मुम्बई में ट्रेन के सामने जान देने जा रही एक महिला का सीसीटीवी फुटेज वायरल हो गया है. खासबात यह है कि कुछ पल के भीतर अनर्थ होता, उससे पहले दो फरिश्ते आ गए.
मुम्बई के लोकल ट्रेनों पर हर रोज 9 लोग अपनी जान गवां देते है. ज्यादातर मौतें इस वजह से होती है कि लोग नियमों को ताक पर रख ट्रैक को क्रॉस करते है और कुछ लोग डिप्रेशन की वजह से सुसाइड कर लेते है.
वायरल वीडियो: जब एक महिला को मुम्बई के लोकल्स पर बचाया गया
ट्रैक पर चलने वाली 35 वर्षीय महिला नाजिया मोहम्मद अकबर सैय्यद है. ये उन महिलाओं में से एक हैं जो डिप्रेशन की वजह से सुसाइड के लिए रेलवे ट्रैक को चुनती हैं. लेकिन मुम्बई के विखरौली स्टेशन पर नजारा बदल जाता है. एक ओर ट्रेन आ रही है तो दूसरी ओर से नाजिया उसकी बढ़ रही है. स्टेशन पर चीख पुकार मच जाती है. तभी प्लेटफॉर्म के दूसरी ओर से दो युवक दौड़कर आते हैं और नाजिया को ट्रैक से हटा लेते हैं. लेकिन कहानी का यहीं अंत नहीं है...
महिला को बचाने वाले वे दो युवक कौन थे? उनके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया. न तो वे कैमरे पर आए. न किसी से शाबाशी ली. न वाहवाही लूटी. दरअसल, इस बात का जिक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि दो दिन पहले ही दिल्ली में सड़क पर दुर्घटना के शिकार एक घायल को लोगों ने मरने के लिए तड़पता हुआ छोड़ दिया. इतना ही नहीं, किसी ने तो उसके सड़क पर गिरे मोबाइल को ही चुराने से गुरेज नहीं किया. इसी कड़ी में सालभर पुरानी दिल्ली मेट्रो स्टेशन की घटना भी याद आती है, जहां लोगों ने ट्रेन से मरते हुए युवक को देखते रहे.
अब एक ओर विखरौली की घटना दिल खुश कर देती है, तो दूसरी ओर दिल्ली... चलिए छोडि़ए क्या बात करना !! :(
मुम्बई के लोकल ट्रेनों पर हर रोज 9 लोग अपनी जान गवां देते है. ज्यादातर मौतें इस वजह से होती है कि लोग नियमों को ताक पर रख ट्रैक को क्रॉस करते है और कुछ लोग डिप्रेशन की वजह से सुसाइड कर लेते है.
वायरल वीडियो: जब एक महिला को मुम्बई के लोकल्स पर बचाया गया
ट्रैक पर चलने वाली 35 वर्षीय महिला नाजिया मोहम्मद अकबर सैय्यद है. ये उन महिलाओं में से एक हैं जो डिप्रेशन की वजह से सुसाइड के लिए रेलवे ट्रैक को चुनती हैं. लेकिन मुम्बई के विखरौली स्टेशन पर नजारा बदल जाता है. एक ओर ट्रेन आ रही है तो दूसरी ओर से नाजिया उसकी बढ़ रही है. स्टेशन पर चीख पुकार मच जाती है. तभी प्लेटफॉर्म के दूसरी ओर से दो युवक दौड़कर आते हैं और नाजिया को ट्रैक से हटा लेते हैं. लेकिन कहानी का यहीं अंत नहीं है...
महिला को बचाने वाले वे दो युवक कौन थे? उनके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया. न तो वे कैमरे पर आए. न किसी से शाबाशी ली. न वाहवाही लूटी. दरअसल, इस बात का जिक्र इसलिए जरूरी है क्योंकि दो दिन पहले ही दिल्ली में सड़क पर दुर्घटना के शिकार एक घायल को लोगों ने मरने के लिए तड़पता हुआ छोड़ दिया. इतना ही नहीं, किसी ने तो उसके सड़क पर गिरे मोबाइल को ही चुराने से गुरेज नहीं किया. इसी कड़ी में सालभर पुरानी दिल्ली मेट्रो स्टेशन की घटना भी याद आती है, जहां लोगों ने ट्रेन से मरते हुए युवक को देखते रहे.
अब एक ओर विखरौली की घटना दिल खुश कर देती है, तो दूसरी ओर दिल्ली... चलिए छोडि़ए क्या बात करना !! :(
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.