अगर आपसे कहा जाए कि रक्षाबंधन पर एक निबंध लिखिए, तो आपको वही लाइनें याद आएंगी जो आपको स्कूल में सिखाई गई थीं. लेकिन आजकल के बच्चे हमसे ज्यादा स्मार्ट हैं, उनसे अगर निबंध लिखने को कहा जाता है तो वो याद करने में यकीन नहीं रखते, बस लिख डालते हैं. मुंबई की एक बच्ची ने भी रक्षाबंधन पर ऐसा निबंध लिखा, जो शायद आपकी सोच बदल सकता है.
10 साल की नीली शाह को जब उसकी ट्यूशन टीचर ने रक्षाबंधन पर निबंध लिखने को कहा तो उसने अपने दिल की बात निबंध में लिख डाली. हालांकि उसने निबंध में बहुत सारी गलतियां कीं, लेकिन जो सोच उसकी लेखनी में दिखाई दी उसे पढ़कर आप उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते.
नीली ने लिखा कि- 'इस त्योहार पर एक बहन अपने भाई को राखी बांधती है. राखी सिर्फ एक रंगीन धागा होता है. एक बहन अपनी खुद की रक्षा कर सकती है, फिरभी उसे राखी बांधनी पड़ती है. मैं तो मेरे भाई को एक मार कर राखी और उपहार देकर खत्म कर देती हूं. मुझे मेरे भाई से बहुत से तोहफे मिलते हैं. ये लोगों को पता होना चाहिए कि लड़की खुद की रक्षा कर सकती है. तो भी हमें तोहफे मुफ्त मिलते हैं !'
अगर आपसे कहा जाए कि रक्षाबंधन पर एक निबंध लिखिए, तो आपको वही लाइनें याद आएंगी जो आपको स्कूल में सिखाई गई थीं. लेकिन आजकल के बच्चे हमसे ज्यादा स्मार्ट हैं, उनसे अगर निबंध लिखने को कहा जाता है तो वो याद करने में यकीन नहीं रखते, बस लिख डालते हैं. मुंबई की एक बच्ची ने भी रक्षाबंधन पर ऐसा निबंध लिखा, जो शायद आपकी सोच बदल सकता है. 10 साल की नीली शाह को जब उसकी ट्यूशन टीचर ने रक्षाबंधन पर निबंध लिखने को कहा तो उसने अपने दिल की बात निबंध में लिख डाली. हालांकि उसने निबंध में बहुत सारी गलतियां कीं, लेकिन जो सोच उसकी लेखनी में दिखाई दी उसे पढ़कर आप उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते. नीली ने लिखा कि- 'इस त्योहार पर एक बहन अपने भाई को राखी बांधती है. राखी सिर्फ एक रंगीन धागा होता है. एक बहन अपनी खुद की रक्षा कर सकती है, फिरभी उसे राखी बांधनी पड़ती है. मैं तो मेरे भाई को एक मार कर राखी और उपहार देकर खत्म कर देती हूं. मुझे मेरे भाई से बहुत से तोहफे मिलते हैं. ये लोगों को पता होना चाहिए कि लड़की खुद की रक्षा कर सकती है. तो भी हमें तोहफे मुफ्त मिलते हैं !'
टीचर इस निबंध को देखकर स्तब्ध थीं, शायद वो अपनी स्टूडेंट से इतनी प्रभावित हुईं कि मात्राओं की इतनी सारी गलतियां होने के बावजूद भी टीचर ने उसे 10 में से 10 नंबर दिए. बच्ची का ये निबंध ट्विटर पर पोस्ट किया गया था.
आज समय बदल रहा है, समाज बदल रहा है, और ये निबंध इस बात को सिद्ध करता एक उदाहरण भर है. आज एक 10 साल की बच्ची में भी आत्मविश्वास है कि वो भी किसी से कम नहीं है, वो अपनी रक्षा खुद ही कर सकती है. इस छोटी से बच्ची की बड़ी सी सोच को सलाम ! ये भी पढ़ें- मायावती के लिए रक्षाबंधन भी किसी सियासी गठबंधन जैसा ही है रियलटी शो के पर्दे के पीछे की सच्चाई क्या इतनी क्रूर है? 'मेरी बात मानी होती तो आज कलबुर्गी और गौरी लंकेश जिंदा होते' इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |