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सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
हरमीत शाह सिंह
@harmeet.s.singh.74
Delhi Riots 2020 और 1984 Anti-Sikh riots में जितनी समानता, उतना ही गहरा फर्क
दिल्ली दंगों (Delhi Riots)की सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने उसकी तुलना 1984 से की. सीएए के विरोध (Anti CAA Protest) में जिस तरह की हिंसा (Delhi Violence) हुई उसकी तुलना 1984 के दंगों (1984 Sikh Riots ) से इसलिए भी नहीं की जा सकती क्योंकि आज के दंगे कहीं ज्यादा खौफनाक हैं.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
1984 सिख दंगे में 'फंसे' कमलनाथ को कांग्रेस बचाएगी या खुद बचेगी?
चिदंबरम की गिरफ़्तारी के बाद कमलनाथ पर शिकंजा कसा जा रहा है. 1984 के सिख दंगे का केस फिर खोल दिया गया है. कमलनाथ के लिए भले विपक्ष ने गड्ढा खोदा हो, पर इसके लिए जिस औजार का इस्तेमाल किया गया है वह कांग्रेसी ही है.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
राहुल गांधी ही 84 सिख दंगा पीड़ितों का दुख कम कर सकते हैं, लेकिन...
1984 के सिख दंगों को लेकर जब तक राहुल गांधी क्लियर स्टैंड नहीं लेते, उनका पीछा छुड़ाना मुश्किल है. राहुल गांधी चाहें तो दंगा पीड़ितों के जख्म जरूर कम कर सकते हैं - राजनीतिक बयान की जगह अपने मन की बात बोल कर.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
आईचौक
@iChowk
अलविदा 2018: नेताओं के 10 घटिया बयान, उम्मीद है 2019 में न सुनाई दें
घटिया बयानबाजी की रेस में न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीछे नजर आ रहे हैं, न राहुल गांधी. साक्षी महाराज और साध्वी निरंजन ज्योति भले कम बोलने लगे हों, लेकिन उनके उत्तराधिकारी उनसे भी दो कदम आगे हैं.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
खुशदीप सहगल
@khushdeepsehgal
सिखों के खिलाफ 1984 नरसंहार के दौरान कहां गुम था राष्ट्रीय मीडिया?
1984 के उन काले और खौफनाक दिनों में स्वतंत्र अखबारों में से अधिकतर कहां थे? उनका परिदृश्य से गायब होना स्वतंत्र लोकतांत्रिक भारत में चौथे स्तंभ की सबसे बड़ी नाकामी थी. इस मुद्दे पर अब तक कम ही ध्यान गया है.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
श्रुति दीक्षित
@shruti.dixit.31
1984 दंगे: सिख कत्लेआम का वो आरोपी जो कांग्रेस से इनाम लेता रहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने एंटी सिख दंगों के आरोपी कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्र कैद की सज़ा सुना दी है. 1984 दंगों के दौरान सज्जन कुमार का इतना ज्यादा प्रभाव था कि भीड़ उनके इशारे पर कल्तेआम तक कर गई.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
आर.के.सिन्हा
@RKSinha.Official
राहुल जी, 1984 और 2002 दंगों का जरा अंतर तो समझिए
ब्रिटेन यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने सभा में यह कह डाला कि 1984 के दंगे घटना मात्र एक त्रासदी थी और बहुत दुखद अनुभव था. जैसे कि कत्लेआम न हुआ हो केरल में बाढ़ आ गई हो.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
आईचौक
@iChowk
राहुल गांधी टाइमपास पॉलिटिक्स से आगे आखिर क्यों नहीं बढ़ पा रहे हैं ?
विधानसभा चुनावों से पहले राहुल गांधी के विदेश दौरे अब काफी हद तक टोटकों के करीब लग रहे हैं. जहां कहीं भी वो जा रहे हैं और जो कुछ कह रहे हैं उसमें नयापन कम नजर आता है. '84 के सिख दंगों पर बयान देकर तो राहुल गांधी ने नयी मुसीबत मोल ली है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
विरोधियों ने कांग्रेस को दिलायी याद, '84 के दाग न धुले हैं न मिटे हैं'
गुजरते वक्त के साथ सारे जख्म भर ही जाते हैं, लेकिन कोई न कोई उन्हें कुरेद कर जब तब हरा कर ही देता है - इस बार ये भूमिका निभाई है राजनीति ने.