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अंशुमान तिवारी
1anshumantiwari
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लेखक इंडिया टुडे के संपादक हैं.
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चुनावी साल में जीएसटी सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है
राजनीति जीएसटी का सबसे बड़ा अभिशाप है. इसने इसका रास्ता कई सालों से रोक कर रखा है. फिर इसे अपरिहार्य स्थिति में वापस लाया गया और फिर जल्दबाजी में बदलाव भी किए गए.
इकोनॉमी
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ये रहा मोदी सरकार के चार साल का लेखा जोखा
मोदी सरकार के चार साल- क्या किया, क्या नहीं और क्या करना बाकी है. एक नजर इस बीजेपी सरकार और उसकी नीतियों के परफॉर्मेंस पर...
सियासत
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मोदी को है अपनी टीम-इंडिया की मदद की जरूरत
मांग में बढ़ोतरी, बड़े उत्पादकों की तरफ से आपूर्ति में कटौती और पश्चिम एशिया और वेनेजुएला के बीच के बढ़ते तनाव के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दामों में ये बढ़ोतरी देखी जा रही है.
इकोनॉमी
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भारत के बैंकों को बचाना है तो इन बातों का ध्यान रखना होगा
पीएनबी और रोटोमाक भारत की वित्तीय पारदर्शिता के दो विरोधी चेहरे हैं. स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होने और वहां के कड़े नियमों के कारण भले दो हफ्ते तक टाल-मटोल करने के बावजूद भी पीएनबी को अपने यहां घोटाले का खुलासा करना पड़ा. हालांकि रोटोमैक के केस में बैंकों को डिफॉल्ट की जानकारी अपने तक रखने का अधिकार है.
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अभी तो पार्टी शुरू हुई थी...
2014 के बाद शेयर बाजार में आई तेजी ने भारत में वित्तीय निवेश की तस्वीर को ही बदल दिया है. वहीं रीयर एस्टेट और सोने का आकर्षण कम हुआ है.
इकोनॉमी
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नोटबंदी: 5 सवाल जिनका जवाब अब मोदी सरकार को देना चाहिए...
नोटबंदी किसी गहरे राज की तरह बन गई है जहां 99 प्रतिशत हाई करंसी नोट बैंको में वापस आ गए, लेकिन नोटबंदी से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब अभी भी नहीं आए.
इकोनॉमी
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2019 लोकसभा चुनाव में मोदी के दुश्मन होंगे मोदी खुद !
भारत के आर्थिक सुधार के इतिहास में जीएसटी सबसे बुरे टाइम पर किया गया रिफॉर्म है. इस समय एक तरफ तो देश में निवेश का अकाल पड़ा था तो दूसरी तरफ नोटबंदी के सदमें से लोग उभरने की कोशिश कर रहे थे.
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अंशुमान तिवारी
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GST ग्राहकों के लिए फायदे का नहीं, घाटे का सौदा है
इस प्रक्रिया का लाभ लोगों के जीएसटी में सेट होने तक अनुमान के दायरे में ही रहेगा. जीएसटी के समर्थक उपभोक्ता बता रहे हैं कि जीएसटी रिफंड के जरिए कारोबार की लागत को कम कर देगी और अंतत: गुड्स और सर्विसेज सस्ता होगा. लेकिन सच्चाई क्या है ये जानिए...
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अंशुमान तिवारी
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जीएसटी का सबसे ज्यादा स्वागत काले धन वाले करेंगे !
जीएसटी में सोना और रियल एस्टेट को लेकर जिस तरह से फैसले लिए गए हैं, उससे तो काला धन से लड़ाई का प्रधानमंत्री मोदी का सपना दूर-दूर तक साकार होता नहीं दिख रहा है.
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अंशुमान तिवारी
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कैश की अफरातफरी और 70 के दशक वाली नसबंदी !
काला धन रोकने से भारत की अर्थव्यवस्था कुछ दिन के लिए विकलांग हो गई है. ये समय इंदिरा गांधी और संजय गांधी के नसबंदी अभियान के समय जैसा लग रहा है.
इकोनॉमी
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अंशुमान तिवारी
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क्या रेल बजट बंद होने से दौड़ेगी ट्रेन ?
रेल बजट का आम बजट में विलय, दरअसल भारतीय रेल को बदलने का आखिरी मौका है
इकोनॉमी
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अंशुमान तिवारी
@1anshumantiwari
कैसे रेलवे ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली!
फ्लैक्सी फेयर और सर्ज प्राइसिंग की योजना रेलवे को कोई बहुत बड़ा लाभ नहीं होने वाला क्योंकि इन प्रीमियम ट्रेनों की संख्या बहुत कम है. बल्कि इससे तो यात्रियों का झुकाव हवाई यात्रा की ओर बढ़ेगा.