हथेली की पांचों अंगुलियां बराबर नहीं होती. ऐसे ही इंसान भी हैं और उनकी विचारधारा भी. यानी ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं जो चीज 'A' को अच्छी लगे वो 'ब' के लिए भी अच्छी हो और वो उससे सहमत हो. भारत एक लोकतंत्र है. और एक देश के रूप में भारत की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि भले ही यहां लोगों के मत और विचारधारा भिन्न हों. लेकिन सब एक दूसरे का, उसके स्पेस का पूरा सम्मान करते हैं. लेकिन तकलीफ तब होती है. जब कुछ लोग 'विरोध' के नाम पर बदतमीजी पर उतर आते हैं और फिर नौबत कब पर्सनल अटैक तक की आ जाती है और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण ये कि सामने वाले को पता ही नहीं चलता. व्यक्ति जब तक इस बात को समझता है बहुत देर हो जाती है. इन तमाम बातों को समझने के लिए कहीं दूर क्या ही जाना. साउथ सुपर स्टार सिद्धार्थ और शटलर साइना नेहवाल का ही रुख क्यों न कर लिया जाए.
विवाद के बाद भले ही सिद्धार्थ ने साइना से माफ़ी मांग ली हो लेकिन इस गंभीर मामले पर माफ़ी काफी नहीं है
पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक के मद्देनजर पीएम और उनकी सिक्योरिटी के सपोर्ट में उतरीं शटलर साइना नेहवाल ने ट्वीट किया था. साइना का ये ट्वीट अपने मोदी विरोध के लिए पहचान रखने वाले साउथ सुपर स्टार्ट सिद्धार्थ को नागवार गुजरा और वो अश्लील टिप्पणी पर उतर आए. बाद में जब किरकिरी हुई तो उन्होंने माफी मांगी और मामले को रफा दफा करने का प्रयास किया.
ऐसे में अब जबकि अपनी ओछी हरकत पर सिद्धार्थ ने सार्वजनिक माफी मांग ली है. तो जो सबसे पहला सवाल उठता है वो ये कि सोशल मीडिया पर महिलाओं संग बदतमीजी करने वाले मर्दों को माफी मिलनी चाहिए या फिर सजा? वो भी सख्त से सख्त.
असल में हुआ कुछ यूं था कि प्रधानमंत्री के समर्थन में उतरीं साइना का सिद्धार्थ ने विरोध किया. मामले पर जैसी भाषा सिद्धार्थ की थी लगा ही नहीं कि वो कोई सेलिब्रिटी हैं. भाषा किसी सस्ते ट्रोल की थी. एक महिला पर सिद्धार्थ का ये रवैया लोगों को नागवार गुजरा और अपनी अश्लील टिप्पणी के लिए उन्हें खूब जमकर ट्रोल किया गया.
कुछ इस अंदाज में साइना को ट्रोल करते नजर आए सिद्धार्थ
सोशल मीडिया पर तमाम तरह के रिएक्शन्स का सामना करने के बाद सिद्धार्थ ने एक स्पष्टीकरण जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि उनका मतलब किसी का अपमान करना नहीं था और उनके ट्वीट में किसी भी तरह का आक्षेप नहीं था.
जो माफीनामा सिद्धार्थ ने जारी किया है यदि उसका अवलोकन करें तो साइना से संबोधित होते हुए सिद्धार्थ ने लिखा है कि, 'प्रिय साइना, मैं अपने असभ्य मजाक के लिए आपसे माफी मांगना चाहता हूं, जो मैंने एक दिन पहले आपके ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा था. मैं आपसे कई बातों पर असहमत हो सकता हूं. लेकिन मेरी निराशा या आपका ट्वीट पढ़ने के बाद आया गुस्सा, मेरे लहजे और शब्दों को सही नहीं ठहरा सकता.
इसके अलावा अपने माफीनामे में सिद्धार्थ ने इसका भी जिक्र किया कि, 'अगर एक मजाक को समझाने की जरूरत पड़े, तो वह मजाक भी नहीं हो सकता. इसलिए मैं अपने मजाक के लिए आपसे माफी मांगता हूं. मुझे अपने शब्दों के चयन और हास्य पर जोर देना चाहिए था. किसी भी दुर्भावनापूर्ण इरादे से यह ट्वीट नहीं किया गया था.
वहीं सिद्धार्थ ने ये भी कहा कि, मैं खुद एक कट्टर नारीवादी समर्थक हूं और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मेरे ट्वीट में कोई लिंग निहित नहीं था और निश्चित रूप से एक महिला के रूप में आप पर हमला करने का कोई इरादा नहीं था. उम्मीद है कि आप इन सारी बातों को भुलाकर मेरे इस माफीनामे को स्वीकार कर लेंगी. आप हमेशा मेरी चैंपियन रहेंगी.
कुछ और बात कहने से पहले हम इतना जरूर कहेंगे कि, सिद्धार्थ अपने ओछेपन को 'मजाक' की संज्ञा दे रहे हैं. तो उन्हें सबसे पहले इस बात को समझना चाहिए था कि मजाक अपने करीबियों से किया जाता है. और उसका भी एक दायरा होता है. साइना, सिद्धार्थ की न तो करीबी हैं. न दोस्त और न ही कलीग इसलिए साफ़ है कि सिद्धार्थ अब झूठ का सहारा लेते हुए मामले पर लीपा पोती कर रहे हैं.
जिक्र मजाक का हुआ है तो मजाक का हरगिज़ भी ये मतलब नहीं है कि इंसान भौंडेपन पर उतर आए और वो कर दे जिसे सभ्य समाज नीचता कहता है.
बात सीधी और एकदम साफ़ है सिद्धार्थ का साइना से गलत बयानी करने के बाद उन्हें सॉरी कहना काफी नहीं है. कानून इसका संज्ञान ले और सिद्धार्थ को इसकी सजा दे. यदि सिद्धार्थ सिर्फ सॉरी कहकर बच निकले तो इससे उन ट्रोल्स की हिम्मत को बल मिलेगा जिनकी जिंदगी का एकमात्र उद्देश्य महिलाओं के साथ बदसलूकी करना है.
अगर आज कानून इस मसले पर गंभीर नहीं हुआ तो समझा यही जाएगा कि महिला चाहे वो साधारण हो या आम. वो सिर्फ और सिर्फ हंसी खेल तमाशे की वस्तु है. न तो उसे अपनी बात कहने का हक़ है. न ही किसी विषय पर अपना मत प्रकट करने का.
बहरहाल बतौर ट्रोल सिद्धार्थ हमारे सामने हैं. सिद्धार्थ को देखकर हमें हैरत इसलिए भी नहीं है क्योंकि सोशल मीडिया पर यही चल रहा है. ट्रोल्स बेख़ौफ़ सिर्फ इसलिए हैं क्योंकि कम ही होता है जब उनके ऊपर एक्शन लिया गया हो और उनकी चूड़ी को कसा गया हो. हम फिर इस बात को कह रहे हैं कानून को इस मामले में सख्त होना ही चाहिए और सजा देनी ही चाहिए वरना कल फिर वो किसी को ट्रोल करेंगे और सॉरी कहकर बच निकलेंगे.
खैर हाल में ही हमने सुल्ली ऐप और बुल्ली बाई मामले को देखा है. वहां भी जो हुआ सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि सभ्य महिलाओं को नीलाम करने वालों को भी यही लगा था कि कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा और यदि वो पकड़ लिए गए तो सॉरी कहकर बच निकलेंगे. लेकिन उन्हें गिरफ्तार किया गया और एक नजीर बनी.
साइना के साथ जो हुआ है उसपर भी कानून को यही रुख अपनाना चाहिए. ताकि चाहे वो सेलिब्रिटी स्टेटस रखने वाले सिद्धार्थ हों. या फिर कोई और. पूरी ट्रोल बिरादरी को इस बात का एहसास हो जाए कि गलती की है तो सजा होगी. सिर्फ सॉरी से काम नहीं चलने वाला.
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