हमारे प्रधानमंत्री के बारे में एक बात बहुत मशहूर है कि वो बोलते बहुत हैं. चाहें भारत का कोई भी शहर हो या फिर दुनिया का कोई भी देश हो हर जगह हमारे मोदी जी बोल सकते हैं, लेकिन फिर भारत में इतने भयंकर अपराध के बाद भी देश के प्रधानमंत्री चुप हैं. 8 साल की आसिफा के साथ गैंगरेप होता है और उसकी हत्या कर दी जाती है. उसकी तस्वीरें जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं वो किसी को भी भीतर तक झकझोरने के लिए काफी हैं.
नेताओं की बयानबाज़ी चल रही है, लेकिन हमारे मोदी जी मौन हैं? आखिर क्यों मौन हैं? सभी सोशल मीडिया पर ये सवाल कर रहे हैं, लेकिन क्या किसी ने इसका वाजिब कारण जानने की केशिश की है?
सोशल मीडिया पर भी लोग दो गुटों में बट गए हैं. एक वो है जो चाहते हैं कि मोदी कुछ बोलें और दूसरे वो हैं जो मोदी के मौन के पीछे के कारण बता रहे हैं. हां, इनमें से कुछ भक्त भी हैं जिन्हें कभी कुछ गलत दिखता ही नहीं, लेकिन कारण बताने वाले लोग भी कम नहीं हैं.
वो जो चाहते हैं कि मोदी बोलें?
वो जिन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री का न बोलना ही सही है-
एक बात तो सच है कि प्रधानमंत्री हर मामले में नहीं बोल सकते. क्या सिर्फ अपनी राय और गुस्सा इंटरनेट पर बोल देना ही इस बात का सबूत है कि हम चिंता कर रहे हैं? शायद यही होगा इसीलिए तो प्रधानमंत्री के बयान का बेसब्री से इंतज़ार किया जा रहा है. अरे जनाब पीएम के कुछ बोलने का नहीं कुछ करने का इंतज़ार कीजिए. रेप को सिलेक्टिव नहीं किया जा सकता, सोशल मीडिया की तरह सिर्फ एक रेप केस पर अगर बोले तो प्रधानमंत्री बाकि रेप पीड़ितों के साथ अन्याय कर बैठेंगे.
NCRB के 2016 के आंकड़ों के अनुसार हर आधे घंटे में एक बच्ची का रेप हो रहा है और हर घंटे में नाबालिग और बालिग मिलाकर 4 महिलाओं का रेप हो रहा है. यानी हर 15 मिनट में एक रेप. तो इसका मतलब तो ये हुआ कि हर 15 मिनट में प्रधानमंत्री जी एक ट्वीट करें और ये ट्वीट दिन और रात दोनों समय हो. इसके अलावा और भी कई घृणा करने योग्य काम के लिए प्रधानमंत्री ट्वीट करेंगे. सोचने वाली बात है कि क्या हमारी सोशल मीडियाई जनरेशन सिर्फ सोशल मीडिया पर ही निंदा करने से खुश हो जाएगी?
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