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सोशल मीडिया
| 3-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
बुर्के के साथ एंट्री, लेकिन चूड़ी-पायल-झुमके की मनाही! असली सेकुलरिज्म यही है
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जो बीते रविवार को हुई तेलंगाना (Telangana) राज्य लोक सेवा आयोग की ग्रुप 1 की प्रारंभिक परीक्षा का है. वीडियो में एक परीक्षा केंद्र पर बुर्का (Burqa) पहने हुए एक महिला को आसानी से एंट्री दी जा रही है. वहीं, कुछ महिलाओं को परीक्षा केंद्र में घुसने से पहले खुद ही अपनी चूड़ियां तोड़ते, पायल और झुमके उतारते देखा जा सकता है.
सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
विजय मनोहर तिवारी
@vijay.m.tiwari
भारत की शिंडलर्स लिस्ट: 13 साल हिटलर-राज बनाम 1300 साल का क्रूर इस्लामिक-राज
'कश्मीर फाइल्स' जैसी हजारों फाइलों के पन्ने इतिहास (History) में फड़फड़ा रहे हैं, जिन पर सेक्युलरिज्म (Secularism) का भारीभरकम पेपरबेट रख दिया गया था. भारत की करुण कथा के खलनायक अकेले अंग्रेज नहीं हैं, जिनसे किसी मिलेजुले संघर्ष से आजादी पा ली गई. तिरंगा (Tricolor) केवल दिखावे का प्रसंग नहीं है.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
सुशोभित सक्तावत
@sushobhit.saktawat
वास्तव में धर्मनिरपेक्षता की आड़ में भारत एक इस्लामिक मुल्क है!
नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने आज देश का कैरेक्टर परिभाषित कर दिया है. उदयपुर हत्याकांड के बाद भी उलटे नूपुर को सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने पर मजबूर किया गया, तो हम सबको अपने चेहरों पर कालिख पोत लेनी चाहिए.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
पैगंबर टिप्पणी विवाद: देश में हिंसा और पत्थरबाजी करने वाले क्या सच में 'बाहरी' हैं?
क्या ये कहना हास्यास्पद नहीं होगा कि दिल्ली की जामा मस्जिद पर इकट्ठा हुए लोग 'बाहरी' थे? उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उग्र प्रदर्शन (Violent Protests) करने वालों को क्या बाहरी कहा जा सकता है? पश्चिम बंगाल में पत्थरबाजी करने वालों को क्या बाहरी कहा जाएगा?
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
इंतजार कीजिये, राहुल गांधी 'जय श्रीराम' कहने ही वाले हैं!
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) राजनीतिक के जिस नये रास्ते पर (Hindutva) तेजी से आगे बढ़ रहे हैं वो कांग्रेस का पुराना स्टैंड (Politics of Secularism) तो कतई नहीं है. ये तो बीजेपी के एजेंडे के साथ हां में हां मिलाने जैसा लगता है - सिर्फ 'जय श्रीराम' बोलना भर बाकी है.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
Fabindia controversy: हिंदुओं के त्योहारों को जान-बूझकर 'सेकुलर' बनाने की क्या जरूरत है?
फैब इंडिया (Fab India) ने दिवाली के मद्देनजर 'जश्न-ए-रिवाज' (Jashn e Riwaaz) नाम का एक कैंपेन शुरू किया था. इस पर विवाद (Fab India controversy) होने के बाद फैब इंडिया ने कहा है कि इसे दिवाली से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. लेकिन, सवाल ये है कि हिंदुओं (Hindu) के त्योहारों को जान-बूझकर सेकुलर (Secular) बनाने की क्या जरूरत है?
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
हिन्दू त्योहारों पर रोक लगाने वाली याचिका क्या नजरअंदाज की जा सकती है?
पिछले दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. मामला इसलिए सबकी नज़रों में आया क्योंकि एक इलाके में रहने वाला बहुसंख्यक मुस्लिम समाज लोगों की धार्मिक आजादी और वहां के रीति रिवाज तय करना चाह रहा था.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
Ghulam Nabi Azad ने केवल सेकुलरिज्म की सीख नही दी, उसे जीवन में उतारा भी...
गुलाम नबी आजाद की छवि एक समावेशी नेता के तौर पर लोगों के बीच बनी रही. उन्होंने हमेशा ही कट्टरपंथ से दूरी बनाए रखी. इसी वजह से वह बहुसंख्यक वर्ग में भी काफी लोकप्रिय रहे. राजनीति का जो स्तर हम और आप आज देखते हैं, गुलान नबी आजाद ने कभी उस ओर रुख ही नहीं किया. यह बात उन्हें सबसे अलग बनाती है.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
मशाहिद अब्बास
@masahid.abbas
भारत में हिंदू-मुस्लिम एकता को आखिर किसकी नज़र लग गई है
भारत में हिंदू और मुस्लिम (Hindu-Muslims In India) दोनों समाज एक साथ तो रहते हैं मगर एक नहीं रह पाते हैं. आखिर वो कौन सी कमी है जो इस एकता को कुचल देती है. एकसाथ रहने के बावजूद ये दूरी क्यों बनी हुयी है और हिंदू मुस्लिम भाई भाई का नारा गुम क्यों हो गया है. क्यों दोनों एक दूसरे को न तो जानना चाहते हैं न समझना चाहते हैं बस हवा में तीर सभी चलाना जानते हैं.