X
Login
You agree to our privacy and cookie policy while login to our website.
Login With Facebook
iChowk
Aaj Tak
বাংলা
Aaj Tak Campus
GNTTV
Lallantop
India Today
Business Today
Cosmopolitan
Harper's Bazaar
Reader's Digest
Northeast
Malayalam
Sports Tak
Crime Tak
Astro Tak
Gaming
Brides Today
Ishq FM
सियासत
समाज
संस्कृति
स्पोर्ट्स
सिनेमा
सोशल मीडिया
इकोनॉमी
ह्यूमर
टेक्नोलॉजी
वीडियो
लॉगिन करें
मोबाइल नंबर
(+91)
Submit
or
You agree to our privacy and cookie policy while login to our website.
*
OTP डालें
OTP फिर भेजें
OTP फिर भेजें
Submit
New
अपनी स्टोरी, कविता या कहानी साझा करें...
चर्चा में
महाराष्ट्र
औरंगजेब
ज्ञानवापी मस्जिद
कांग्रेस
राहुल गांधी
योगी आदित्यनाथ
यूपी विधानसभा चुनाव 2022
रूस यूक्रेन विवाद
नरेंद्र मोदी
पंजाब चुनाव
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022
अखिलेश यादव
ओमिक्रॉन वेरिएंट
ममता बनर्जी
कोरोना वायरस
अफगानिस्तान
ऑक्सीजन
पश्चिम बंगाल चुनाव 2021
कोरोना वैक्सीन
किसान आंदोलन
भारत-चीन
अमित शाह
प्रियंका गांधी
टीम इंडिया
विराट कोहली
अरविंद केजरीवाल
अरुण जेटली
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
अपने जंगलों के प्रति गंभीर होना भारत के लिए वक्त की जरूरत है
World Forest Day 2023: भारतीय जंगल संपूर्ण भारत के लिए जीने के तरीके को परिभाषित करते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से- हाल के वर्षों में जंगलों को जो नुकसान हुआ है उसने आजीविका और अर्थव्यवस्था समेत कई चीजों को प्रभावित किया है. आइये जानें क्यों भारत को अपने जंगलों के प्रति और ज्यादा गंभीर हो जाना चाहिए.
सिनेमा
| 2-मिनट में पढ़ें
ट्विंकल तोमर सिंह
@tweetysdream
झूठी कहानियों के द्वारा ठग कर आंखों को भिगो देने वाला धोखा नहीं है The Elephant Whisperers
The Elephant Whisperers डॉक्यूमेंट्री है तो डॉक्यूमेंट्री की तरह ही देखना होगा. साधारण मनोरंजन ढूंढने वाले को शायद रस न मिले. पर जब पता है डॉक्यूमेंट्री है, सत्य घटनाओं को दर्शा रही है, तब उसमें कहीं पर आंसू फूट पड़े, तो वे आंसू परम सच्चे हैं. ये झूठी कहानियों के द्वारा ठग कर आंखों को भिगो देने वाला धोखा नहीं है.
सिनेमा
| 5-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
RRR के अलावा भारत के दो और Oscar nomination, बस चर्चा नहीं हो रही है!
साल 2023 के ऑस्कर्स में सिर्फ RRR के गाने नाटू-नाटू का जलवा नहीं है. भारत से गयी दो और फ़िल्में हैं जिनके आगे विदेशी ज्यूरी नतमस्तक हो गयी है. हम जिन दो फिल्मों की बात कर रहे हैं उनमें से एक All That Breathes डाक्यूमेंट्री फीचर केटेगरी में नॉमिनेट हुई है. जबकि दूसरी फिल्म The Elephant Whisperers को डाक्यूमेंट्री शॉर्ट केटेगरी में नॉमिनेट किया गया है.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
Akash Singh
@1085985232327365
इलाहाबाद के वो 'हरियाली गुरु' जो रक्षाबंधन पर पेड़ों को रक्षासूत्र बांधते हैं !
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉक्टर एनबी सिंह, हर रक्षाबंधन पर पेड़ पौधों को रक्षासूत्र बांधते हैं और वर्ष भर उनके सुरक्षा के लिए संकल्पित रहते हैं. प्रोफेसर साहब ने अब तक एक लाख से अधिक पौधें लगाए हैं.
ह्यूमर
| 2-मिनट में पढ़ें
नवेद शिकोह
@naved.shikoh
बस अब जंगल का चीरहरण रोक देना द्रौपदी!
आदिवासी समुदाय से ताल्लुख रखने के कारण द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना न केवल आदिवासी समुदाय के लिए एक बड़ी घटना है. बल्कि इसका सीधा असर पर्यावरण पर भी देखने को मिलेगा.उम्मीद है कि, मुर्मू के देश के सर्वोच्च पद पर आने के बाद, जंगलों और पर्यावरण में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा.
ह्यूमर
| बड़ा आर्टिकल
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
Canada heat wave: 12-15 डिग्री के आदी कनाडा वालों की हालत देख दिल्ली वाले गनीमत महसूस करें!
जैसी जानलेवा गर्मी पड़ रही है वो किसी से छुपा नहीं है. गर्मी के मद्देनजर भारत के हालत तो फिर भी ठीक हैं कनाडा और अमेरिका जैसे देशों के हाल तो और भी बुरे हैं. गर्मी चाहे जैसी भी हो मगर जिस तरह भारतीयों ने अपने को एडजस्ट किया है वो काबिल ए तारीफ है और पूरे विश्व को इससे सबक लेना चाहिए.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
सुमेर सिंह राठौर
@SumerJaisalmer
World Environment Day: थार पर प्रकृति का मेहरबान रहना भी कुदरत का करिश्मा है!
गर्मियों के दिन ज्यों-ज्यों तपते है रेगिस्तान के पेड़-पौधे भी खिलने लगते हैं. खिलने क्या लगते हैं जीवन से भर जाते हैं. मई और जून के महीने में जिन तीन पेड़-पौधों पर रेगिस्तान आबाद रहता है वे हैं खेजड़ी, जाल और कैर. आस-पास के ये पेड़ लोगों के जीवन का हिस्सा होते हैं. इन पेड़ों के नाम या पहचान भी होती है. जिसे लोग सालों-साल याद रखते हैं.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
सर्वेश त्रिपाठी
@advsarveshtripathi
पर्यावरण के साथ छलावा है पर्यावरण दिवस का एकदिवसीय दिखावा हो जाना
5 जून यानी विश्व पर्यावरण दिवस एक शोशेबाजी से ज्यादा कुछ नहीं है. मतलब एक पेड़ अपनी बालकनी, लॉन, गमले में या कहीं पर लगाओ उसके साथ अपनी फोटू उतारो और फेसबुक पर चेप कर एकदिवसीय पर्यावरण प्रेमी बन जाओ.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
सर्वेश त्रिपाठी
@advsarveshtripathi
Uttarakhand Glacier Burst: प्रकृति ने तो पहाड़ों पर से इंसानी अतिक्रमण ही साफ किया है!
उत्तराखंड के ग्लेशियर का इस तरह से पिघलना और हिमस्खलन और चट्टानों का दबाव को न सह पाना मानव की इस क्षेत्र में अतिशय छेड़खानी का ही परिणाम है. जब-जब ये छेड़खानी अपनी हदें लांघेंघी, प्रकृति अपने हिसाब से अपनी बात रखेगी.