ब्रिटेन की 52% जनता रेफरेंडम में यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में वोटिंग की. लेकिन इस फैसले के बाद इंटरनेट पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई. इसी कड़ी में भारत में रह रहे एक ब्रिटिश व्यक्ति ने एक अनोखा और बेहद मजेदार सुझाव ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को दिया है.
दिल्ली में रह रहे निक बुकर ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी, जो पूरी दुनिया में वायरल हो गई है. इस पोस्ट में निक ने लिखा है कि 'ब्रिटेन को लिटिल यूरोप को गुडबाय करके इन्क्रेडेबल इंडिया को नमस्ते कहना चाहिए.'
निक का कहना है कि 'ब्रिटेन चाहे तो भारत का हिस्सा बन सकता है. ब्रिटेन को ऐसा करने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी, क्योंकि वो पहले भी भारत के साथ रह चुका है.' निक ने ऐसा यूं ही नहीं कहा बल्कि अपनी पोस्ट में कई दिलचस्प फैक्ट भी दिए हैं.
ये भी पढ़िए- ब्रेक्जिट पर ट्विटरबाजों ने क्या कहा...देखिए
'डेविड कैमरन को भारत का केंद्रशासित प्रदेश बनने के लिए ब्रिटेन की तरफ से एप्लाई करना चाहिए' |
अपनी पोस्ट में निक ने लिखा है कि -
डियर ब्रिटेन,
मेरे पास एक उपाय है जिससे यूरोपीय संघ छोड़ने और न...
ब्रिटेन की 52% जनता रेफरेंडम में यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में वोटिंग की. लेकिन इस फैसले के बाद इंटरनेट पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई. इसी कड़ी में भारत में रह रहे एक ब्रिटिश व्यक्ति ने एक अनोखा और बेहद मजेदार सुझाव ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को दिया है.
दिल्ली में रह रहे निक बुकर ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी, जो पूरी दुनिया में वायरल हो गई है. इस पोस्ट में निक ने लिखा है कि 'ब्रिटेन को लिटिल यूरोप को गुडबाय करके इन्क्रेडेबल इंडिया को नमस्ते कहना चाहिए.'
निक का कहना है कि 'ब्रिटेन चाहे तो भारत का हिस्सा बन सकता है. ब्रिटेन को ऐसा करने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी, क्योंकि वो पहले भी भारत के साथ रह चुका है.' निक ने ऐसा यूं ही नहीं कहा बल्कि अपनी पोस्ट में कई दिलचस्प फैक्ट भी दिए हैं.
ये भी पढ़िए- ब्रेक्जिट पर ट्विटरबाजों ने क्या कहा...देखिए
'डेविड कैमरन को भारत का केंद्रशासित प्रदेश बनने के लिए ब्रिटेन की तरफ से एप्लाई करना चाहिए' |
अपनी पोस्ट में निक ने लिखा है कि -
डियर ब्रिटेन,
मेरे पास एक उपाय है जिससे यूरोपीय संघ छोड़ने और न छोड़ने वाले, दोनों को ही राहत मिलेगी.
प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को भारत का केंद्रशासित प्रदेश बनने के लिए ब्रिटेन की तरफ से एप्लाई करना चाहिए. भारत को भी कुछ सौ वर्षों के लिए ब्रिटेन पर शासन करने का मौका मिलना चाहिए.
नौकरी की चिंता मत करिए क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था यूरोपीय संघ की तुलना में चार गुना तेजी से बढ़ रही है. 2030 तक वो यूरोपीय संघ को ओवरटेक कर लेगी और 2050 तक दु्गुनी हो जाएगी.
NHS (नेशनल हेल्थ सर्विस) की चिंता मत करिए क्योंकि भारत में डॉक्टर्स की भी कमी नहीं है. भारत भी NHS को उतने ही डॉक्टर उपलब्ध करवाता है जितना कि यूरोपीय संघ.
विविधता की चिंता मत करिए. क्योंकि भारत में 100 से ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं और प्रत्येक धर्म यहां पर मौजूद है.
आपकी बात कोई कैसे समझेगा इसकी चिंता भी मत करिए, क्योंकि अंग्रेजी भारत की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक है. इसलिए आपस में बातचीत करने में कोई दिक्कत नहीं होगी.
किसी बड़े देश का हिस्सा न बन पाने की चिंता मत करिए क्योंकि भारत की आबादी यूरोपीय संघ की आबादी से दोगुनी है. आधी आबादी 35 साल के नीचे हैं. इसलिए बूढ़ी होती जनसंख्या की भी चिंता नहीं होगी.
छुट्टियां कहां बिताएं इसकी चिंता भी मत करिए क्योंकि हिमालय, आल्प्स पर्वत से तीन गुना ऊंचा है और हजारों मील फैला हुआ है. भारत में इतने रेतीले समुद्री किनारे हैं जिसका ख्वाब भी तुमने नहीं देखा होगा. यहां जंगल और रेगिस्तान दोनों हैं. भारत में दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है जिसमें यात्रा करने पर वीजा की भी चिंता नहीं होती.
दूर देश में अनिर्वाचित ब्यूरोक्रेसी द्वारा शासन न होने की चिंता मत करिए क्योंकि यहां पर लोगों की चुनी हुई सरकार देश चलाती है. भारत की तुलना में कोई और देश इतने शानदार तरीके से सत्ता का हस्तांतरण नहीं करता.
ब्रिटेन के सारे एमपी, पूरा व्हाइटहॉल, यहां तक कि राज परिवार को यहां पेंशन मिल सकती है. ब्रिटेन के बकिंघम पैलेस और पार्लियामेंट हाउस का इस्तेमाल बॉलीवुड फिल्मों के सेट के रूप में हो जाएगा. इससे लंदन का पर्यटन उद्योग भी चलता रहेगा.
21वीं सदी को गले लगाओ. ब्रुसेल्स को दिल्ली से बदल दो. लिटिल यूरोप को गुडबाय करके इन्क्रेडेबल इंडिया को नमस्ते कह दो.
आपके इंतजार में,
ब्रिटिश मूल का एक अप्रवासी
(निक बुकर दिल्ली की एक शिक्षण कंपनी 'इंडो जीनियस' के को-फाउंडर हैं. और पिछले 9 सालों से दिल्ली में रह रहे हैं. निक भारत के महत्व पर फ्री ऑनलाइन कोर्स भी चलाते हैं. उनकी कंपनी ने एक्सपीरियंशियल शिक्षण कार्यक्रम के लिए पूरी दुनिया से करीब 900 युवाओं को भारत ला चुकी है. निक भारत के महत्व और प्रासंगिकता पर एक बुक भी लिख रहे हैं.)
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.