रमजान का महीना चल रहा है और यूं लगता है कि कठमुल्ले हाथों में मोबाइल लिए मोरल पुलिसिंग पर निकल पड़े हैं. उनकी नजरें बस अपनी कौम के लोगों पर लगी हुई हैं. रमजान के पाक महीने में जैसे ही कोई गड़बड़ करे, वो उन्हें लानतें भेजें. बताएं कि वो अब जहन्नुम में जाएंगे.
तो ताजा शिकार बने हैं आमिर खान. अपने भाई मंसूर का जन्मदिन मनाने परिवार सहित गए थे. गलती ये हो गई कि तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर दीं. इनमें से एक तस्वीर में वो अपनी बेटी इरा खान के साथ नजर आ रहे हैं. जाहिर तौर पर ये फैमिली टाइम था और आमिर बेटी के साथ मस्ती के मूड में दिख रहे हैं. इरा अपने पापा के पेट पर चढ़ी हुई हैं और आमिर उठने की कोशिश कर रहे हैं. बस इतना काफी था कठमुल्लों के लिए.
आमिर, बेटी इरा के साथ
खूबसूरत तस्वीर के रंग कुछ इस तरह बिगाड़े गए
ये बाप और बेटी के रिश्ते की एक बेहद खुशनुमा तस्वीर है. किसी एल्बम के लिए इससे खूबसूरत तस्वीर क्या होगी. लेकिन आमिर को इसी तस्वीर के लिए धर्म का वास्ता दिया जा रहा है. कठमुल्ले उनपर चढ़ बैठे हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि रमजान के पाक महीने में अपनी बिटिया के साथ खेलना 'नापाक' है, 'हराम' है.
लोगों की सोच का स्तर इतना गिरा हुआ था कि एक ने तो उन्हें पोर्न मूवी तक बनाने की सलाह दे डाली.
इन्हें तो ये भी रास नहीं आ रहा कि रमजान में आमिर परिवार के साथ बैठकर खाना खा रहे हैं. और इसकी तस्वीर भी शेयर कर रहे हैं. मुस्लिम होने के नाते उन्हें तो रोजा रखना चाहिए, वरना वो सच्चे मुसलमान कैसे कहलाएंगे. रोजा रखे बैठे कठमुल्लों ने आमिर की बेटी के कपड़ों को भी गौर से देख डाला. कपड़े भी हराम निकले.
एक महिला का ये कमेंट है : ''रमजान के पाक महीने में ही बेटी के नीचे आने मिला इसे. अल्लाह का खौफ है कि नहीं, तौबा-तैबा !!''
एक महिला होने के नाते ये कमेंट पढ़कर मुझे इस महिला की सोच पर अचरज होता है. न तो उन्हें रिश्ते नजर आए और न ही स्नेह. उन्हें नजर आया तो छोटे कपड़े पहने एक लड़की का एक आदमी के ऊपर चढ़ा होना. इरा ने अगर शॉर्ट्स के बजाए बुर्का पहना होता तब मुकम्मल लगता एक बाप और बेटी के बीच का रिश्ता.
परिवार के साथ बैठकर खाना खाना भी क्या गुनाह हो गया?
लोगों की नजरों को परिवार का एकसाथ होना नहीं दिखा, दिखा तो रमजान का पाक महीना और आमिर खान की जूठी प्लेट. इसपर वो ऐतराज करने वाले होते कौन हैं. वो रोजा रखें, न रखें ये उनकी मर्जी. रोजा नहीं रखेंगे तो वो मुसलमान नहीं कहलाएंगे क्या. बहुत से मुस्लिम हैं जो रोजा नहीं रखते. इस बात के लिए आमिर को ट्रोल करना लोगों का अपने धर्म के प्रति कट्टरता ही दिखाता है.
आमिर खान की बेटी 'टॉम ब्वाय' की तरह हैं
और रही बात आमिर के अपनी बेटी के साथ कंफर्टेबल होने की, तो बेटियां किसी की भी हों उन्हें ये अहसास खुदबखुद हो जाता है कि किसका स्पर्श अच्छा है और किसका ऐतराज के लायक. बेटियां अपने पिता के साथ ही सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं. और ये आमिर की इस तस्वीर में साफ दिखता भी है. वो अपने घर में क्या कर रहे हैं उसकी फिक्र लोगों को क्यों है. लोग क्यों ये तय करते हैं कि आमिर की बेटी को कैसे कपड़े पहनने चाहिए, और रमजान के महीने से इन सब चीजों को जोड़ने का मतलब क्या है. अगर ये गलत है तो क्या सिर्फ रमजान तक ही गलत माना जाए, रमजान के बाद क्या सब कुछ जायज हो जाता है. या फिर रमजान नहीं होता तो ऐसे वाहियात कमेंट्स नहीं करते ये लोग.
सेलिब्रिटी की जिंदगियों में झांकने और उनके लिए वाहियात कमेंट करने वाले लोग क्या अपने घर के दरवाजे भी खोलेंगे, जिससे लोग उनके घरों में झांककर उन्हें सही गलत का पाठ पढ़ा सकें? नहीं, ये सब सोशल मीडिया पर ही चलता है. जहां लोग किसी की भी मां-बहन-बेटी-बीवी सब एक कर सकते हैं.
आमिर को इस्लाम का पाठ पढ़ा रहे लोगों की धार्मिक ज्ञान का इंतेहान भी लिया जाना चाहिए. सोशल मीडिया पर हराम और हलाल की दलीलें दे रहे इन लोगों को भी क्या कोई धर्मगुरु ये बताएगा कि उनके ओछे कमेंट उन्हें रमजान के सवाब से महरूम कर रहे हैं.
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