23 नबंवर की सुबह ने देश को एक नया सरप्राइज़ दे दिया. महाराष्ट्र में सत्ता का खेल (Maharashtra Politics) पूरी तरह से बदल गया. एनसीपी और भाजपा ने मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली है. लोग अभी नींद से जागे भी नहीं थे कि उधर सरकार भी बन गई और देवेन्द्र फडनवीस (Devendra Fadnavis) ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली.
कहां तो कयास लगाए जा रहे थे कि महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना मिलकर सरकार बनाने वाले हैं. लेकिन सत्ता बीजेपी की ही रही. महाराष्ट्र की कमान एक बार फिर देवेंद्र फडनवीस के हाथ में आ गई है और एनसीपी के अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है.
लोगों के लिए ये 2019 का सबसे बड़ा शॉक था. क्योंकि अखबारों में जो छपा था वो सच्चाई से एक दम अलग था. ज्यादातर अखबारों में उद्धव ठाकरे के सीएम बनने की खबरें छपी हुई थीं, लेकिन न्यूज चैनल और सोशल मीडिया पर हकीकत थी. महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स ने तो सभी अखबारों को एक ही झटके में गलत साबित कर दिया.
अपने मन की बात कहने के लिए लोगों ने सोशल मीडिया का सहारा लिया. महाराष्ट्र की राजनीति को लोगों ने जिस नजर से देखा वो कुछ इस तरह रही. यूं लगा जैसे क्रिकेट के मैच में फडनवीस से शिवसेना को रन आउट कर दिया.
लोग आसानी से समझ सकते थे कि आखिर तक अड़ी रहने वाली शिवसेना के हालात इस वक्त क्या होंगे-
वहीं संजय राउत की भी मजाक कम नहीं बनी. कितने विश्वास के साथ उन्होंने कहा था कि इस बार महाराष्ट्र में शिवसेना की ही सरकार बनेगी.
लेकिन अपने मन की बात संजय राउत ने भी सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह दी.
पूरा भारत जानता है कि इस पूरे खेल को बदल देने वाला कोई और नहीं बल्कि राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ही हैं. लोगों ने अमित शाह की इसी महारथ की जमकर तारीफ की है.
लोगों का कहना है कि अमित शाह ने भारतीय राजनीति को किसी भी बड़े से बड़े फुटबॉल या फिर क्रिकेट मैच से कहीं ज्यादा दिलचस्प बना दिया है.
आखिरी ओवर में गेम चेंज करने वाले यही दोनों तो हैं-
लेकिन आप शायद ये नहीं जानते कि क्रिकेट और पॉलिटिक्स में कुछ भी हो सकता है. नितिन गडकरी तो ये पहले ही बता चुके हैं.
हालांकि लोगों ने चुनावों की इस पूरी कवायद में खुद को ठगा हुआ ही महसूस किया.
हो न हो भारत की राजनीति का 'महाराष्ट्र अध्याय' राजनीति की पुस्तकों में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा.
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