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सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
vinaya.singh.77
@vinaya.singh.77
Bank strike के बारे में वो बातें जो हर आम नागरिक को जानना चाहिए...
बैंकों को प्राइवेट किये जाने के विरोध में बैंक कर्मियों ने दो दिवसीय स्ट्राइक की है. सवाल ये है कि आखिर इसका कोई फायदा क्या बैंक के कर्मचारियों को मिलेगा? तो आइये जानें निजीकरण के विरोध में क्यों बहुत जरूरी है हड़ताल.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
आर.के.सिन्हा
@RKSinha.Official
Air India Deal: तो क्या स्पाइसजेट वाले अजय सिंह उड़ाएंगे एयर इंडिया?
एयर इंडिया पर अंतत: कब्जा कौन करेगा? टाटा समूह या स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह? यूं तो कोई भी एयर इंडिया जितनी विशाल कंपनी को खरीदने के बारे में सोच भी नहीं सकता है लेकिन क्योंकि अजय सिंह ने हिम्मत दिखाई है इसलिए बड़ा सवाल ये है कि आखिर क्यों देश को चाहिए अजय सिंह जैसे उद्यमी?
ह्यूमर
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
बैंक वालों तुम्हारी हड़ताल में देश तुम्हारे साथ होता, मोदी 'हाय-हाय' करता लेकिन...
प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में नौ यूनियनों के कंबाइंड संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन ने दो दिनों की राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का ऐलान किया है. इस मुश्किल वक़्त में देश का आम आदमी बैंक वालों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना चाहता है. नरेंद्र मोदी हां-हाय के नारे लगाना चाहता है मगर ऐसा नहीं हो पाया है और इसका कारण बैंक और उसके कर्मचारी हैं.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
vinaya.singh.77
@vinaya.singh.77
क्या मोदी सरकार के पास निजीकरण ही एकमात्र विकल्प है?
अर्थव्यवस्था (Economy) को गति देने के अलावा विकास (Development) के नाम पर सरकार और पीएम मोदी (PM Modi) द्वारा लगातार निजीकरण (Privatisation) को बल दिया जा रहा है. माना जा रहा है कि कई सेक्टर्स इससे प्रभावित होंगे ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या सरकार के पास यही एक मात्र विकल्प बचा है?
इकोनॉमी
| 4-मिनट में पढ़ें
vinaya.singh.77
@vinaya.singh.77
सरकार सारे बैंकों का निजीकरण कैसे कर सकती है
जो सरकारी उपक्रम किसी जमाने में सरकार और देश की शान हुआ करते थे, वही इस नए दौर में बोझ और बेकार लगने लगे. सरकार ने भी उनको निजी हाथों में बेचने की कवायद शुरू कर दी.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
सिद्धार्थ झा
@sidharath.jha
निजीकरण की जरूरत
आज के युवा भले ही इन बातों पर यकीन न करें, लेकिन ये हमारा भूतकाल रहा है जहां हर चीज के लिए लाइन में लगना जरूरी था. लेकिन सच मानिए सरकार ने जिस किसी भी क्षेत्र में कदम रखा वहां बेड़ा गर्क ही हुआ है.