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सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
अमित पांडेय
'सेक्युलरवाद' के जरिए राजनीतिक पार्टियों का फायदा तो है!
भारतीय सेक्युलरवाद दैवी बनाम सांसारिक न हो कर सर्वधर्मसमभाव का है. यह बहुलता के प्रति सहनशीलता और राज करने के नियमित सिद्धांत के रूप में मान्यता देने का है. पर भारतीय और पश्चिमी सेक्युलरवाद में फर्क करने का मतलब यह नहीं है कि हम राज्य की सेक्युलर पहचान पर ही सवाल उठाना शुरू कर दें.
समाज
| बड़ा आर्टिकल
जावेद अनीस
@javed.anis
Book Review: भारत का संविधान: महत्वपूर्ण तथ्य और तर्क
सचिन कुमार जैन की नई किताब 'भारत का संविधान: महत्वपूर्ण तथ्य और तर्क' एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है जो बहुत करीने से दर्शाने में कामयाब होती है कि हमारे संविधान का निर्माण किन सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों के दौरान किया गया है.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
राहुल गांधी की कैंब्रिजीय कहानियों की जमीन कहां है?
भारत में दिए गए राजनीतिक भाषणों की तर्ज परकैंब्रिज में राहुल गांधी ने अपने सामान्य निरर्थक विचारों और झूठे दावों के साथ माहौल बनाने की कोशिश की हो. लेकिन वो अपनी ही कही बातों में कुछ ऐसा उलझे कि कहानी सुनने वाले लोगों के लिए कहानी के सिरे पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
जावेद अनीस
Sedition Law: अंग्रेजो के जमाने का काला कानून आजाद भारत का लाड़ला क्यों हैं?
मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा करीब डेढ़ सदी पुराने राजद्रोह कानून पर अपना फैसला सुनाते हुए रोक लगा दी गयी थी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को जमानत मिलने की उम्मीद देने का काम किया है जो इस कानून की वजह से लंबे समय से जेल में हैं.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
Ritik Rajput
@898764348148408
One Nation, One Election लागू करना पीएम मोदी के लिए इतना भी आसान नहीं!
तमाम मौके आए हैं जब हमने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक देश एक चुनाव के पक्ष में माहौल बनाते देखा है. विपक्ष को कभी भी प्रधानमंत्री का ये आईडिया पसंद नहीं आया है और उसने हमेशा ही इसका विरोध किया है. वहीं अगर बात जनता की हो तो इस मुद्दे पर हमें जनता भी बंटी हुई नजर आती है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
भारत दुनिया का सबसे नौजवान मुल्क, बावजूद उसके हमारे सामने चुनौतियों का पहाड़ है
सवाल इतिहास जानने और पढ़ने का नही है साथियों, इतिहास बनने का है.परिस्थितिया व्यक्तित्व का निर्माण करती है और आज वो परिस्थित है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
भारत मे जितने दल हैं, उनके सबके अपने अपने लोकतंत्र हैं...
जिस सवाल से दुनिया आज यहां पहुंची है, वही सवाल भारत मे आंखों के सामने मरता रहा और हम खामोश होकर देखते रहे. कोरोना की कहर ने भारत की तमाम तरह की सरकारों के रवैय्ये को तार तार कर दिया. पर सरकारों में आस्था रखने वालों ने भी अपनी अपनी सरकारों से सवाल नही किया. यही भारतीय लोकतंत्र की मौत है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
लोकेन्द्र सिंह राजपूत
@5745259062180641
हंगामाखेज नहीं, समाधानमूलक हो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
The Fourth Pillar of Democracy: संचार का उद्देश्य समस्याओं का समाधान देना रहा है. संचार क्षेत्र के अधिष्ठाता देवर्षि नारद की संचार प्रक्रिया एवं सिद्धांतों को जब हम शोध की दृष्टि से देखते हैं तब भी हमें यही ध्यान आता है कि उनका कोई भी संवाद सिर्फ कलह पैदा करने के लिए नहीं था.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
इमरान खान 'फाइनल कॉल' मार्च से पहले ही दो प्रेस कान्फ्रेंस से घिर गए!
एक ऐसे समय में जब फाइनल कॉल के नाम पर पाकिस्तान में इमरान खान शाहबाज शरीफ के खिलाफ मार्च की तैयारी कर रहे हों मुल्क में प्रेस कांफ्रेंस का दौर शुरू हो गया है. मामले में दिलचस्प ये कि इमरान के अपने ही लोग उन्हें बेनकाब करते नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि मार्च के पहले और बाद इमरान खान को तमाम चुनौतियों का सामना अपने मुल्क में करना होगा.