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ह्यूमर
| 2-मिनट में पढ़ें
राज वर्मा
@100000681086329
सच्चे क्रास सेलर 'नाऊ' हैं, बैंकिये और बेचारे बीमा वाले नाहक बदनाम हैं!
बाजार में तमाम तरह के उत्पाद हैं और उतनी ही तरह के दुकानदार लेकिन नाई इन सब में सबसे अलग है. ये व्यक्ति के बार बार लगातार मना करने के बावजूद उसे कुछ भी बेच सकता है. कह सकते हैं कि सच्चे क्रास सेलर तो ये नाऊ ही होते हैं. बैंकिये बेचारे तो नाहक बदनाम हैं कि वो बैलेंस पूछने आये ग्राहक को भी बीमा/म्यूचुअल फण्ड भेड़ने में लग जाते हैं.
ह्यूमर
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
क्रांति का बिगुल बज चुका है, अंग्रेजों की तरह देश से नॉन वेज को भी बाहर खदेड़ेगा गुजरात!
गुजरात के वडोदरा में खुले में बिकने वाले नॉन वेज को लेकर एक अहम फैसला लिया गया है. बात सीधी है जिस तरह देश की आजादी में गुजरात का महत्व था उसी प्रकार कल यदि देश नॉन वेज मुक्त होता है तो गुजरात बड़ी भूमिका निभाएगा.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 4-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
प्रेमी जोड़ों के लिए खुल रही शादी की दुकानें, यहां पार्लर से लेकर वकील तक मिलता है
इन दुकानों में पंडित, वकील और मेकअप के लिए पार्लर जैसी वे सुविधाएं मौजूद हैं जिसकी जरूरत किसी भी आम शादी में होती है. इतना ही नहीं इन जोड़ों को शादी के बाद रहने के लिए जगह की भी व्यवस्था करवाई जाती है.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
मशाहिद अब्बास
@masahid.abbas
'पहले पैसे लाओ, फिर इलाज होगा' ऐसा कहने वाले क्या डॅाक्टर कहे जाएंगे?
कलेजा ज़ख्मी हो जाता है जब कोई डॅाक्टर ये कह देता है कि पहले पैसा जमा कराओ तब इलाज होगा. इस बात पर क्रोध आता है ज़रूर आता है लेकिन इसका हल क्या है? ये भगवान स्वरूप डॅाक्टर आज हैवान क्यों बन गया है? ये बड़ी बीमारी है इस बीमारी का समाज से खात्मा होना ज़रूरी है वरना हर दिन पैसों के अभाव में न जाने कितनी जान जाती ही रहेंगी.
इकोनॉमी
| 6-मिनट में पढ़ें
vinaya.singh.77
@vinaya.singh.77
तो क्या मान लें कि अर्थव्यवस्था अब पटरी पर आने की राह पर चल पड़ी है?
विश्व के अन्य मुल्कों की तरह भारत (India) भी कोरोना (Coronavirus) की चपेट में है. क्योंकि अभी तक वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) नहीं आई है इसलिए जान जीवन और अर्थव्यवस्था (Economy) दोनों ही अस्त व्यस्त है मगर अब जिस तरह धीरे धीरे चीजें पटरी पर लौट रही हैं उसे देखना अपने में सुखद है.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
प्रीति 'अज्ञात'
@preetiagyaatj
Mask story: सुरक्षित रहना है तो हमें आंखों की भाषा समझनी होगी!
जैसा कि देखने को मिल रहा है भारत (India ) में लोगों ने धीरे धीरे कोरोना वायरस (Coronavirus) के साथ जीने की आदत डाल ली है. अब अगर हम बाजारों (Market) पर गौर करें तो या तो सन्नाटा है या फिर जरूरत के चलते निकले लोग. कुल मिलाकर बाजारों में पहले जैसी रौनक आने में अभी वक़्त लगेगा.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
शुभ्रा सुमन
@shubhra.suman.1
Ayodhya Ground Report: विकास के नाम से अयोध्यावासी डरते क्यों हैं?
भले ही पीएम मोदी (PM Modi) द्वारा राम मंदिर के लिए किये गए भूमि पूजन (Ram Mandir Bhumi Pujan) के बाद अयोध्या के विकास (Ayodhya Development) को लेकर बड़ी बड़ी बातें हो रही हों मगर उन दुकानदारों का क्या जो इस विकास की भेंट चढ़ अपना सब कुछ गंवाने वाले हैं.
ह्यूमर
| 3-मिनट में पढ़ें
प्रीति 'अज्ञात'
@preetiagyaatj
Lockdown crime: आम, इंसान, इंसानियत, ईमान, और बेइमान
लॉक डाउन (Lockdown) है तो सब कुछ बंद है ऐसे में सबसे ज्यादा परेशान वो आम आदमी (Common Man) है जिसे आम (Mango) का शौक था. कोरोना वायरस (Coronavirus) का डर कुछ ऐसा है कि वो आम लेने के लिए बाजार या मंडी जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा.
ह्यूमर
| 4-मिनट में पढ़ें
प्रीति 'अज्ञात'
@preetiagyaatj
मोदी जी सुन लो, Lockdown को हम दिल दे चुके सनम!
कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर जैसा आलम है और जिस तरह हम अपने अपने घरों में रहने को मजबूर हैं अब लॉकडाउन (lockdown 4.0) भी हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा हो गया है. अगर अब तक हमने इसकी आदत नहीं डाली तो हमें डाल लेनी चाहिए.