कुख्यात मामले में सजायाफ्ता आरजेडी के पूर्व सांसद कुछ दिनों से सोशल मीडिया की चर्चा का बड़ा विषय हैं. कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान 1 मई को दिल्ली के अस्पताल में निधन हो गया. मौत पर विवाद भी खड़ा हो गया. कई मौत के पीछे साजिश और इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं. हालांकि जेल प्रशासन ने ऐसे आरोपों को खारिज किया है. मौत के बाद से शहाबुद्दीन के समर्थक लगातार अलग-अलग हैशटैग के जरिए न्याय की गुहार लगा रहे थे. पहले तो गुस्सा एनडीए सरकार पर था. मगर बाद में यह लालू यादव परिवार पर भी दिखा.
दरअसल, समर्थकों का आरोप है कि जिस शहाबुद्दीन ने जिंदगीभर लालू यादव और आरजेडी के लिए काम किया, मौत के बाद उनके परिवार और पार्टी ने साथ नहीं दिया. शहाबुद्दीन के परिजन और बेटे ओसामा, पिता के निधन बाद से ही पैतृक गांव में अंतिम संस्कार करवाना चाहते थे. लेकिन कोविड 19 प्रोटोकाल की वजह से सरकार तैयार नहीं हुई. बड़े पैमाने पर शाहबुद्दीन के समर्थक बिहार से लेकर दिल्ली तक विरोध करते नजर आए.
सोमवार को ट्विटर पर विरोध वाले ट्वीट की भरमार थी. कई समर्थकों ने शहाबुद्दीन की मौत को साजिश बताते हुए उन्हें बिहार के सिवान में सुपुर्द-ए-ख़ाक करने की मांग की. तीन हैशटैग (#OsamaShahab #JusticeForShahabuddin #जस्टिस_फॉर_शहाबुद्दीन) पर लाखों ट्वीट हुए. लेकिन इसमें एक ट्वीट "ओसामा शहाब" नाम के हैंडल से था. ये पैरोडी अकाउंट है. ट्वीट की भाषा बेहद तीखी और सीधे तेजस्वी यादव पर चोट करती हुई थी.
ट्वीट में लिखा था- "अगर हमारे अब्बू डॉ. शहाबुद्दीन साहब अपनी जन्मभूमि सिवान में दफन नहीं हुए तो तेजस्वी यादव की राजनीति हमेशा के लिए जमीन में दफन हो जाएगी, इंशाअल्लाह!!" हालांकि ये पैरोडी अकाउंट से किया गया ट्वीट था मगर अचानक से प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. शहाबुद्दीन के...
कुख्यात मामले में सजायाफ्ता आरजेडी के पूर्व सांसद कुछ दिनों से सोशल मीडिया की चर्चा का बड़ा विषय हैं. कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान 1 मई को दिल्ली के अस्पताल में निधन हो गया. मौत पर विवाद भी खड़ा हो गया. कई मौत के पीछे साजिश और इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं. हालांकि जेल प्रशासन ने ऐसे आरोपों को खारिज किया है. मौत के बाद से शहाबुद्दीन के समर्थक लगातार अलग-अलग हैशटैग के जरिए न्याय की गुहार लगा रहे थे. पहले तो गुस्सा एनडीए सरकार पर था. मगर बाद में यह लालू यादव परिवार पर भी दिखा.
दरअसल, समर्थकों का आरोप है कि जिस शहाबुद्दीन ने जिंदगीभर लालू यादव और आरजेडी के लिए काम किया, मौत के बाद उनके परिवार और पार्टी ने साथ नहीं दिया. शहाबुद्दीन के परिजन और बेटे ओसामा, पिता के निधन बाद से ही पैतृक गांव में अंतिम संस्कार करवाना चाहते थे. लेकिन कोविड 19 प्रोटोकाल की वजह से सरकार तैयार नहीं हुई. बड़े पैमाने पर शाहबुद्दीन के समर्थक बिहार से लेकर दिल्ली तक विरोध करते नजर आए.
सोमवार को ट्विटर पर विरोध वाले ट्वीट की भरमार थी. कई समर्थकों ने शहाबुद्दीन की मौत को साजिश बताते हुए उन्हें बिहार के सिवान में सुपुर्द-ए-ख़ाक करने की मांग की. तीन हैशटैग (#OsamaShahab #JusticeForShahabuddin #जस्टिस_फॉर_शहाबुद्दीन) पर लाखों ट्वीट हुए. लेकिन इसमें एक ट्वीट "ओसामा शहाब" नाम के हैंडल से था. ये पैरोडी अकाउंट है. ट्वीट की भाषा बेहद तीखी और सीधे तेजस्वी यादव पर चोट करती हुई थी.
ट्वीट में लिखा था- "अगर हमारे अब्बू डॉ. शहाबुद्दीन साहब अपनी जन्मभूमि सिवान में दफन नहीं हुए तो तेजस्वी यादव की राजनीति हमेशा के लिए जमीन में दफन हो जाएगी, इंशाअल्लाह!!" हालांकि ये पैरोडी अकाउंट से किया गया ट्वीट था मगर अचानक से प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. शहाबुद्दीन के समर्थक सीधे तेजस्वी यादव की आलोचना के साथ ओसामा का साथ देने की अपील करने लगे.
एक हैंडल से लिखा गया- "जब शहाबुद्दीन साहेब जिंदा थे दो हजार कारों का काफिला उन्हें जेल से लेने के लिए पहुंचा था. आज उन्हें लेने के लिए महज 20 लोग उनके साथ खड़े हैं." एक दूसरे हैंडल से लिखा गया- "तेजस्वी जी अगर आज आपने शहाबुद्दीन साहब के लिए आवाज नहीं उठाई तो आपको कभी माफ़ नहीं किया जाएगा. सिर्फ एक ट्वीट पर्याप्त नहीं है. आज ओसामा साहेब दिल्ली में अकेले संघर्ष कर रहे हैं." एक और हैंडल ने लिखा- "तेजस्वी यादव जी आप शहाबुद्दीन साहेब को न्याय दिलाने के लिए आवाज नहीं उठा सकते जो आप और आपके पिता के लिए मरने के लिए तैयार था." सोशल मीडिया पर ऐसे ट्वीट की भरमार थी. एनडीए नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी शहाबुद्दीन की मौत के न्यायिक जांच की मांग उठाई.
तेजस्वी यादव, लालू यादव और आरजेडी ने शहाबुद्दीन के मौत की खबर के साथ ही सोशल मीडिया के जरिए संवेदनाएं जाहिर कर दी थीं. निधन के बावजूद शहाबुद्दीन का दबदबा बिहार में किस तरह है इसे तीखे ट्वीट की भरमार के बाद तेजस्वी यादव की सफाई से समझा जा सकता है. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने ट्वीट थ्रेड में सफाई देते हुए पक्ष रखा और लोगों को शांत करने की कोशिश की.
तेजस्वी ने लिखा- "हम ईश्वर से मरहूम शहाबुद्दीन साहब की मग़फ़िरत की दुआ करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उन्हें जन्नत में आला मक़ाम मिले. उनका निधन पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है. राजद उनके परिवार वालों के साथ हर मोड़ पर खड़ी रही है और आगे भी रहेगी."
"इलाज़ के सारे इंतज़ामात से लेकर मय्यत को घरवालों की मर्ज़ी के मुताबिक़ उनके आबाई वतन सिवान में सुपुर्द-ए-ख़ाक करने के लिए मैंने और राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्वयं तमाम कोशिशें की, परिजनों के सम्पर्क में रहें लेकिन सरकार ने हठधर्मिता अपनाते हुए टाल-मटोल कर आख़िरकार इजाज़त नहीं दिया."
"शासन-प्रशासन ने कोविड प्रोटोकॉल का हवाला देकर अड़ियल रुख़ बनाए रखा. पोस्ट्मॉर्टम के बाद प्रशासन उन्हें कहीं और दफ़नाना चाह रहा था लेकिन अंत में कमिशनर से बात कर परिजनों द्वारा दिए गए दो विकल्पों में से एक ITO क़ब्रिस्तान की अनुमति दिलाई गई. ईश्वर मरहूम को जन्नत में आला मक़ाम दे." आरजेडी के आधिकारिक हैंडल और पार्टी के दूसरे नेताओं ने भी तेजस्वी के ट्वीट को री ट्वीट किया.
कौन था शहाबुद्दीन
मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में कैदियों के वार्ड में 1 मई को हुई थी. 3 मई को दिल्ली में अंतिम संस्कार किया गया. पूर्व आरजेडी नेता पर हत्या, रंगदारी और धमकी देने के कई आरोप थे. इसमें सबसे खौफनाक मामला चंदा बाबू के बेटों को तेज़ाब में ज़िंदा जलाने और जेएनयू नेता चन्द्रशेखर की है. तिहाड़ जेल में चंदा बाबू के बेटों की हत्या मामले में वह आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे. शहाबुद्दीन आरजेडी के दिग्गज नेताओं में शामिल रहे और उन्हें लालू यादव का बेहद करीबी माना जाता था.
1996 से 2004 के बीच आरजेडी के टिकट पर चार बार सांसद रहा. दो बार विधायक बनने में भी कामयाबी पाई. हालांकि बिहार में एनडीए के मजबूत होने के साथ शहाबुद्दीन की राजनीति ख़त्म होती गई. जेल जाने के बाद उसकी पत्नी पिछले कुछ चुनाव हार चुकी है. शहाबुद्दीन मूलत: सिवान के हैं. उनकी पत्नी हीना शहाब भी आरजेडी नेता हैं. शहाब्बुद्दीन और हीना के तीन बच्चे हैं.
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