मेरी तरह जिनका आधार कार्ड बन चुका है वो खुश हैं, और उनकी बांछें खिली हैं. आज के असली विजेता वही लोग हैं जिनके पास आधार कार्ड है. जिनके पास आधार नहीं है सरकार उन्हें निकम्मा नाकारा और निराधार मान चुकी है. मौजूदा वक़्त में बिन आधार के जीवन की कल्पना बेकार है. बैंक से लेकर इंकम टैक्स और मोबाइल फोन / इंटरनेट का कनेक्शन लेने से लेकर जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र तक आधार अनिवार्य है.
आज वो खासे परेशान हैं जिनका आधार नहीं है. ऐसे लोग एक हाथ में मिनिरल वाटर की बोतल और दूसरे हाथ में चंद जरूरी डाक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी लिए कतारों में हैं और इन्तेजार कर रहे हैं कि कब नंबर आए और इनका भी आधार कार्ड बन जाए. कहा जा सकता है कि आज समाज दो धड़ों में बंट चुका है एक वो जिनके पास आधार है, दूसरे वो जो बिन आधार के जीवन गुजार रहे हैं.
भले ही आधार कार्ड में फोटो काली हो और लिंग स्त्री से पुरुष या पुरुष से स्त्री हो जाए मगर सरकार का आदेश हैं कि म्यूच्यूअल फंड्स से लेकर टमाटर और टिंडे तक आप अगर कुछ भी चाहें तो वो आपको तभी मिलेगा जब आपके वॉलेट में आधार और जहन में उसका नंबर हो. आज के दौर में आपका जीवन तभी सफल है जब आपसे जुड़ी सभी चीजें आपके आधार से लिंक हों.
गौरतलब है कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए सरकार ने आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है और 1 अक्टूबर से यह नियम लागू हो जाएगा. बताया जा रहा है कि नियम लागू होने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र बिना आधार नंबर के नहीं बन सकेगा.
गृह मंत्रालय के रजिस्ट्रार जनरल इंडिया की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार,'अब मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदक को मृत व्यक्ति का आधार...
मेरी तरह जिनका आधार कार्ड बन चुका है वो खुश हैं, और उनकी बांछें खिली हैं. आज के असली विजेता वही लोग हैं जिनके पास आधार कार्ड है. जिनके पास आधार नहीं है सरकार उन्हें निकम्मा नाकारा और निराधार मान चुकी है. मौजूदा वक़्त में बिन आधार के जीवन की कल्पना बेकार है. बैंक से लेकर इंकम टैक्स और मोबाइल फोन / इंटरनेट का कनेक्शन लेने से लेकर जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र तक आधार अनिवार्य है.
आज वो खासे परेशान हैं जिनका आधार नहीं है. ऐसे लोग एक हाथ में मिनिरल वाटर की बोतल और दूसरे हाथ में चंद जरूरी डाक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी लिए कतारों में हैं और इन्तेजार कर रहे हैं कि कब नंबर आए और इनका भी आधार कार्ड बन जाए. कहा जा सकता है कि आज समाज दो धड़ों में बंट चुका है एक वो जिनके पास आधार है, दूसरे वो जो बिन आधार के जीवन गुजार रहे हैं.
भले ही आधार कार्ड में फोटो काली हो और लिंग स्त्री से पुरुष या पुरुष से स्त्री हो जाए मगर सरकार का आदेश हैं कि म्यूच्यूअल फंड्स से लेकर टमाटर और टिंडे तक आप अगर कुछ भी चाहें तो वो आपको तभी मिलेगा जब आपके वॉलेट में आधार और जहन में उसका नंबर हो. आज के दौर में आपका जीवन तभी सफल है जब आपसे जुड़ी सभी चीजें आपके आधार से लिंक हों.
गौरतलब है कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए सरकार ने आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है और 1 अक्टूबर से यह नियम लागू हो जाएगा. बताया जा रहा है कि नियम लागू होने के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र बिना आधार नंबर के नहीं बन सकेगा.
गृह मंत्रालय के रजिस्ट्रार जनरल इंडिया की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार,'अब मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदक को मृत व्यक्ति का आधार नंबर देना होगा'. इस पूरे मामले पर मंत्रालय का मत है कि इससे पहचान को लेकर होने वाले फ्रॉड पर लगाम लगेगी. साथ ही आधार कार्ड को जरूरी करने से मृत व्यक्ति के संबंध में सही जानकारी मिल सकेगी. आधार से मृत व्यक्ति की पहचान को रिकॉर्ड करना भी आसान होगा.
बहरहाल मृत व्यक्ति का आधार मांगने के पीछे सरकार की जो भी मंशा हो मगर फेसबुक से लेकर ट्विटर तक सम्पूर्ण सोशल मीडिया जगत पर 'आधार' टॉप ट्रेंड बना हुआ है और कई मजेदार फेसबुक पोस्ट और ट्वीट्स के जरिये सरकार के इस फैसले की अपने अंदाज में आलोचना कर रहे हैं.
आधार कार्ड को ध्यान में रखते हुए यूजर आशुतोष लिखते हैं कि, रावण रणभूमि में मरने के लिए पड़ा था. प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण से कहा कि वो भले राक्षस है, किंतु विद्वान ब्राह्मण है. जाकर उससे ज्ञान लेकर आओ. लक्ष्मण उसके पास गए और प्रश्न किया- ये दस सिर वाले आदमी का आधार किस दुकान पर बनता है और उसमें किस वाले सिर की फोटू आती है?
आधार के लिए यूजर नेम कनक धरा की परेशानी अलग है वो कई दिनों से लाइन में लगी हैं और अब भी उनका आधार कार्ड नहीं बन पाया है. कनक ने इस प्रक्रिया की अपने अंदाज में निंदा की है.
अंत में इतना ही कि भले ही अब मृत लोगों के लिए भले ही सरकार ने आधार कार्ड को जरूरी कर दिया हो मगर हम भारतीय ये भली प्रकार जानते हैं कि कैसे हमें उसकी आलोचना करनी है और सरकार को ये एहसास दिलाना है कि इन फैसलों से इतर अभी भी हमारे पास ऐसे कई मुद्दे हैं जिसपर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.
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