कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर राज्य के राज्यपाल वजुभाई वाला विवादों के घेरे में हैं और उसपर लगातार संकट के बदल गहरा रहे हैं. कर्नाटक के नाटक में जो भी मंथन हुआ उसमें वजुभाई एक ऐसा नाम बन गए हैं जिसकी लगातार आलोचना हो रही है. ध्यान रहे कि बीते दिनों ही जहां एक तरफ कांग्रेस के सहयोगी दल द्रमुक ने कर्नाटक में शक्ति परीक्षण कराने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश का स्वागत किया था. तो वहीं पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष की तरफ से कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला को पद से हटाने की मांग भी हुई थी.
कर्नाटक में मचे सियासी घमासान के बाद डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन ने पत्रकारों से हुई अपनी बातचीत में कहा था कि, 'उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले को लोकतंत्र के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. कर्नाटक के राज्यपाल की गलती साफ नजर आ रही है अतः मर्यादा के अंतर्गत तत्काल प्रभाव में उन्हें उनके पद से हटाया जाए.'
जैसा कि हम बता चुके हैं कर्नाटक के राज्यपाल लगातार विवाद में बने हुए हैं और मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक उनकी आलोचना का दौर जारी है. येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद लगातार ये मांग उठ रही है कि अब या तो वजुभाई अपना इस्तीफ़ा सौंप दें या फिर नैतिकता और संविधान को आधार बनाकर उन्हें उनके पद से अलविदा कर दिया जाए.
वजुभाई को लेकर राजनितिक सरगर्मियां तेज हैं. ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने राज्यपाल वजुभाई वाला पर दवाब में काम करने को लेकर निशाना साधा था तो वहीं कांग्रेस और जेडीएस की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले के विरोध में सरकारिया कमिशन, गोवा विधानसभा...
कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर राज्य के राज्यपाल वजुभाई वाला विवादों के घेरे में हैं और उसपर लगातार संकट के बदल गहरा रहे हैं. कर्नाटक के नाटक में जो भी मंथन हुआ उसमें वजुभाई एक ऐसा नाम बन गए हैं जिसकी लगातार आलोचना हो रही है. ध्यान रहे कि बीते दिनों ही जहां एक तरफ कांग्रेस के सहयोगी दल द्रमुक ने कर्नाटक में शक्ति परीक्षण कराने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश का स्वागत किया था. तो वहीं पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष की तरफ से कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला को पद से हटाने की मांग भी हुई थी.
कर्नाटक में मचे सियासी घमासान के बाद डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एम के स्टालिन ने पत्रकारों से हुई अपनी बातचीत में कहा था कि, 'उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये फैसले को लोकतंत्र के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है. कर्नाटक के राज्यपाल की गलती साफ नजर आ रही है अतः मर्यादा के अंतर्गत तत्काल प्रभाव में उन्हें उनके पद से हटाया जाए.'
जैसा कि हम बता चुके हैं कर्नाटक के राज्यपाल लगातार विवाद में बने हुए हैं और मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक उनकी आलोचना का दौर जारी है. येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद लगातार ये मांग उठ रही है कि अब या तो वजुभाई अपना इस्तीफ़ा सौंप दें या फिर नैतिकता और संविधान को आधार बनाकर उन्हें उनके पद से अलविदा कर दिया जाए.
वजुभाई को लेकर राजनितिक सरगर्मियां तेज हैं. ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने राज्यपाल वजुभाई वाला पर दवाब में काम करने को लेकर निशाना साधा था तो वहीं कांग्रेस और जेडीएस की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले के विरोध में सरकारिया कमिशन, गोवा विधानसभा चुनाव, झारखंड विधानसभा चुनाव और मेघालय विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए बीएस येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की मांग की थी.
बहरहाल वजुभाई की आलोचना के दौर में ताजा नाम जुड़ा है कांग्रेसी नेता संजय निरुपम का जिन्होंने भाषा की सारी मर्यादा लांघ दी है. कर्नाटक में मची सियासी उथल-पुथल के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार संजय निरूपम ने गवर्नर वजुभाई वाला के विषय में कहा था कि, वजुभाई वाला ने वफादारी का नया कीर्तिमान स्थापित किया है. अब शायद हिंदुस्तान का हर आदमी अपने कुत्ते का नाम वजुभाई ही रखेगा क्योंकि इससे ज्यादा वफादार तो कोई हो ही नहीं सकता.
आपको बताते चलें कि संजय निरूपम के इस बयान पर पूरे भाजपा खेमे में रोष है. खैर बात वजुभाई की आलोचना की हो रही है तो आइये जानें कि वजुभाई के विषय में किसने, क्या कहा.
अखिलेश यादव
कर्नाटक चुनाव में जो कुछ भी हुआ उसे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इसे धनबल के मुकाबले जनमत की जीत कहा.
ज्योतिरादित्य सिंधिया
कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने माना है कि कर्नाटक में जो भी हुआ उससे कहीं न कहीं भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है.
सीताराम येचुरी
सीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने अपने ट्वीट में कर्नाटक के राज्यपाल पर तीखे हमले किये हैं और कहा है कि अगर कर्नाटक के राज्यपाल में जरा भी शर्म बाक़ी है तो वो तत्काल प्रभाव में अपना इस्तीफा दें.
येचुरी ने ही एक अन्य ट्वीट में माना था कि राज्यपाल का इस तरह भाजपा के लोगों को बुलाना संविधान और आम जनता का अपमान है.
वजुभाई वाला पर आलोचना हो रही है और लहतर होती जा रही है मगर इन सब के बीच जो कांग्रेसी नेता संजय निरूपम ने कहा वो न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि ये भी बता रहा है कि कांग्रेस पार्टी में अहंकार किस हद तक फैला हुआ है. बात अगर वाजुभाई के फैसले पर हो तो ऐसा पहली बार नहीं था जब किसी राज्यपाल ने अपने अधिकार प्रयोग किये. कांग्रेस को अपने इतिहास में झांकना चाहिए और मान लेना चाहिए कि भारतीय राजनीति में तमाम छल कपटों की शुरुआत उसी के द्वारा की गई है.
साथ ही उसे ये भी मान लेना चाहिए कि भाजपा या गवर्नर वजुभाई ने और कुछ नहीं बस उनका अनुकरण किया है. बाक़ी जिस तरह संजय ने वजुभाई की शान में अपशब्दों का इस्तेमाल किया वो ये बताने के लिए काफी है कि अभी सिर्फ इस्तीफ़ा हुआ है और इतना अहंकार. अंत में कांग्रेसी नेताओं की बातों को सुनकर ये कहना गलत न होगा कि उनका यही अहंकार देश से लगातार कांग्रेस का पतन कर रहा है.
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