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समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
उत्तराखंड बाढ़ में बच्चों के बह जाने से गमगीन डॉगी का मातम इंसानों से कम नहीं
Uttarakhand disaster में अपने बच्चों को खो चुकी यह फीमेल डॉग रेस्क्यू टीम (Rescue Team) को देखती रहती है. वहां जम चुके मलबे में (Uttarakhand flood) बच्चों की स्मेल सूंघती है और वहीं बैठी रहती है.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
मेजर सरस त्रिपाठी
@saras.tripathi
चमोली ग्लेशियर त्रासदी के लिए क्या चीन जिम्मेदार है?
बीते दिनों उत्तराखंड में जो त्रासदी देखने को मिली उसके लिए आशंका व्यक्त की जा रही है कि यह चीन की हरकत है. चीन ने लेजर बीम से किसी ग्लेशियर को अपना निशाना बनाया और उसे काटकर विध्वंस का ये खेल खेला.
समाज
| 6-मिनट में पढ़ें
रमेश ठाकुर
@ramesh.thakur.7399
Uttarakhand flood: ग्लेशियरों के संकेतों को न भांपने का ख़ामियाज़ा
तपोवन में मचा कोहराम हमारी हठधर्मिता और नकारेपन का नतीजा है. केदारनाथ हादसे के बाद भी हमने कोई सबक नहीं सीखा. अब भी अगर हम सतर्क नहीं हुए, तो कुछ अंतराल के बाद अगली तबाही झेलने के लिए फिर से तैयार रहना चाहिए. कुदरत ने दूसरी बार अपने रुद्र रूप से हमें परिचय कराया.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
सर्वेश त्रिपाठी
@advsarveshtripathi
Uttarakhand Glacier Burst: प्रकृति ने तो पहाड़ों पर से इंसानी अतिक्रमण ही साफ किया है!
उत्तराखंड के ग्लेशियर का इस तरह से पिघलना और हिमस्खलन और चट्टानों का दबाव को न सह पाना मानव की इस क्षेत्र में अतिशय छेड़खानी का ही परिणाम है. जब-जब ये छेड़खानी अपनी हदें लांघेंघी, प्रकृति अपने हिसाब से अपनी बात रखेगी.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
डॉ. हेमंत ध्यानी
@hemant.dhyani.5
Uttarakhand Glacier Burst: सरकारों के स्वार्थ ने किया नगाधिराज को नाराज!
उत्तराखंड में जो हुआ है यदि उसपर गौर करें तो मिलता है कि वर्तमान त्रासदी मानव-भोग के लिए पर्यावरण को संसाधन-मात्र देख निर्मम दोहन, तीर्थों को टूरिस्म हॉट-स्पॉट और चारधामों को चार-दामों में बदलने की होड़ का परिणाम है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
उत्तराखंड से बुरी खबर आने का सिलसिला रुकना फिलहाल तो मुमकिन नहीं!
उत्तराखंड के ग्लेशियरों के मुंह पर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट के जरिये बांध बनाए जा रहे हैं. इसके लिए व्यापक स्तर पहाड़ों को काटा जा रहा है. हिमालयी पर्वत श्रृंखला को बहुत अधिक सुरक्षित पर्वतों में नहीं रखा जाता है. इन तमाम बड़े प्रोजेक्ट की वजह से ऐसे हादसे भविष्य में और अधिक बढ़ सकते हैं.
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
मशाहिद अब्बास
@masahid.abbas
उत्तराखंड में मनुष्य को सजा देकर प्रकृति ने अपना उधार चुकता किया है!
उत्तराखंड में एक बार फिर सैलाब आया है, इस बार भी आपदा कहकर ज़िम्मेदारियों से भागा जा रहा है. पहाड़ फिर से दर्द झेल रहा है, 2013 की झलक 2021 में दिखाई दे रही है. सबकुछ वैसा नहीं है ये शुक्र है लेकिन जो है उससे बचा जा सकता है. बड़ा सवाल ये भी है कि आपदा आने के बाद नींद से जागना कहां तक जायज है?