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जावेद अनीस
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सिनेमा
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12-मिनट में पढ़ें
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जावेद अनीस
@javed.anis
डिकोडिंग 'पठान', जिसका दायरा एक फिल्म से ज्यादा बड़ा बन गया
जिस प्रकार से शाहरुख और उनकी फिल्म को सांप्रदायिक घृणा का निशाना बनाया गया उसने पठान को एक आम हिंदी फिल्म से कहीं अधिक बना दिया है. जाने-अनजाने यह एक सहिष्णु बनाम असहिष्णु भारत की लड़ाई का एक सिनेमाई प्रतीक बनकर उभरी है.
सियासत
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7-मिनट में पढ़ें
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जावेद अनीस
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Rahul Gandhi: वर्तमान में भारतीय राजनीति के दारा शिकोह
राहुल गांधी अपनी बहुचर्चित 'भारत जोड़ो यात्रा’ के माध्यम से पहली बार खुद को इतने प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करने में कामयाब हुये हैं. जैसा उनका वर्तमान स्वरूप है, वे बंधुतत्व के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में उभरे हैं.
सियासत
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6-मिनट में पढ़ें
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जावेद अनीस
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Sedition Law: अंग्रेजो के जमाने का काला कानून आजाद भारत का लाड़ला क्यों हैं?
मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा करीब डेढ़ सदी पुराने राजद्रोह कानून पर अपना फैसला सुनाते हुए रोक लगा दी गयी थी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को जमानत मिलने की उम्मीद देने का काम किया है जो इस कानून की वजह से लंबे समय से जेल में हैं.
सिनेमा
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7-मिनट में पढ़ें
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जावेद अनीस
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पुस्तक समीक्षा: बॉलीवुड के तीन खान और नये भारत का उदय!
कावेरी बमजई की किताब 'द थ्री खान्स एंड द इमर्जेंस ऑफ न्यू इंडिया' ना केवल इन तीन खान सितारों के उत्थान का लेखा-जोखा पेश करती है बल्कि उस दौर के सामाजिक–राजनीतिक बदलाओं को भी पकड़ने की कोशिश भी करती है.
सियासत
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जावेद अनीस
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महज कागजी न रहे बच्चों की सहभागिता का सवाल
दुनिया के अधिकतर समाजों में बच्चों की भागीदारी को लेकर गंभीरता दखने को नहीं मिलती है. न तो सरकार और न ही समाज बच्चों की आवाज को इस काबिल मानती है कि सुनी जाए. वे सोचते हैं कि बच्चे खुद से सोचने, समझने, निर्णय लेने और किसी मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करने लायक नहीं हैं.
सियासत
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जावेद अनीस
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क्या भारत सभ्यात्मक संकट के दौर से गुजर रहा है?
2014 के बाद से इस देश पर ऐसे विचारों को थोपने की कोशिश की जा रही है जो पूरी तरह से एकांकी, विभाजक और प्रतिगामी है, तो क्या भारत सभ्यात्मक संकट के दौर से गुजर रहा है? या फिर यह एक गरम हवा का झोंका है जो आगामी किसी चुनाव में बह जायेगा?
समाज
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9-मिनट में पढ़ें
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जावेद अनीस
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शिक्षा का अधिकार कानून: 12 साल का चुनौतियों भरा सफर
स्कूलों की सामुदायिक निगरानी और सहयोग की तरफ ध्यान देने की जरूरत है, पिछले दस वर्षों के दौरान काफी स्कूलों में शाला प्रबंधन समितियों के गठन तो हो चुके हैं अब इनके सशक्तिकरण की जरूरत है. इसके लिये सिर्फ प्रशिक्षण ही काफी नहीं होगा बल्कि शाला प्रबंधन समितियों की भूमिका व जवाबदेहीता को और ठोस बनाने, इसके ढांचे के बारे में पुनर्विचार करने की भी जरूरत होगी.
सियासत
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10-मिनट में पढ़ें
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जावेद अनीस
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भाजपा का पसमांदा प्रेम, कितना निश्छल-कितना स्वार्थी
देश की तकरीबन सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा पसमांदा मुसलमानों की उपेक्षा की गयी है, लेकिन अब भाजपा जैसी हिंदुत्ववादी पार्टी ने इन्हें अपने साथ जोड़ने का इरादा जताया है.
सियासत
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जावेद अनीस
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The Muslim Vanishes: एक जरूरी नाटक, जो काल्पनिक होते हुये भी सच्चाई के बहुत करीब है!
सईद नकवी की किताब 'द मुस्लिम वैनिशेस' किताब मूलतः एक काल्पनिक व्यंग्य नाटक है. जो भारत की मौजूदा राजनीति के परिप्रेक्ष्य में कई महत्वपूर्ण सवाल उठाती है. एक नाटक होने के बावजूद इसका मंचन मुश्किल लगता है. इसका कारण एक तो इसमें किरदारों की भरमार है और दूसरा विषय की जटिलता, इसके चलते इसका मंचन मुश्किल होगा.
सियासत
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जावेद अनीस
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सच्चर कमेटी रिपोर्ट के पंद्रह साल: हाशिए से लेकर बहिष्कार करने तक का सफर!
सच्चर कमेटी रिपोर्ट को डेढ़ दशक से ज्यादा समय बीत चुके हैं. यह आजाद भारत में आधी सदी से अधिक समय के दौरान मुस्लिम समुदय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन का सत्यापित लेखा जोखा पेश करती हैं.
समाज
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जावेद अनीस
@javed.anis
भारत में अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार समझौते के तीस वर्ष: सफ़र, पड़ाव, और चुनौतियां...
भारत में अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार समझौते के 30 साल का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. यूएनसीआरसी को स्वीकार करने के बाद हमारे देश में बच्चों के पक्ष में कई उल्लेखनीय पहल की गयी हैं, कई नए कानून, नीतियां और योजनायें बनायीं गयी हैं. सवाल ये है कि क्या ये कारगर हैं? आइये समझते हैं...
समाज
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जावेद अनीस
@javed.anis
लैंगिक समानता बनाम मर्दानगी का बोझ और उसे झेलता पुरुष!
पितृसत्ता से केवल महिलाओं को ही परेशानी नहीं उठानी पड़ती है, बल्कि इसका शिकार पुरुष भी होते हैं. उन्हें ना केवल मर्दानगी ओढ़नी पड़ती है बल्कि ज्यादातर समय इसकी कसौटी पर खरा उतरना होता है.