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सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
Tibet National Uprising Day: भारत के नजदीक हुई 2 कहानियां, जीत दोनों में भारत की हुई!
तिब्बती विद्रोह दिवस न केवल तिब्बत और दलाई लामा के लिए बल्कि चीन के खिलाफ भारत के लिए भी महत्वपूर्ण मुद्दा है. भारत एक ऐसा देश है जिसने हमेशा ही उन लोगों की मदद की. जिन्होंने उसकी तरफ देखा. तिब्बत की ही तरह भारत ने पूर्व में बांग्लादेश की भी मदद की है और कारण खासा रोचक है.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
रमेश ठाकुर
@ramesh.thakur.7399
ऑस्ट्रेलियाई स्कूली पाठ्यक्रमों में पंजाबी भाषा शामिल होना गर्व की बात तो है!
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने हाल में लागू की अपनी नई शिक्षा नीति में अब पंजाबी भाषा को भी जोड़ लिया है. उनके इस निर्णय को भारत सरकार और प्रत्येक भारतीयों ने खुलेदिल से सराहा है. ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने अपने सभी निजी व सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में पंजाबी को पढ़ाने का फैसला किया है जो प्री-प्राइमरी से लेकर 12वीं तक के पाठ्यक्रमों में अब से पढ़ाई जाया करेगी.
समाज
| 7-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
विश्व हिंदी दिवस: कुछ खरी खरी सुनने सुनाने की जरूरत आन पड़ी है!
World Hindi Day 2023: हिंदी प्रतिष्ठित हो रही है. अब किसी की जुर्रत नहीं है कहने की कि यदि सुंदर पिचाई आईआईटी में हिंदी में परीक्षा देते तो क्या गूगल में टॉप पोस्ट पर होते? निःसंदेह होते. मल्टीनेशनल जायंट के लिए ज्ञान मायने रखता है और ज्ञान भाषा का मोहताज नहीं होता.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
Mohit Dwivedi
अगर प्यार इंसान की शक्ल लेता तो उसका चेहरा अमृता प्रीतम के जैसा होता...
पद्मविभूषण,साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार से अलंकृत महान लेखिका, कवयित्री अमृता प्रीतम जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुये, उनके जीवन व उनके जीवन पर निर्देशित नाटक एक है अमृता का वृतांत.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
Mormukut Goyal
@1203823200460755
प्रगतिशील दौर में भाषा विरोध की प्रासंगिकता...
आश्चर्य की बात है और ये अपने में दुर्भाग्यपूर्ण भी है कि विपुल शब्द भंडार और साहित्यिक सामग्री के होते हुए भी कोई भी भारतीय भाषा राष्ट्रव्यापी रूप में नही है.
समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
vinaya.singh.77
@vinaya.singh.77
हिंदी दिवस को एक और वर्ष बीत गया लेकिन आज भी स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है!
हिंदी दिवस भले ही ख़त्म हो गया हो लेकिन कहा यही जाएगा कि हम वो लोग हैं जो हिंदी में ही सोचते हैं, हिंदी ही पढ़ते और सुनते हैं, हिंदी ही लिखते हैं इसलिए कहीं न कहीं हमारी दिली इच्छायही है कि हमारा हिंदुस्तानी समाज हिंदी बोलने को ही प्राथमिकता दे और हर घर हिंदी, हर दर हिंदी नजर आये.
समाज
| बड़ा आर्टिकल
डॉ. सौरभ मालवीय
@DrSourabhMalviya
Hindi Diwas 2022: हिंदुस्तान की अपनी राष्ट्र भाषा क्यों नहीं होनी चाहिए?
'हिन्दी संस्कृत की बेटियों में सबसे अच्छी और शिरोमणि है.' ये शब्द बहुभाषाविद और आधुनिक भारत में भाषाओं का सर्वेक्षण करने वाले पहले भाषा वैज्ञानिक जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन के हैं. नि:संदेह हिन्दी देश के एक बड़े भू-भाग की भाषा है. महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था. वह कहते थे कि राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है.
समाज
| बड़ा आर्टिकल
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
जिस 'देस' में कोस कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी, निःसंदेह हिंदी कॉमन है
हिंदी को लेकर एक वर्ग विशेष का विरोध कोई नयी बात नहीं है. ऐसे भी लोग हैं जो एक भाषा के ,रूप में हिंदी को हिंदू से जोड़ देते हैं. कह सकते हैं कि जो हम बोल रहे हैं, लिख रहे हैं, वह 'हिंदी' की जगह कुछ और नाम से जानी जाती तो शायद विरोध होता ही नहीं!
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
आयुष कुमार अग्रवाल
@100006809583831
सरलीकरण और आधुनिकीकरण के कारण 'हिंग्लिश' के रूप में परिवर्तित होती हिंदी
कहा जाता है कि किसी भी भाषा (Language) का अस्तित्व उसकी शुद्ध वर्तनी और व्याकरण में निहित होता है. यह हिंदी से लेकर सभी भाषाओं पर लागू होता है. लेकिन, सरलीकरण और आधुनिकता के नाम पर 'हिंग्लिश' (Hinglish) की ओर बढ़ना हिंदी (Hindi) के साथ न्याय नजर नहीं आता है.