X
Login
You agree to our privacy and cookie policy while login to our website.
Login With Facebook
iChowk
Aaj Tak
বাংলা
Aaj Tak Campus
GNTTV
Lallantop
India Today
Business Today
Cosmopolitan
Harper's Bazaar
Reader's Digest
Northeast
Malayalam
Sports Tak
Crime Tak
Astro Tak
Gaming
Brides Today
Ishq FM
सियासत
समाज
संस्कृति
स्पोर्ट्स
सिनेमा
सोशल मीडिया
इकोनॉमी
ह्यूमर
टेक्नोलॉजी
वीडियो
लॉगिन करें
मोबाइल नंबर
(+91)
Submit
or
You agree to our privacy and cookie policy while login to our website.
*
OTP डालें
OTP फिर भेजें
OTP फिर भेजें
Submit
New
अपनी स्टोरी, कविता या कहानी साझा करें...
चर्चा में
महाराष्ट्र
औरंगजेब
ज्ञानवापी मस्जिद
कांग्रेस
राहुल गांधी
योगी आदित्यनाथ
यूपी विधानसभा चुनाव 2022
रूस यूक्रेन विवाद
नरेंद्र मोदी
पंजाब चुनाव
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022
अखिलेश यादव
ओमिक्रॉन वेरिएंट
ममता बनर्जी
कोरोना वायरस
अफगानिस्तान
ऑक्सीजन
पश्चिम बंगाल चुनाव 2021
कोरोना वैक्सीन
किसान आंदोलन
भारत-चीन
अमित शाह
प्रियंका गांधी
टीम इंडिया
विराट कोहली
अरविंद केजरीवाल
अरुण जेटली
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
यूपी का आरिफ बेवजह बलि का बकरा बना, असली हंटर तो सारस है...
सारस का बार बार आरिफ के घर आना और उसके साथ रहना स्वतः इस बात की पुष्टि कर देता है कि दोष किसी भी एंगल से आरिफ का है ही नहीं। दोस्ती के नाम पर सारस ने उसके साथ धोखा किया और उसे ठगा. क्या सारस अब इस बात का जवाब दे पाएगा कि उसने फॉरेस्ट डिपाटमेंट को धोखे में रखकर आरिफ की लंका किस रणनीति के तहत लगाई?
सोशल मीडिया
|
एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
'कोरोना के पापी' कहे गए चमगादड़ों को पुरस्कार मिलना कैसे बर्दाश्त होता!
यह बात लोगों को हलक से नीचे नहीं उतर रही कि जिस चमगादड़ को पिछले साल कोरोना वायरस फैलाने का दोषी माना जा रहा था, उसे बर्ड ऑफ द ईयर का अवार्ड कैसे मिल गया. इंसान की जज करने की जो आदत है उसने चमगादड़ को भी नहीं छोड़ा.
संस्कृति
| 6-मिनट में पढ़ें
रमेश ठाकुर
@ramesh.thakur.7399
बिना 'कौए' के श्राद्ध? कव्वों पर बात होनी चाहिए मामला गंभीर है...
माना यही जाता रहा है कि कौए आएंगे, खाना चुगेंगे और पितरों तक पहुंचाएंगे. पर, अब कौवे नहीं आते, ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी दिखते हैं लेकिन शहरों से कौवे नहीं दिखाई देते. श्राद्ध पक्षों से कौवों का सीधा संबंध होता है. पौराणिक मान्यताओं में यह बात सिद्व है कि श्राद्धों में जो व्यंजन बनाए जाते हैं उन्हें पितरों तक पहुंचाने का काम कौए ही करते हैं.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
प्रीति 'अज्ञात'
@preetiagyaatj
Bird Flu की आड़ में पक्षियों की सामूहिक हत्या 'जलियांवाला बाग़ कांड' से कम नहीं!
Coronavirus के बाद Bird Flu के इस दौर में जब बीमारी को लेकर एक नई तरह के डर का माहौल हो जो खबर Kanpur Zoo से आ रही है और उसमें जैसे पक्षियों को मारने की बात की गयी है उसे देखकर बस 'जलियां वाला बाग़' और जनरल डायर नजर आते हैं.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
Bird flu: चिकन या अंडे खाने वालों के लिये कितना खतरे की बात
पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दी में यूरोप से कई प्रवासी पक्षी भारत की ओर रुख करते हैं. विशेषज्ञों का कहना है- H5N1 जंगली पक्षियों के कारण फैलता है. वो इसे अपने मल के जरिए फैलाते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो, यह वायरस काफी घातक होता है. यह पक्षियों से इंसानों में फैल सकता है लेकिन, इसकी संभावना कम ही है.
ह्यूमर
| 3-मिनट में पढ़ें
प्रीति 'अज्ञात'
@preetiagyaatj
Bulbul का गम और परेशान हम !
Bulbul ने आपका क्या बिगाड़ा है? चक्रवात जैसी बदमाश टाइप आपदा को सांभा कहें, गब्बर कहें, भूत, हौआ, ठांय-ठांय कहें. नासपीटा कहें, घनचक्कर कहें. अजी, कोई भी खराब-सा नाम चुन लें, पर प्लीज Cyclone Bulbul न कहें. किसी प्यारे पक्षी को बदनामी का मुकुट पहनाना बिल्कुल अच्छी बात नहीं है.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
पाकिस्तानी सनक: सोन चिरइया का शिकार इसलिए होता है क्योंकि 'वो भारतीय है'
पाकिस्तान के लोगों के मन में एक चिडि़या के प्रति नफरत की कहानी वहां की मानसिकता का प्रदर्शन करती है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे पड़ोसी के प्रति क्या भावना रखी जानी चाहिए...
संस्कृति
| 3-मिनट में पढ़ें
प्रीति 'अज्ञात'
@preetiagyaatj
मकर संक्रांति पर पतंगबाजी का मजा किसी की सजा न बन जाए
मकर संक्रांति के उत्सव पर पतंग उड़ाने का रिवाज है. पर हर वर्ष यह पतंगबाज़ी कितने ही निर्दोष पक्षियों को घायल करती है, और मासूमों की जान ले लेती है. कई घटनाओं को सावधान रहने और बच्चों को समझाने भर से रोका जा सकता है.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
अनुज मौर्या
@anujkumarmaurya87
रजनीकांत की फिल्म 2.0 काल्पनिक, लेकिन उसमें जताई चिंता नहीं
भारत में अभी तक घरों में पाई जाने वाली गौरैया की संख्या में आ रही कमी का सही कारण पता नहीं है, क्योंकि भारत में ऐसी कोई रिसर्च नहीं की गई है. एक्सपर्स मानते हैं कि 2.0 फिल्म के जरिए एक सही मुद्दे को बहस का विषय बनाया गया है, लेकिन इस पर और अधिक रिसर्च की जरूरत है.