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समाज
| 7-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
श्री रामचरितमानस बहाना है, जातिवाद जमाना है
रामचरित मानस के नाम पर जो भी राजनीतिक बवाल है, मानस के बहाने जाति के दंश को हवा देनी है. बात का औचित्य सिद्ध करने के लिए, ब्यौरा देने के लिए बजरंगबली श्री हनुमान का सहारा लेना पड़ रहा है. आखिर प्रभु राम के भी तो वही काम आये थे!
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
Nitin Kumar Shukla
@578290350820745
रामचरित मानस का मुद्दा राजनीतिक स्टंट के अलावा और कुछ भी नहीं है!
आज एक भइया जी मिले. मुझसे बोले कि रामचरित मानस का इतना अपमान हो रहा है. तुम इस विषय पर कुछ लिखते क्यों नहीं ? मैंने कहा भइया जी, क्या लिखूं ? मैंने कहा आप रामचरित मानस को छोड़ो, आप ये देखिए कि पाकिस्तान किस तरह से भूखा मर रहा है.
समाज
| बड़ा आर्टिकल
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
ब्राह्मण एक वेद है, एक वेदांत है, ब्राह्मण एक व्याकरण है
पंडित जवाहरलाल नेहरू थे, जो जाति से ब्राह्मण थे,कर्म से ब्राह्मण थे, भारत के प्रथम सेवक थे, उस संस्थापक के हाथों नींव में पड़ी ईट पर तुम लोगों ने ब्राह्मण भगाओ देश बचाओ को लिख दिया. इस अशोभनीय कार्य के लिए सदियां उन्हे माफ नहीं करेगी.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
देश की इतनी 'गौरवशाली' यूनिवर्सिटी JNU में ब्राह्मणों के खिलाफ इतना जहर!
वामपंथी विचारधारा का गढ़ कहे जाने वाले जेएनयू (JNU) में सिर्फ सवर्णों से ही घृणा (Anti Brahmin Slogans) नहीं, स्त्रियों को पुरुषों से नफरत करना, मूल निवासियों के नाम पर लोगों के बीच भेदभाव करना, हिंदू धर्म को हिकारत की नजर से देखना, अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हिंदू देवी-देवताओं के अपमान के तरीके, संवैधानिक अधिकारों के नाम पर देश विरोधी बातों को तर्कसम्मत घोषित करना सिखाया जाता है.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
अमित-रेणु की कहानी: अंतरजातीय शादी छोड़िए, दुल्हन का अस्तित्व ही खतरे में!
अमित भी कोई ऐसा वैसा लड़का नहीं है. वह पढ़ा-लिखा होनहार इंजीनियर है. अमित के पास सबकुछ है. वह रेणु के साथ घर बसाना चाहता था. रेणु भी उसके साथ अपनी बाकी की जिंदगी बिताना चाहती थी. वह घर से भागना नहीं चाहती थी मगर उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था.
संस्कृति
| 6-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
शंकराचार्य परंपरा के प्रोटोकॉल में नीता अंबानी और रामशंकर कठेरिया में भेद नहीं है
हिंदू धर्म (Hindu Religion) और उसकी परंपराओं (Tradition) को लेकर मिथ्या प्रचार अपने चरम पर है. सोशल मीडिया पर कुछ स्वघोषित दलित चिंतकों द्वारा शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती (Shankaracharya) के खिलाफ इसी मिथ्या प्रचार को हथियार बनाया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि शंकराचार्य ने दलित भाजपा सांसद (Dalit BJP MP) को पैर छूने से मना कर दिया.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
एक बयान, और अचानक जेएनयू वीसी वामपंथियों की लाड़ली हो गईं
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित (JNU VC Santishree Dhulipudi) ने एक कार्यक्रम में हिंदू धर्म के भगवानों की जाति, मनुस्मृति में महिलाओं के दर्जे और हिंदू धर्म की आलोचना करते हुए खुलकर अपनी राय रखी. और, वामपंथियों ने शांतिश्री के इस बयान को प्रचारित करना शुरू कर दिया.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
अजीत कुमार मिश्रा
@ajitmishra78
कश्मीर फाइल्स या ब्राह्मण फाइल्स? बात तो होनी ही चाहिए...
अक्सर कश्मीरी ब्राह्मण ये तर्क देते हैं कि इतनी पीड़ा के बाद भी हममें से कोई आतंकी नहीं बना. ठीक है आप आतंकी नहीं बने लेकिन काश आप में से कोई परशुराम ही बन जाता तो आज द कश्मीर फाइल्स देख कर हमारी आंखों में आंसू नहीं होते.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
छठे चरण में योगी आदित्यनाथ क्या 2017 के चुनाव का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे?
यूपी चुनाव 2022 (UP Election 2022) का छठा चरण सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो छठे चरण में पूर्वांचल (Purvanchal) की राजनीति में गोरखनाथ मठ के राजनीतिक प्रभाव का टेस्ट होना है.