विश्व के तमाम देशों में शिक्षा का स्वरुप बदला तो टीचर्स ने भी पढ़ाने के तरीकों में अभूतपूर्व बदलाव किया है. अब टीचर्स रटाने से ज्यादा इस बात पर फोकस करते हैं कि बच्चा सीख पा रहा है या नहीं. आपने भी देखा होगा ईवीएस समेत कई विषय ऐसे हैं जहां बच्चों को सिचुएशन या टॉपिक दे दिया जाता है और पेंटिंग करवाई जाती है. ऐसा करने के पीछे शिक्षकों का उद्देश्य यही होता है कि बच्चा विषय/ परिस्थिति को समझ पाया या नहीं. लेकिन तब क्या जब टीचर पढ़ाने या क्रिएटिव लर्निंग के नाम पर बच्चों से पेंटिंग बनवाए और क्लास के बच्चों में से कोई एक बच्चा कुछ ऐसा बना दे जिसे देखकर टीचर सकते में आ जाए और मां बाप को इमरजेंसी मीटिंग के लिए स्कूल आने का फरमान सुना दे.
दरअसल सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर एक पोस्ट जंगल में लगी आग की तरह वायरल हुआ है. पोस्ट में व्यक्ति ने बताया है कि, हमारे 6 साल के बच्चे ने हमें स्कूल से लौटकर एक नोट दिया. इसमें लिखा था कि टीचर ने मुझे और मेरी पत्नी की तुरंत बुलाया है. मैंने बेटे से पूछा- कुछ मालूम है कि ये मीटिंग किस बारे में है? तो मेरे बेटे ने कहा कि टीचर को मेरी ड्राइंग पसंद नहीं आई. व्यक्ति के अनुसार अगले ही दिन वो और उसकी पत्नी स्कूल पहुंचे जहां टीचर ने उन्हें बच्चे की ड्राइंग दिखाते हुए सवालों की झड़ी लगा दी.
टीचर के अनुसार उसने क्लास के बच्चों को फैमली फोटो बनाने के लिए कहा था. ऐसे में जो इस व्यक्ति के बेटे द्वारा बनाया गया वो विचलित करने वाला है. चूंकि टीचर ने बच्चे के सन्दर्भ में बहुत बड़ी बात कह दी थी जिससे उसकी मां बेचैन हुई और उसने वो पेंटिंग देखी और कहा कि इसमें समझाने वाला क्या है? ये तो हमारे फैमली वैकेशन की ड्राइंग है जब...
विश्व के तमाम देशों में शिक्षा का स्वरुप बदला तो टीचर्स ने भी पढ़ाने के तरीकों में अभूतपूर्व बदलाव किया है. अब टीचर्स रटाने से ज्यादा इस बात पर फोकस करते हैं कि बच्चा सीख पा रहा है या नहीं. आपने भी देखा होगा ईवीएस समेत कई विषय ऐसे हैं जहां बच्चों को सिचुएशन या टॉपिक दे दिया जाता है और पेंटिंग करवाई जाती है. ऐसा करने के पीछे शिक्षकों का उद्देश्य यही होता है कि बच्चा विषय/ परिस्थिति को समझ पाया या नहीं. लेकिन तब क्या जब टीचर पढ़ाने या क्रिएटिव लर्निंग के नाम पर बच्चों से पेंटिंग बनवाए और क्लास के बच्चों में से कोई एक बच्चा कुछ ऐसा बना दे जिसे देखकर टीचर सकते में आ जाए और मां बाप को इमरजेंसी मीटिंग के लिए स्कूल आने का फरमान सुना दे.
दरअसल सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर एक पोस्ट जंगल में लगी आग की तरह वायरल हुआ है. पोस्ट में व्यक्ति ने बताया है कि, हमारे 6 साल के बच्चे ने हमें स्कूल से लौटकर एक नोट दिया. इसमें लिखा था कि टीचर ने मुझे और मेरी पत्नी की तुरंत बुलाया है. मैंने बेटे से पूछा- कुछ मालूम है कि ये मीटिंग किस बारे में है? तो मेरे बेटे ने कहा कि टीचर को मेरी ड्राइंग पसंद नहीं आई. व्यक्ति के अनुसार अगले ही दिन वो और उसकी पत्नी स्कूल पहुंचे जहां टीचर ने उन्हें बच्चे की ड्राइंग दिखाते हुए सवालों की झड़ी लगा दी.
टीचर के अनुसार उसने क्लास के बच्चों को फैमली फोटो बनाने के लिए कहा था. ऐसे में जो इस व्यक्ति के बेटे द्वारा बनाया गया वो विचलित करने वाला है. चूंकि टीचर ने बच्चे के सन्दर्भ में बहुत बड़ी बात कह दी थी जिससे उसकी मां बेचैन हुई और उसने वो पेंटिंग देखी और कहा कि इसमें समझाने वाला क्या है? ये तो हमारे फैमली वैकेशन की ड्राइंग है जब हम बहामास में स्नॉर्कलिंग (तैराकी का अभ्यास) के लिए गए थे. महिला द्वारा कही इस बात के बाद टीचर ने फिर से पेंटिंग का अवलोकन किया तब जाकर उसे वो पेंटिंग समझ में आई.
अब सवाल होगा कि आखिर टीचर को बच्चे द्वारा बनाई गयी उस तस्वीर में क्या बुराई दिखी? ऐसे में ये बताना जरूरी है कि जब अचानक बच्चे द्वारा बनाई गयी ये पेंटिंग आपकी आंखों के सामने से गुजरेगी तो आपको यही महसूस होगा कि जैसे पूरा परिवार एक साथ फांसी के फंदे पर झूल रहा है. हो ये भी सकता है कि तस्वीर का ये स्वरुप आपको दहशत में डाल दे और शायद आप डर जाएं.
जैसा कि लाजमी था पोस्ट लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने में कामयाब हुई है. लोगों की तमाम प्रतिक्रियाएं हैं जो एक के बाद एक इस पोस्ट पर आ रही हैं. कुछ यूजर्स है जो डंके की चोट पर इस बात को दोहरा रहे हैं कि स्कूल में बेवजह ही एक बच्चे की पेंटिंग को मुद्दे की तर्ज पर पेश किया जा रहा है. वहीं ऐसे भी तमाम यूजर्स है जो इस मामले को लेकर टीचर और स्कूल की शान में जमकर कसीदे पढ़ रहे हैं. लोग इस बात को दोहरा रहे हैं कि दुनिया में मुल्क कोई भी हो वहां एक शिक्षक को छात्र के प्रति इतना ही गंभीर होना चाहिए.
हो सकता है कि टीचर द्वारा पेंटिंग देखकर विचलित होने की बात कुछ लोग पचा नहीं पाएं. ऐसे में ये बता देना बहुत जरूरी है कि आज जैसा माहौल है छोटे छोटे बच्चे तक भारी तनाव में हैं और उनमें आत्महत्या की प्रवृत्तियों में इजाफा देखने को मिला है. अच्छा क्योंकि ये मामला विदेश का है वहां वैसे भी मां पिता के रिश्तों को लेकर बच्चे तनाव में हैं इसलिए ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं जिनमें बच्चों ने अपने मन में चल रहे भावों को पेंटिंग या ऐसी गतिविधियों के जरिये जाहिर किया है.
बहरहाल अच्छा हुआ इस मामले में मां ने टीचर को ये बता दिया कि वो लोग स्नॉर्कलिंग करने बहामास गए थे. सोचिये अगर यहां भारत में ऐसा कुछ होता तो इस घटना के लिए इमरजेंसी मीटिंग बुलाने की जरूरत न तो टीचर को होती और न ही बच्चा अपने भावों को पेंटिंग जैसी चीज के जरिये कागज पर उकेर पाता. ( ये अपने में दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में आज भी वही रटी रटाई शिक्षा प्रणाली चल रही है और लोग उसका पालन कर रहे हैं)
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