दुनिया के कई देशों में काफी अजीबोगरीब कानून होते हैं. चीन में पुनर्जन्म को गैरकानूनी माना जाता है, ऑस्ट्रेलिया के कुछ इलाकों में एक बार में 50 किलो से ज्यादा आलू लेना भी गैरकानूनी माना जाता है और भी बहुत कुछ, लेकिन क्या कहीं आपने ऐसा कानून सुना है कि किसी जगह मरना गैर कानूनी हो? जी हां, कोई जन्म तो ले सकता है, लेकिन मरना कानूनन अपराध है.
Svalbard Islands स्थित Longyearbyen एक छोटा सा शहर है नॉर्वे का. असल में ये शहर एक टापू पर बसा हुआ है और ये दुनिया का सबसे उत्तरी शहर है. यानी इसके उत्तर में कोई भी रिहाइशी इलाका नहीं है. इस शहर में एक खास नियम है. अब इसे नियम कहा जाए या कानून पर ये है बहुत अजीब. यहां पर पिछले 70 सालों में एक भी मुर्दे को दफनाया नहीं गया. न ही जलाया गया है. जी हां, यहां का कब्रिस्तान भी लाशें नहीं लेता. पिछले 70 सालों से ये बंद है.
आखिर क्यों बना ऐसा नियम...
इस नियम को बनाने के पीछे एक सीधा सा कारण था. वो कारण ये कि यहां पर कब्रों में लाशें डिकम्पोज नहीं होतीं और जम जाती हैं. 1950 में इस बात का पता चला कि यहां लाशें सड़ नहीं रहीं, कंकाल नहीं बन रहीं और वो सिर्फ जमी हुई हैं.
यहां की जमीन पर हमेशा बर्फ रहती है. 1950 के दशक में रिसर्च में ये पाया गया कि जिन लोगों को भी दफनाया गया है उनकी लाशें सड़ी नहीं, उनकी लाशें संरक्षित थीं.
अगर किसी को मरना हो तो?
अगर कोई बहुत बीमार है और उसकी उम्र ज्यादा हो गई है तो उन्हें इस द्वीप से बाहर भेज दिया जाता है. वो नॉर्वे के अन्य हिस्सों में जाकर मर सकते हैं. भले ही वो इस 2000 की आबादी वाले द्वीप में पैदा हुए हों, वहीं पले-बढ़े हों, लेकिन वो किसी भी हालत में यहां मर नहीं सकते. इस शहर में साल के 4 महीने तो सूरज दिखता ही नहीं है. मार्च में...
दुनिया के कई देशों में काफी अजीबोगरीब कानून होते हैं. चीन में पुनर्जन्म को गैरकानूनी माना जाता है, ऑस्ट्रेलिया के कुछ इलाकों में एक बार में 50 किलो से ज्यादा आलू लेना भी गैरकानूनी माना जाता है और भी बहुत कुछ, लेकिन क्या कहीं आपने ऐसा कानून सुना है कि किसी जगह मरना गैर कानूनी हो? जी हां, कोई जन्म तो ले सकता है, लेकिन मरना कानूनन अपराध है.
Svalbard Islands स्थित Longyearbyen एक छोटा सा शहर है नॉर्वे का. असल में ये शहर एक टापू पर बसा हुआ है और ये दुनिया का सबसे उत्तरी शहर है. यानी इसके उत्तर में कोई भी रिहाइशी इलाका नहीं है. इस शहर में एक खास नियम है. अब इसे नियम कहा जाए या कानून पर ये है बहुत अजीब. यहां पर पिछले 70 सालों में एक भी मुर्दे को दफनाया नहीं गया. न ही जलाया गया है. जी हां, यहां का कब्रिस्तान भी लाशें नहीं लेता. पिछले 70 सालों से ये बंद है.
आखिर क्यों बना ऐसा नियम...
इस नियम को बनाने के पीछे एक सीधा सा कारण था. वो कारण ये कि यहां पर कब्रों में लाशें डिकम्पोज नहीं होतीं और जम जाती हैं. 1950 में इस बात का पता चला कि यहां लाशें सड़ नहीं रहीं, कंकाल नहीं बन रहीं और वो सिर्फ जमी हुई हैं.
यहां की जमीन पर हमेशा बर्फ रहती है. 1950 के दशक में रिसर्च में ये पाया गया कि जिन लोगों को भी दफनाया गया है उनकी लाशें सड़ी नहीं, उनकी लाशें संरक्षित थीं.
अगर किसी को मरना हो तो?
अगर कोई बहुत बीमार है और उसकी उम्र ज्यादा हो गई है तो उन्हें इस द्वीप से बाहर भेज दिया जाता है. वो नॉर्वे के अन्य हिस्सों में जाकर मर सकते हैं. भले ही वो इस 2000 की आबादी वाले द्वीप में पैदा हुए हों, वहीं पले-बढ़े हों, लेकिन वो किसी भी हालत में यहां मर नहीं सकते. इस शहर में साल के 4 महीने तो सूरज दिखता ही नहीं है. मार्च में जब सूरज आता है तो उसे एक त्योहार के तौर पर मनाया जाता है.
कैसे पड़ा नाम...
इस शहर के नाम का असली मतलब है लॉन्गइयर का शहर. दरअसल, ये एक अमेरिकन जॉन मूनरो लॉन्गइयर के नाम पर रखा गया है. ये 1906 में बसाया गया था जहां माइनिंग का काम होता था. यहां किसी गली का कोई नाम नहीं है बल्कि उसे सिर्फ नंबर दे दिया गया है.
इस शहर में हमेशा बर्फीले पहाड़ दिखते हैं, खूबसूरत सीनरी है, रंग-बिरंगे घर हैं, बहुत ही खूबसूरत शहर है ये, टूरिज्म के हिसाब से भी बहुत अच्छा है और इस शहर में रेडियो स्टेशन, चर्च, म्यूजियम, एयरपोर्ट और दुनिया का सबसे उत्तरी ATM भी है. हर सुख सुविधा भी है बस मरने की सुविधा नहीं.
बंदूक के बिना नहीं निकल सकते...
यहां एक और अजीब कानून है. घर से दूर जाते समय इंसान को Svalbard Environmental Protection Act के सेक्शन 30 a के तहत बंदूक साथ रखना जरूरी है. नहीं तो वो किसी ध्रुवीय भालू की खुराक भी बन सकता है.
चप्पल बाहर उतारें...
मंदिर या किसी अन्य धार्मिक जगह पर जूते-चप्पल बाहर उतारने का रिवाज सिर्फ भारत में ही नहीं है. यहां लॉन्गइयरबायन में भी कई पब्लिक प्लेस पर जूते-चप्पल पहन कर जाना गलत है. वहां लोगों को ठंड से बचाने के लिए ऐसी जगहों पर अलग चप्पल दिए जाते हैं.
इन जगहों पर भी मरना मना है..
जापान के एक छोटे से द्वीप इत्सुकुशिमा (Itsukushima) में भी मरना मना है. कारण ये है कि यहां शिंटो मान्यता मानी जाती है और इसे हद से ज्यादा पवित्र माना जाता है. यहां पर 1878 के बाद से कोई भी मौत या जन्म बैन है. प्रेग्नेंट महिलाओं को या बहुत ही बुजुर्ग व्यक्तियों को द्वीप से हटा दिया जाता है.
इसी तरह है फैल्सिआनो डेल मासिको (Falciano del Massico). इटले के इस शहर में भी कुछ समय के लिए मरना बैन कर दिया गया था. इसका कारण थोड़ा अलग है, यहां पर मुर्दों को दफनाने की जगह नहीं बची है. 1964 में इस शहर की सीमाएं दोबारा बनाई गईं और तब से ही पड़ोसी शहर से पुराने कब्रिस्तान को लेकर विवाद चल रहा है. तो यहां के मेयर ने 2012 में ये आदेश दिया कि जब तक नया कब्रिस्तान नहीं बना दिया जाता तब तक कोई मरेगा नहीं.
ये भी पढ़ें-
अपने शहर की सर्दी और गर्मी भूल जाएंगे इन जगहों के बारे में जानकर !
नॉर्वे की जेल फाइव स्टार हैं तो भारतीय जेल लॉज जैसी भी क्यों नहीं ?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.