भाजपा संसद और WFI चीफ ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों का दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर धरना देना भर था. तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का कहना था कि जंतर मंतर सियासत का अखाड़ा बनेगा. ये कयास तब सही साबित हुए जब अभी बीते दिनों हमने पीएम मोदी और केंद्र सरकार के खिलाफ ऐसे कई नारों को सुना जो लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले किसी भी भारतीय को शर्मसार करने के लिए काफी हैं. इन नारों पर जो रुख पहलवानों का रहा उसने देशवासियों को आहत किया. वो तमाम लोग जो कल तक साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया जैसे पहलवानों की शान में कसीदे पढ़ रहे थे, आज इन नारों को सुनकर स्तब्ध हैं और खिलाड़ियों की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में बजरंग पुनिया ने 'बजरंगी' का सहारा लेकर बाजी चलने की कोशिश तो की लेकिन क्योंकि पब्लिक नाराज है और साथ ही अब तक ये पहलवान लोग पब्लिक की नजर से उतर गए हैं दांव उल्टा पड़ गया है.
दरअसल हुआ कुछ यूं है कि कर्नाटक में जारी बजरंग दल बनाम बजरंग बलि डिबेट में बजरंग पुनिया भी कूदे और इसी सिलसिले में अभी बीते दिन ही पुनिया ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक स्टोरी शेयर की. जिसमें उन्होंने कहा कि 'मैं बजरंगी हूं. मैं बजरंग दल का समर्थन करता हूं. जय श्री राम' कैप्शन लिखा. अपने पोस्ट में बजरंग ने ये भी लिखा कि, 'सभी बजरंगी भाई इसे अपनी व्हाट्सएप पर डीपी और स्टेटस लगाएं. जय श्री राम'.
पोस्ट की गयी इस स्टोरी से बजरंग पुनिया ने ये मैसेज देने की कोशिश की कि कर्नाटक में बजरंग बलि मामले में वो सरकार के साथ हैं. लेकिन उनका ये अंदाज उन लोगों को एक फूटी आंख भी नहीं भाया जो पहलवानों के इस धरने में शामिल ही इसलिए हुए हैं ताकि वहां रहकर वो चुपचाप अपना एजेंडा चला सकें और सरकार और प्रधानमंत्री...
भाजपा संसद और WFI चीफ ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों का दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर धरना देना भर था. तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का कहना था कि जंतर मंतर सियासत का अखाड़ा बनेगा. ये कयास तब सही साबित हुए जब अभी बीते दिनों हमने पीएम मोदी और केंद्र सरकार के खिलाफ ऐसे कई नारों को सुना जो लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले किसी भी भारतीय को शर्मसार करने के लिए काफी हैं. इन नारों पर जो रुख पहलवानों का रहा उसने देशवासियों को आहत किया. वो तमाम लोग जो कल तक साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया जैसे पहलवानों की शान में कसीदे पढ़ रहे थे, आज इन नारों को सुनकर स्तब्ध हैं और खिलाड़ियों की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में बजरंग पुनिया ने 'बजरंगी' का सहारा लेकर बाजी चलने की कोशिश तो की लेकिन क्योंकि पब्लिक नाराज है और साथ ही अब तक ये पहलवान लोग पब्लिक की नजर से उतर गए हैं दांव उल्टा पड़ गया है.
दरअसल हुआ कुछ यूं है कि कर्नाटक में जारी बजरंग दल बनाम बजरंग बलि डिबेट में बजरंग पुनिया भी कूदे और इसी सिलसिले में अभी बीते दिन ही पुनिया ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक स्टोरी शेयर की. जिसमें उन्होंने कहा कि 'मैं बजरंगी हूं. मैं बजरंग दल का समर्थन करता हूं. जय श्री राम' कैप्शन लिखा. अपने पोस्ट में बजरंग ने ये भी लिखा कि, 'सभी बजरंगी भाई इसे अपनी व्हाट्सएप पर डीपी और स्टेटस लगाएं. जय श्री राम'.
पोस्ट की गयी इस स्टोरी से बजरंग पुनिया ने ये मैसेज देने की कोशिश की कि कर्नाटक में बजरंग बलि मामले में वो सरकार के साथ हैं. लेकिन उनका ये अंदाज उन लोगों को एक फूटी आंख भी नहीं भाया जो पहलवानों के इस धरने में शामिल ही इसलिए हुए हैं ताकि वहां रहकर वो चुपचाप अपना एजेंडा चला सकें और सरकार और प्रधानमंत्री को बदनाम कर सकें.
बजरंग के इस पोस्ट के बाद प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गयी है. वो तमाम लोग जो इस मामले पर बजरंग पुनिया की आलोचना कर रहे हैं उनका यही कहना है कि भले ही ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बजरंग पुनिया, अपनी मांगें मनवाने के लिए जंतर मंतर पर बैठे हो लेकिन इस पोस्ट के जरिये उनका प्रयास सरकार की नजरों में आना है. लोग ये भी कह रहे हैं कि इस पोस्ट से बजरंग ने यही बताने का प्रयास किया है कि चाहे कुछ हो जाए वो अहम मोर्चों पर देश और सरकार द्वारा लिए गए फैसले के साथ हैं.
सोशल मीडिया पर ऐसे भी तमाम यूजर्स थे. जो बजरंग पुनिया द्वारा पोस्ट की गयी इस स्टोरी के बाद उनकी नीयत को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं. और उन्हें धोखेबाज और दोगला जैसी संज्ञा दे रहे हैं. चूंकि सिर्फ इस एक पोस्ट ने बजरंग पुनिया के खिलाफ सवालों की झड़ी लगा दी बाद में उनके द्वारा इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया. पूछे जाने पर बजरंग ने ये कहकर मामला सुल्तान की कोशिश की कि इस पोस्ट को उनकी पीआर टीम द्वारा किया गया था.
बजरंग पुनिया ने इस पोस्ट को क्यों किया? इस पोस्ट को करने का मकसद क्या था? पोस्ट क्यों डिलीट हुई इन सवालों पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है. हां लेकिन जिस बात का ख्याल बजरंग पुनिया को रखना चाहिए वो ये कि वो अपना एजेंडा साफ़ रखें. चूंकि बजरंग, ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर हैं और इस बीच उन्होंने कई अनर्गल बातें की हैं साफ़ है कि उन्हें सरकर पर भरोसा नहीं है और वो जो भी कर रहे हैं वो अपने निजी स्वार्थ के लिए कर रहे हैं.
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