैं बल्कि वो अपने गेम में फोकस हैं. देश को नाज है अपनी इस बेटी पर. बाकी टोक्यो ओलंपिक 2020 में जैसा खेल अवनि का रहा है ये देश की तमाम लड़कियों को दिशा देगा। अवनि ने देश की लड़कियों को ये सीख दे दी है कि अगर इंसान के अंदर कुछ करने का जज्बा हो तो उसे अपनी मंजिल मिल ही जाती है. अवनि के जज्बे को हमारा भी सलाम पहुंचे। हमारे लिए, हम सबके लिए गर्व और अभिमान का पर्याय हैं अवनि.
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