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संस्कृति
| 6-मिनट में पढ़ें
लोकेन्द्र सिंह राजपूत
@5745259062180641
सांस्कृतिक राष्ट्रत्व में है अलगाव की समस्या का समाधान
हमारी उदारता, संवदेनशीलता, मानवता के साथ ही सहिष्णुता का मूल कारण हमारी सांस्कृतिक विरासत है. वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए और गौरवमयी भविष्य के लिए भारत और भारतीयता के हित में आज की राजनीति के केंद्र में सांस्कृतिक राष्ट्रत्व को लाने की आवश्यकता है.
सिनेमा
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
कश्मीर में पठान का हाउसफुल होना तो राइट विंग के लिए भी अच्छी खबर है!
देश में जिस तरह शाहरूख खान की फिल्म पठान को हाथों हाथ लिया जा रहा है, उसका सीधा असर हमें कश्मीर में भी देखने को मिल रहा है. फिल्म ने 32 साल का रिकॉर्ड भले ही तोड़ा हो. लेकिन पठान की ये कामयाबी दक्षिणपंथियों को ज़रूर सुखद अनुभूति देगी और इस कथन के पीछे पर्याप्त कारण हैं.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
लोकेन्द्र सिंह राजपूत
@5745259062180641
हमारे देश का राष्ट्रवाद पश्चिमी देशों से कितना अलग है?
Nationalism and Politics in India: भारत का राष्ट्रवाद दुनिया के दूसरे देशों के राष्ट्रवाद से अलग है. पश्चिम का राष्ट्रवाद बहुत नया है और यह राजनीति पर केंद्रित है. जबकि भारत का राष्ट्रवाद सनातन है और यह राजनीति पर नहीं, बल्कि संस्कृति केंद्रित है.
सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
सत्ता के लिए पुरखों को गाली देना, गांधी को अपशब्द कहना कहां का न्याय है?
शासन के लिए पूर्वजों को अपशब्द कहना न्याय सांगत नहीं है. सत्ता में रहने के लिए उस जमाने के राजाओं से बद्दतर आज का वर्तमान है. सत्ता का अपना चरित्र होता है. सरकार चाहे किसी की हो उसका स्वरूप ऐसे ही होता है.
समाज
| 2-मिनट में पढ़ें
अणु शक्ति सिंह
@anushakti19.singh
हर घर की शान बनता तिरंगा तब ज़रूर इतराता जब हर शख़्स के पास अपना मकान होता
दो दिन पहले दिल्ली स्थित मयूर विहार फ़ेज़ 1 के चौक पर भी विशाल तिरंगा लगा है. आज ठीक वहीं फ़्लाई ओवर के नीचे सैकड़ों लोग न जाने कहां से अपना डेरा-डंडा लेकर आ पहुंचे हैं. बारिश के दिनों में जब कपड़े भी बाहर नहीं छोड़े जाते, उनके बिछौने सड़कों पर बिछ गये हैं. आंखों को ख़ुशी से कोई दुश्मनी है शायद.
सोशल मीडिया
| 4-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
महिला को तिरंगे की आरती करता देख तमाम भाव मन में आएंगे, आपके मन में क्या आया?
तिरंगे की आरती के बाद वायरल हुए वीडियो को देखकर जो पहला विचार हमारे मन में आया वो 'वाह- अति सुन्दर' था.अब जबकि आप भी इस वीडियो को देख चुके हैं. हम इस बात को जरूर जानना चाहेंगे कि जब आपने तिरंगे की आरती होते देखी तो आपने क्या महसूस किया? क्या भविष्य में भी हमें ऐसे कृत्यों को दोहराना चाहिए?
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'
@siddhartarora2812
ब्रो! हमारे जवान सियाचिन में खड़े हैं, क्या अब भी आप इस मजाक पर हंस पाएंगे?
मुझे इतना 100% पता है कि एक्सट्रीम सिचुएशन में खड़ा जवान रिस्पेक्ट का हक़दार बराबर है. सिर्फ इसलिए नहीं कि ऐसी सिचुएशन में सरवाइव कर रहा है, बल्कि इसलिए भी कि ऐसी सिचुएशन में, जीवित रहकर, चौकन्ना हो बॉर्डर्स को सिक्योर भी रख रहा है ताकि हम जीवित रह सकें. मुझे ऐसे किसी भी जोक पर हंसी नहीं आती जिसमें सियाचिन में खड़े जवानों का ज़िक्र होता है.
सिनेमा
| 5-मिनट में पढ़ें
मंजीत ठाकुर
@manjit.thakur
सिनेमाई तकनीक उत्तम पर 'अनेक' रचनात्मक काइयांपन है...
अनुभव सिन्हा ने 'अनेक' को यथार्थपरक बनाने के लिए इसकी रफ्तार के साथ समझौता किया है. इसका क्लाइमेक्स भी जटिल और उलझाऊ है, यहां निर्देशकीय दृष्टि अस्पष्ट है. बेशक ‘अनेक’ तकनीकी रूप से बेहतर है लेकिन यह फिल्म वंचित राज्यों की कहानी सामने लाने के नाम पर एक महीन तरीके से अलगाववाद को सही ठहराती है.
सिनेमा
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
Rashtra Kavach Om Twitter Review: जनता के रिव्यू ने बड़े बड़े फिल्म क्रिटिक्स के रिव्यू को धो दिया है!
Rashtra Kavach Om Twitter Review: आदित्य रॉय कपूर की राष्ट्र कवच ओम ऐसी फिल्म है जहां फिर एक बार बॉलीवुड ने लॉजिक, रीजनिंग, विज्ञान को दरकिनार कर बेवकूफी को पर्दे पर उतारा है. बाकी जैसा रिव्यू फिल्म का यूजर्स ने सोशल मीडिया पर किया है वो किसी भी फ़िल्म क्रिटिक के रिव्यू से कहीं ज्यादा बड़ा है.